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छत्तीसगढ़ में वार्ड परिसीमन पर घमासान, कांग्रेस की आपत्ति, भाजपा का सवाल 'किसे बचाना चाहती है कांग्रेस' - Raipur municipal Corporation

Raipur municipal Corporation रायपुर नगर निगम क्षेत्र के वार्ड परिसीमन को लेकर राजनीति गर्मा गई है. कांग्रेस वार्ड परिसीमन के विरोध में खड़ी है. वहीं भाजपा समर्थन कर रही है. Controversy over ward delimitation

CONTROVERSY OVER WARD DELIMITATION
वार्ड परिसीमन विवाद (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 26, 2024, 1:17 PM IST

वार्ड परिसीमन को लेकर कांग्रेस बीजेपी में जुबानी जंग (ETV Bharat)

रायपुर : रायपुर नगर निगम में 70 वार्ड हैं. इन 70 वार्डों में नए सिरे से परिसीमन की प्रक्रिया शुरू की जानी है. शासन प्रशासन ने तैयारी कर ली है, लेकिन इसके पहले एक नया विवाद खड़ा हो गया है. रायपुर नगर निगम महापौर एजाज ढेबर का कहना है कि जब साल 2011 को आधार बनाकर साल 2019 में वार्डों का परिसीमन किया गया था तो अब साल 2024 में इस आधार पर एक बार फिर वार्डों का परिसीमन क्यों किया जा रहा है, जबकि वार्डों का परिसीमन 10 साल बाद होना चाहिए.

वार्ड परिसीमन पर रायपुर महापुर की आपत्ति : महापौर एजाज ढेबर ने आपत्ति दर्ज कराई है. ढेबर का कहना है कि साल 2019 में बताया गया था कि 100 वार्ड बनेंगे. महानगरपालिका निगम बनाया जाएगा. यदि ऐसा होता तो इसका फायदा स्वाभाविक है कि रायपुर को मिलता और केंद्र से फंड आता. निगम क्षेत्र का विकास होता, लेकिन उस दौरान ऐसा नहीं हुआ. अब एक बार फिर से वार्डों के परिसीमन की प्रक्रिया शुरू की जा रही है.

''रायपुर नगर निगम के अंतर्गत लगभग 12 लाख से ज्यादा मतदाताओं की संख्या है. अब लगभग 14000 प्रत्येक वार्ड में मतदाता रहेंगे, ऐसी जानकारी आ रही है. लेकिन इसका आधार साल 2011 को ही रखा गया है, जो सही नहीं है.'' - एजाज ढेबर, महापौर, नगर निगम, रायपुर

वार्ड परिसीमन पर कांग्रेस की आपत्ति, बीजेपी ने उठाए सवाल : रायपुर नगर निगम नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे का कहना है कि परिसीमन से महापौर को दिक्कत क्यों हो रही है. कुछ वार्ड ऐसे हैं, जहां जनसंख्या अधिक है. कुछ वार्ड में जनसंख्या कम है. जो भी जनप्रतिनिधि चुनकर आते हैं, वह चाहे फिर भाजपा या कांग्रेस के हों, उन्हें काम करने में दिक्कत होती है.

''महापौर का परिसीमन का विरोध करना समझ से परे है. यह स्वयं महापौर को संदेह के घेरे में डाल रहा है. आखिर वे परिसीमन से पीछे क्यों भाग रहे हैं? क्या कुछ अनैतिक लोग हैं, जिन्हें वार्डों में नहीं रहना था और वह वार्ड वासी बन गए हैं. कुछ लोगों का नाम डिलीट होना था, वह नहीं हो पाया है.'' - मीनल चौबे, नेता प्रतिपक्ष, नगर निगम, रायपुर

वार्ड परिसीमन के पक्ष में बीजेपी : रायपुर नगर निगम नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे के मुताबिक वार्डों में जनसंख्या अलग अलग है. यह सब समान होना चाहिए, जिससे विकास कार्य समान हो. कोई वार्ड यदि दूरस्थ क्षेत्र में जुड़ जाता है तो वहां विकास कार्य नहीं हो पाता है. यह शासन के विचार करने की बात है. शासन इसके लिए सक्षम है. परिसीमन कर सकते हैं और परिसीमन होना भी चाहिए.

वार्ड परिसीमन पर क्या कहते हैं जानकार : राजनीतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा कहते हैं कि पॉलिटिकल और व्यवस्था के तहत परिसीमन से अलग अलग नफा नुकसान हो सकता है. परिसीमन साल 2019 में किया गया था. अब यह 10 साल में होना चाहिए. 2019 में किस आधार पर परिसीमन किए थे, क्योंकि कहीं पापुलेशन 14000 तक थी, कहीं 34000 है. कई वार्ड ऐसे भी हैं, जो लंबी दूरी तक रहते हैं. जो वार्ड बनाये गए हैं, उनमें एकरूपता भी लानी चाहिए.

