गोरखपुर: रेलवे बोर्ड ने मॉर्डन कोच फैक्ट्री रायबरेनी में बिना परीक्षा के ही दो अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर दी थी. मामले में अब बड़ी कार्रवाई हुई है. गोरखपुर रेलवे भर्ती बोर्ड के चेयरमैन नुरुद्दीन अंसारी को निलंबित कर दिया गया है. इस कार्रवाई के बाद अफसरों और कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है.
ये नियुक्ति 26 अप्रैल 2024 को टेक्निकल ग्रेड थर्ड फिटर के पद पर हुई थी. नियुक्ति प्रक्रिया की समीक्षा में पाया गया कि क्रमांक संख्या छह पर सौरभ कुमार और सात पर राहुल प्रताप के नाम गलत तरीके से शामिल किए गए. इसके बाद सौरभ कुमार और राहुल प्रताप के नाम पैनल से हटा दिए गए.
इस बीच, रेलवे बोर्ड अध्यक्ष ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए गोरखपुर आरआरबी के चेयरमैन नुरुद्दीन अंसारी को निलंबित कर दिया. इतना ही नहीं अगले आदेश तक पैनल के अन्य उम्मीदवारों की भर्ती रोकने को भी कहा गया है. उम्मीदवारों के नामों की समीक्षा के लिए नया पैनल जल्द ही घोषित किया जाएगा.
वहीं, रेलवे बोर्ड के डायरेक्टर (इस्टेब्लिशमेंट) रवींद्र पांडेय ने सीपीओ अवधेश कुमार को आरआरबी गोरखपुर के चेयरमैन का अतिरिक्त प्रभार देने के संबंध में पत्र भी जारी कर दिया है. इस फर्जी नियुक्ति में जो नाम शामिल किए गए हैं, उनके पिता भी रेलकर्मी हैं. नियुक्ति की लिस्ट में जिन दो नामों को गलत तरीके से शामिल किया गया था, उनमें एक के पिता सेवानिवृत पैनल इंचार्ज तो दूसरे के आरआरबी चेयरमैन के निजी सहायक हैं.
मामला प्रकाश में आने के बाद निजी सहायक को सिग्नल कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया है. रेलवे भर्ती बोर्ड कार्यालय में तैनात इन रेल कर्मियों ने अपने बेटों को भर्ती पैनल में शामिल कर नौकरी दिला दी थी. अपने बेटों का नाम शामिल कर इन्होंने पैनल में 7 की जगह 9 अभ्यर्थी कर दिए थे. रेलवे भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष के हस्ताक्षर से ही पैनल जारी कर दिया गया था.
भर्ती में फर्जीवाड़े का यह पहला मामला नहीं है. दिल्ली रेलवे विजिलेंस की टीम ने एक शिकायत पर 9 नवंबर 2022 में रेलवे भर्ती बोर्ड गोरखपुर के कार्यालय में छापेमारी की थी और अनियमितता मिलने पर रेलवे बोर्ड ने गोरखपुर के तत्कालीन अध्यक्ष सहित कार्यालय के सभी कर्मचारियों को हटाने का निर्देश जारी कर दिया था. इसके बाद भी कार्यालय के दो कर्मचारी नहीं हटाए गए और इन्होंने मॉडर्न कोच फैक्ट्री रायबरेली में फर्जी ढंग से अपने बेटों को नौकरी दिला दी.
यही नहीं भर्ती बोर्ड कार्यालय के कर्मचारियों ने तकनीशियन और लोको पायलट की भर्ती में भी लखनऊ और वाराणसी मंडल में रिक्त पदों के सापेक्ष डेढ़ गुना अधिक भर्ती का विज्ञापन निकालकर परीक्षा प्रारंभ करा दी थी. 1681 अभ्यर्थियों की परीक्षा के बाद भर्ती आरंभ हुई तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ.
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष के हटाए जाने के बाद पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य कार्मिक अधिकारी नूरुद्दीन अंसारी को भर्ती बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था. बोर्ड अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने दो कर्मचारियों को तो रखा ही कार्मिक विभाग से हटाए गए एक क्लर्क को भी बुला लिया. जानकारों का कहना है कि रेलवे भर्ती बोर्ड की भर्ती प्रक्रिया और पैनल का ढंग से निरीक्षण और समीक्षा की जाए तो इस तरह के कई मामले खुलेंगे.
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