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मानसून ने आते ही कर दिया सब पानी-पानी, जानें यमुना में बाढ़ से बचाव-प्रबंध के लिए प्रशासन कितना तैयार - Yamuna flood protection - YAMUNA FLOOD PROTECTION

Yamuna Flood Protection Arrangements: क्या इस बार भी कागजी साबित होंगे सिंचाई विभाग के दावे, क्या इस बार मानसून को लेकर ग्रामीणों का डर सही है? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि मानसून की एंट्री हो चुकी है. शुरुआत में ही बरसात ने अपने तेवर दिखाने भी शुरू कर दिए हैं. बीते साल हुई तबाही से लोगों के मन में फिर खौफ बना हुआ है. लेकिन ग्रामीण आज भी डर के साए में जीने को मजबूर है. क्योंकि करनाल में सिंचाई विभाग के अधिकारी का कहना है कि यमुना क्षेत्र में बाढ़ से बचाव के लिए काम शुरू किए जाएंगे. यानी अभी तक शुरू नहीं किए गए हैं जबकि बरसात ने शुरू में ही इलाकों को जलमग्न कर दिया है. खबर में विस्तार से जानें कि इस बार बाढ़ जैसे हालात से निपटने के लिए प्रशासन कितना मुस्तैद है.

Yamuna flood protection arrangements
Yamuna flood protection arrangements (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jun 28, 2024, 2:27 PM IST

करनाल: आज से झमाझम बरसात की शुरुआत हो चुकी है. हरियाणा के ज्यादातर जिलों से जलमग्न की तस्वीरें भी सामने आ रही हैं. जिसके चलते लोग काफी ज्यादा परेशान है. जबकि ये सीजन की पहली बारिश है. अभी पूरी बरसात बाकी है. वहीं, यमुना नदी में अभी तक बाढ़ से बचाव के कार्य शुरू नहीं किए गए हैं. बड़ा सवाल ये कि महज अभी कुछ दिनों में ही प्रशासन कैसे बाढ़ के इंतजाम करेगा. कैसे तीस करोड़ रुपये की लागत से काम किए जाएंगे. नदी में स्टड और तटबंध का काम नहीं होने से किसान मायूस हैं. बीते साल की तरह इस बार भी बड़े नुकसान की आशंका ग्रामीणों को सताने लगी है. जिससे लोगों में दहशत का माहौल है.

बाढ़ जैसे हालात से कैसे निपटेगा प्रशासन: ETV भारत की टीम ने जब यमुना क्षेत्र में निर्माण कार्यों का जायजा लिया तो बाढ़ बचाव को लेकर किए गए सिंचाई विभाग के दावे हवा हवाई नजर आए. करनाल जिले में करीब तीस करोड़ की लागत से यमुना नदी में 23 स्टड के निर्माण और मरम्मत का काम होना था. विभाग ने दावा किया था कि बाढ़ बचाव के सभी कार्य 30 जून से पहले पूरे कर दिए जाएंगे. लेकिन अभी तक ये काम शुरू भी नहीं हुए है. जबकि बरसात ने जोरो-शोरो से एंट्री कर ली है.

स्टड बनाने का काम नहीं हुआ शुरू: यमुना क्षेत्र के किसानों को डर है कि बीते साल की तरह इस वर्ष भी यमुना नदी में बाढ़ आने पर उनकी फसलें तबाह हो जायेगी. किसानों ने बताया कि अभी तक सिर्फ नदी पर पत्थर आया है. लेकिन स्टड बनाने का काम शुरू भी नहीं हुआ. आठ दिनों में ये काम पूरा होना संभव नहीं है. किसानों का आरोप है कि तटबंध मजबूत करने के काम में जानबूझकर देरी की जाती है. जब नदी में पानी आएगा उस समय ठेकेदार आनन फानन में नदी के अंदर पत्थर फेंक देंगे. किसानों ने बाढ़ बचाव के कार्य को लेकर विभाग पर सवाल उठाए हैं.

बरसात की एंट्री हो चुकी है: सिंचाई विभाग के एसडीओ करनैल सिंह ने बताया कि पिछले वर्ष हमारे करनाल के बाढ़ राहत से जुड़े आठ कार्यों को मंजूरी मिली थी. इनमें से तीन कार्य 30 जून तक पूरे हो जाएंगे.बाकी पांच कामों को पूरा करने के लिए पत्थर की सप्लाई जारी है. पिछले दिनों आचार संहिता के कारण इन कार्यों में देरी हुई. लेकिन हम इन्हें जल्द पूरा करने के प्रयास में है. काम की क्वालिटी के सवाल पर उन्होंने कहा कि जो भी डिजाइन और ड्राइंग मंजूर हुई है. उसी के हिसाब से काम को तसल्ली से पूरा किया जा रहा है.

'अभी काम जारी है': उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. इसके लिए एक कंट्रोल रूम और हेल्पलाइन नंबर के साथ संवेदनशील स्थानों पर मशीनरी का प्रबंध भी किया जा रहा है. एसडीओ ने यमुना क्षेत्र में सभी संवेदनशील स्थानों को सेफ जोन में लाने का की बात भी कही. उन्होंने कहा कि कुंडा कला व अन्य स्थानों पर अधिकतर मरम्मत का काम है जो किया जा रहा है. तटबंध टूटने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब तेज बारिश आती है और पानी का बहाव अधिक होता है तो तटबंधों को नुकसान होता है. इन्हें पत्थर डालकर मजबूत किया जा रहा है.