"परिसीमन का पक्षधर हूं, लेकिन जैसा परिसीमन राज्य सरकार चाह रही है, शायद उनका विजन कुछ और हो. शायद यह भी चाहते हैं कि वार्ड की पापुलेशन 14-15 हजार के आसपास हो ताकि सुविधा और व्यवस्था देने में थोड़ी आसानी होगी." - उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार

वार्ड परिसीमन की जरुरत क्यों : उचित शर्मा का यह भी कहना है कि जिस तरह साल 2019 में परिसीमन किया गया है, उसका आधार जनता के सामने स्पष्ट होना चाहिए. साल 2024 में उसमें क्या अंतर है? क्या कारण है? परिसीमन की जरुरत क्यों पड़ रही है, उसे भी जनता के सामने रखना चाहिए.

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''रायपुर नगर निगम के अंतर्गत लगभग 12 लाख से ज्यादा मतदाताओं की संख्या है. अब लगभग 14000 प्रत्येक वार्ड में मतदाता रहेंगे, ऐसी जानकारी आ रही है. लेकिन इसका आधार साल 2011 को ही रखा गया है, जो सही नहीं है.'' - एजाज ढेबर, महापौर, नगर निगम, रायपुर

वार्ड परिसीमन पर कांग्रेस की आपत्ति, बीजेपी ने उठाए सवाल : रायपुर नगर निगम नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे का कहना है कि परिसीमन से महापौर को दिक्कत क्यों हो रही है. कुछ वार्ड ऐसे हैं, जहां जनसंख्या अधिक है. कुछ वार्ड में जनसंख्या कम है. जो भी जनप्रतिनिधि चुनकर आते हैं, वह चाहे फिर भाजपा या कांग्रेस के हों, उन्हें काम करने में दिक्कत होती है.

''महापौर का परिसीमन का विरोध करना समझ से परे है. यह स्वयं महापौर को संदेह के घेरे में डाल रहा है. आखिर वे परिसीमन से पीछे क्यों भाग रहे हैं? क्या कुछ अनैतिक लोग हैं, जिन्हें वार्डों में नहीं रहना था और वह वार्ड वासी बन गए हैं. कुछ लोगों का नाम डिलीट होना था, वह नहीं हो पाया है.'' - मीनल चौबे, नेता प्रतिपक्ष, नगर निगम, रायपुर

वार्ड परिसीमन के पक्ष में बीजेपी : रायपुर नगर निगम नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे के मुताबिक वार्डों में जनसंख्या अलग अलग है. यह सब समान होना चाहिए, जिससे विकास कार्य समान हो. कोई वार्ड यदि दूरस्थ क्षेत्र में जुड़ जाता है तो वहां विकास कार्य नहीं हो पाता है. यह शासन के विचार करने की बात है. शासन इसके लिए सक्षम है. परिसीमन कर सकते हैं और परिसीमन होना भी चाहिए.

वार्ड परिसीमन पर क्या कहते हैं जानकार : राजनीतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा कहते हैं कि पॉलिटिकल और व्यवस्था के तहत परिसीमन से अलग अलग नफा नुकसान हो सकता है. परिसीमन साल 2019 में किया गया था. अब यह 10 साल में होना चाहिए. 2019 में किस आधार पर परिसीमन किए थे, क्योंकि कहीं पापुलेशन 14000 तक थी, कहीं 34000 है. कई वार्ड ऐसे भी हैं, जो लंबी दूरी तक रहते हैं. जो वार्ड बनाये गए हैं, उनमें एकरूपता भी लानी चाहिए.

"परिसीमन का पक्षधर हूं, लेकिन जैसा परिसीमन राज्य सरकार चाह रही है, शायद उनका विजन कुछ और हो. शायद यह भी चाहते हैं कि वार्ड की पापुलेशन 14-15 हजार के आसपास हो ताकि सुविधा और व्यवस्था देने में थोड़ी आसानी होगी." - उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार

वार्ड परिसीमन की जरुरत क्यों : उचित शर्मा का यह भी कहना है कि जिस तरह साल 2019 में परिसीमन किया गया है, उसका आधार जनता के सामने स्पष्ट होना चाहिए. साल 2024 में उसमें क्या अंतर है? क्या कारण है? परिसीमन की जरुरत क्यों पड़ रही है, उसे भी जनता के सामने रखना चाहिए.

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