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यहां रहते हैं सांपों के 'भगवान', मंदिर में आते ही बेअसर हो जाता है जहर, पढ़िए रायबरेली के इस धाम की पूरी कहानी - Raebareli Astik Dham Temple

रायबरेली के आस्तिक धाम मंदिर काफी प्राचीन है. मान्यता है कि यहां सांपों के भगवान रहते हैं. इस मंदिर में एक बार दर्शन कर लेने से पूरे साल सांप नजदीक नहीं आते हैं. नागपंचमी के दिन यहां पर खंभिया चढ़ाने के लिए भक्तों की भीड़ जुटती है.

नाग पंचमी पर जुटती है भीड़.
नाग पंचमी पर जुटती है भीड़. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 9, 2024, 9:52 AM IST

आस्तिक मंदिर से जुड़ी है लोगों की आस्था. (Video Credit; ETV Bharat)

रायबरेली : आज पूरे देश में नाग पंचमी मनाई जा रही है. जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर गंगागंज में बाबा आस्तिक धाम मंदिर में भी सुबह से ही लोगों की भीड़ लगी हुई है. मंदिर महाभारत कालीन बताया जाता है. मान्यता है कि यदि किसी भी व्यक्ति को सांप ने काट लिया है तो इस मंदिर में पहुंचने मात्र से ही वह ठीक हो जाता है. यह भी मान्यता है कि आस्तिक बाबा का नाम लेने से सांपों का भय नहीं सताता है.

सावन माह की चतुर्दशी को आस्तिक बाबा मंदिर का विशाल मेला लगता है. इसमें रायबरेली जनपद समेत आसपास के जिलों के भी लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. लोगों का मानना है कि नागपंचमी वाले दिन यहां पर खंभिया चढ़ाने से सांपों के भय से मुक्ति मिलने के साथ ही उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. खंभिया लकड़ी का बनी एक चीज होती है, जिसके कोने काटकर बीच में कील ठोकी जाती है.

नाग पंचमी के एक दिन पहले ही उमड़ती है भीड़ : आस्तिक बाबा मंदिर के पुजारी सुरेश कुमार तिवारी ने बताया कि मंदिर पर नाग पंचमी के 1 दिन पहले लाखों की संख्या में श्रद्धालु इसलिए आते हैं, जिससे उन्हें साल भर सांप के कोप का शिकार न होना पड़े. पूर्वज बताते थे कि इस मंदिर से पांडवों का भी जुड़ाव रहा है. राजा परीक्षित जंगल में शिकार करने गए थे. उनके बाण से एक हिरण घायल हो गया, लेकिन, वह अचानक गायब हो गया.

राजा परीक्षित ने गले में डाला था सांप : राजा ने आसपास देखा तो उन्हें पास में बैठे एक ऋषि दिखाई दिए. उन्होंने उनसे हिरण के बारे में पूछा. इस पर ऋषि ने कुछ नहीं बताया. इस पर राजा परीक्षित ने उनके गले में एक मृत सांप को डाल दिया. इस पर ऋषि के पुत्र श्रृंगी ने यह सब देखा तो उन्होंने राजा को श्राप दे दिया कि उन्हें एक सप्ताह के अंदर सबसे जहरीला सर्प तक्षक डस लेगा.

जन्मेजय ने किया सर्प यज्ञ : हुआ भी ऐसा ही. इसके बाद राजा के पुत्र जन्मेजय ने सांपों को भस्म करने के लिए विशाल यज्ञ का अनुष्ठान किया. इसमें सांप भस्म होने लगे. तक्षक की भी बारी आने वाली थी. इस पर ऋषि आस्तिक ने यज्ञ को बंद करवा कर सांपों को बचा लिया. मान्यता है कि सांपों ने ऋषि आस्तिक को आशीर्वाद दिया था कि जो भी उनकी स्तुति करेगा, उनका नाम लेगा, वह कभी उनके आसपास भी नहीं जाएंगे.

परिवार समेत दर्शन के लिए आते हैं लोग : बाद में ऋषि आस्तिक के नाम पर ही आस्तिक मंदिर की स्थापना हुई. मंदिर में परिवार के साथ दर्शन करने आई रायबरेली के हरचंदपुर थाना क्षेत्र की महिला श्रद्धालु अनिता ने बताया कि वह बीते 14 वर्षों से अपने परिवार के साथ इस मंदिर में दर्शन के लिए आती हैं. आस्तिक देव महाराज उनकी सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं. वह बताती हैं कि नाग पंचमी के दिन उनका पूरा परिवार यहां पर रुक कर बाबा के आरती में शामिल होता है.