'हर साल रिपेयर किए जाते हैं स्टड': करनैल सिंह ने कहा कि चाहे यूपी की तरफ हो या हरियाणा दोनों तरफ ही स्टड बनाए जाते हैं और हर साल इन्हें रिपेयर करने की आवश्यकता पड़ती है. यमुना में अवैध खनन के सवाल पर उन्होंने कहा कि करनाल जिले में ऐसी कोई स्थिति नहीं है. जहां भी खनन हो रहा है वह कानूनन चल रहा है.

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करनाल: आज से झमाझम बरसात की शुरुआत हो चुकी है. हरियाणा के ज्यादातर जिलों से जलमग्न की तस्वीरें भी सामने आ रही हैं. जिसके चलते लोग काफी ज्यादा परेशान है. जबकि ये सीजन की पहली बारिश है. अभी पूरी बरसात बाकी है. वहीं, यमुना नदी में अभी तक बाढ़ से बचाव के कार्य शुरू नहीं किए गए हैं. बड़ा सवाल ये कि महज अभी कुछ दिनों में ही प्रशासन कैसे बाढ़ के इंतजाम करेगा. कैसे तीस करोड़ रुपये की लागत से काम किए जाएंगे. नदी में स्टड और तटबंध का काम नहीं होने से किसान मायूस हैं. बीते साल की तरह इस बार भी बड़े नुकसान की आशंका ग्रामीणों को सताने लगी है. जिससे लोगों में दहशत का माहौल है.

बाढ़ जैसे हालात से कैसे निपटेगा प्रशासन: ETV भारत की टीम ने जब यमुना क्षेत्र में निर्माण कार्यों का जायजा लिया तो बाढ़ बचाव को लेकर किए गए सिंचाई विभाग के दावे हवा हवाई नजर आए. करनाल जिले में करीब तीस करोड़ की लागत से यमुना नदी में 23 स्टड के निर्माण और मरम्मत का काम होना था. विभाग ने दावा किया था कि बाढ़ बचाव के सभी कार्य 30 जून से पहले पूरे कर दिए जाएंगे. लेकिन अभी तक ये काम शुरू भी नहीं हुए है. जबकि बरसात ने जोरो-शोरो से एंट्री कर ली है.

स्टड बनाने का काम नहीं हुआ शुरू: यमुना क्षेत्र के किसानों को डर है कि बीते साल की तरह इस वर्ष भी यमुना नदी में बाढ़ आने पर उनकी फसलें तबाह हो जायेगी. किसानों ने बताया कि अभी तक सिर्फ नदी पर पत्थर आया है. लेकिन स्टड बनाने का काम शुरू भी नहीं हुआ. आठ दिनों में ये काम पूरा होना संभव नहीं है. किसानों का आरोप है कि तटबंध मजबूत करने के काम में जानबूझकर देरी की जाती है. जब नदी में पानी आएगा उस समय ठेकेदार आनन फानन में नदी के अंदर पत्थर फेंक देंगे. किसानों ने बाढ़ बचाव के कार्य को लेकर विभाग पर सवाल उठाए हैं.

बरसात की एंट्री हो चुकी है: सिंचाई विभाग के एसडीओ करनैल सिंह ने बताया कि पिछले वर्ष हमारे करनाल के बाढ़ राहत से जुड़े आठ कार्यों को मंजूरी मिली थी. इनमें से तीन कार्य 30 जून तक पूरे हो जाएंगे.बाकी पांच कामों को पूरा करने के लिए पत्थर की सप्लाई जारी है. पिछले दिनों आचार संहिता के कारण इन कार्यों में देरी हुई. लेकिन हम इन्हें जल्द पूरा करने के प्रयास में है. काम की क्वालिटी के सवाल पर उन्होंने कहा कि जो भी डिजाइन और ड्राइंग मंजूर हुई है. उसी के हिसाब से काम को तसल्ली से पूरा किया जा रहा है.

'अभी काम जारी है': उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. इसके लिए एक कंट्रोल रूम और हेल्पलाइन नंबर के साथ संवेदनशील स्थानों पर मशीनरी का प्रबंध भी किया जा रहा है. एसडीओ ने यमुना क्षेत्र में सभी संवेदनशील स्थानों को सेफ जोन में लाने का की बात भी कही. उन्होंने कहा कि कुंडा कला व अन्य स्थानों पर अधिकतर मरम्मत का काम है जो किया जा रहा है. तटबंध टूटने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब तेज बारिश आती है और पानी का बहाव अधिक होता है तो तटबंधों को नुकसान होता है. इन्हें पत्थर डालकर मजबूत किया जा रहा है.

'हर साल रिपेयर किए जाते हैं स्टड': करनैल सिंह ने कहा कि चाहे यूपी की तरफ हो या हरियाणा दोनों तरफ ही स्टड बनाए जाते हैं और हर साल इन्हें रिपेयर करने की आवश्यकता पड़ती है. यमुना में अवैध खनन के सवाल पर उन्होंने कहा कि करनाल जिले में ऐसी कोई स्थिति नहीं है. जहां भी खनन हो रहा है वह कानूनन चल रहा है.

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