नई दिल्लीः देश में ट्रेड यूनियन के चुनावों में रेलवे के ट्रेड यूनियन का चुनाव सबसे बड़ा चुनाव माना जाता है. रेलवे के ट्रेड यूनियन का चुनाव देशभर के सभी 17 जोन में 4, 5 और 6 नवंबर को होंगे. इसके लिए सभी जोन में क्षेत्रीय व राष्ट्रीय स्तर के संगठन चुनाव लड़ रहे हैं. जो भी संगठन नौ जोन में जीत दर्ज करेगा उसी राष्ट्रीय स्तर की यूनियन का दर्जा मिलेगा और वही यूनियन कर्मचारियों के हितों व अन्य मुद्दों को लेकर रेल मंत्रालय व रेलवे बोर्ड से बात करेगी.
ट्रेड यूनियन के चुनाव के संबंध में ईटीवी भारत संवाददाता धनंजय वर्मा ने ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) के राष्ट्रीय महासचिव शिव गोपाल मिश्रा से बात की तो उन्होंने इस चुनाव के महत्व और अन्य पहलुओं की जानकारी दी.
एआईआरएफ के राष्ट्रीय महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि रेलवे के ट्रेड यूनियन का चुनाव 2013 में हुआ था. 11 साल बाद चुनाव हो रहा है, जबकि चुनाव साल 2019 में हो जाना चाहिए था. चुनाव को कराने के लिए कोर्ट में जाना पड़ा. इसके बाद 4, 5 और 6 दिसंबर को रेल मंत्रालय रेलवे के यूनियन की मान्यता के चुनाव करा रहा है. जो भी जीतकर आएगा उसे की मान्यता दी जाएगी और वही मंत्रालय से बात कर पाएगा. इस चुनाव से यह पता चलेगा कि जो भी ट्रेड यूनियन काम कर रही हैं. उनमें कौन सी पॉपुलर है और किसको कितना वोट शेयर मिल रहा है.
11 लाख रेल कर्मचारी इस चुनाव में लेंगे भाग
शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि देशभर के 11 लाख कर्मचारियों के इस चुनाव में भाग लेने की उम्मीद है. करीब 85 प्रतिशत वोट पड़ने के आसार हैं. तीन दिन में मतदान इसीलिए हो रहा है क्योंकि जो रनिंग स्टाफ हैं और ट्रेन लेकर बाहर गए हैं वह वापस आकर मतदान कर सकें. उत्तर रेलवे में पांच यूनियन चुनाव लड़ रही हैं. यह चुनाव वैलेट पेपर के जरिए होगा. 12 दिसंबर तक इस चुनाव का परिणाम निकलेगा.
रेलवे को निजीकरण से बचाना इस चुनाव का प्रमुख मुद्दा-शिव गोपाल मिश्रा
शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि एक महीने से इस चुनाव के लिए प्रचार प्रसार किया जा रहा है. सबसे बड़ा मुद्दा रेलवे को निजीकरण से बचाना है. सातवां पे कमीशन लागू हुए 10 साल पूरे होने के है. ऐसे में आठवां पे कमीशन लाना जरूरी है. खाली पदों को भरा जाना चाहिए, जिससे कर्मचारियों का तनाव कम हो सके. कर्मचारियों के वर्किंग कंडीशन में सुधार होना चाहिए. रेलवे के क्वार्टर बहुत खराब हैं. कर्मचारियों के प्रमोशन समेत अन्य मुद्दों को हम लोगों ने व्यापक स्तर पर रखने का काम किया. हमारी एसोसिएशन आने के बाद इन्हें लागू कराने का काम किया जाएगा.
राष्ट्रीय संगठन के लिए 9 जोन में जीतना जरूरी
शिव गोपाल मिश्रा ने बताया कि जो संस्था नौ जोन में जीतकर आती थी, राष्ट्रीय स्तर पर उसको मान्यता मिल जाती है. एआईआरएफ को मान्यता मिलने में समस्या नहीं आती है क्योंकि यह 100 साल पुरानी संस्था है. नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन रेलवेमेंस (एनएफआईआर) 2009 से राष्ट्रीय संस्था है. शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि राष्ट्रीय संस्था के दर्जे के लिए नौ जोन में जीतना जरूरी है. 2009 में कांग्रेस की सरकार थी. मैं रेलवे कर्मचारियों से बढ़-चढ़कर मतदान करने की अपील करता हूं क्योंकि एआईआरएफ ने क्षेत्रीय संगठनों के साथ रेल को बचाने का काम किया है. तमाम मांगे पूरी करनी है तो एक लड़ने वाली यूनियन को इस चुनाव के जरिए लाना पड़ेगा.
पेंशन स्कीम में कराएंगे संशोधन
शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि लोग ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग कर रहे थे. लेकिन सरकर यूनीफाइड पेंशन स्कीम लेकर आई है. इसमें भी बहुत सी खामियां हैं. इसमें संशोधन लिए बात की जाएगा. कुछ चीजें यूपीएस में बेहतर भी हैं. हमने कर्मचारियों से इस मुद्दे पर समय मांगा हुआ है.
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