मंदिर से जुड़ी कई अन्य कहानियां भी हैं. हालांकि कभी इसका वैज्ञानिक आधार नहीं मिला, न ही कभी इस तरह के दावों की पुष्टि हुई है. कई सालों से चली आ रहीं मान्यताएं ही लोगों में आस्था जगाती रहीं हैं. सांप के डसने पर तत्काल अस्पताल पहुंचना ही सबसे बेहतर रहता है. ईटीवी भारत किसी भी तरह से अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता है.

यह भी पढ़ें : नाग देवता का रहस्यमयी मंदिर, आज तक कोई नहीं डलवा पाया छत, यहां से पत्थर ले जाने पर मिलती है सजा, पढ़िए डिटेल

आस्तिक मंदिर से जुड़ी है लोगों की आस्था. (Video Credit; ETV Bharat)

रायबरेली : आज पूरे देश में नाग पंचमी मनाई जा रही है. जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर गंगागंज में बाबा आस्तिक धाम मंदिर में भी सुबह से ही लोगों की भीड़ लगी हुई है. मंदिर महाभारत कालीन बताया जाता है. मान्यता है कि यदि किसी भी व्यक्ति को सांप ने काट लिया है तो इस मंदिर में पहुंचने मात्र से ही वह ठीक हो जाता है. यह भी मान्यता है कि आस्तिक बाबा का नाम लेने से सांपों का भय नहीं सताता है.

सावन माह की चतुर्दशी को आस्तिक बाबा मंदिर का विशाल मेला लगता है. इसमें रायबरेली जनपद समेत आसपास के जिलों के भी लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. लोगों का मानना है कि नागपंचमी वाले दिन यहां पर खंभिया चढ़ाने से सांपों के भय से मुक्ति मिलने के साथ ही उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. खंभिया लकड़ी का बनी एक चीज होती है, जिसके कोने काटकर बीच में कील ठोकी जाती है.

नाग पंचमी के एक दिन पहले ही उमड़ती है भीड़ : आस्तिक बाबा मंदिर के पुजारी सुरेश कुमार तिवारी ने बताया कि मंदिर पर नाग पंचमी के 1 दिन पहले लाखों की संख्या में श्रद्धालु इसलिए आते हैं, जिससे उन्हें साल भर सांप के कोप का शिकार न होना पड़े. पूर्वज बताते थे कि इस मंदिर से पांडवों का भी जुड़ाव रहा है. राजा परीक्षित जंगल में शिकार करने गए थे. उनके बाण से एक हिरण घायल हो गया, लेकिन, वह अचानक गायब हो गया.

राजा परीक्षित ने गले में डाला था सांप : राजा ने आसपास देखा तो उन्हें पास में बैठे एक ऋषि दिखाई दिए. उन्होंने उनसे हिरण के बारे में पूछा. इस पर ऋषि ने कुछ नहीं बताया. इस पर राजा परीक्षित ने उनके गले में एक मृत सांप को डाल दिया. इस पर ऋषि के पुत्र श्रृंगी ने यह सब देखा तो उन्होंने राजा को श्राप दे दिया कि उन्हें एक सप्ताह के अंदर सबसे जहरीला सर्प तक्षक डस लेगा.

जन्मेजय ने किया सर्प यज्ञ : हुआ भी ऐसा ही. इसके बाद राजा के पुत्र जन्मेजय ने सांपों को भस्म करने के लिए विशाल यज्ञ का अनुष्ठान किया. इसमें सांप भस्म होने लगे. तक्षक की भी बारी आने वाली थी. इस पर ऋषि आस्तिक ने यज्ञ को बंद करवा कर सांपों को बचा लिया. मान्यता है कि सांपों ने ऋषि आस्तिक को आशीर्वाद दिया था कि जो भी उनकी स्तुति करेगा, उनका नाम लेगा, वह कभी उनके आसपास भी नहीं जाएंगे.

परिवार समेत दर्शन के लिए आते हैं लोग : बाद में ऋषि आस्तिक के नाम पर ही आस्तिक मंदिर की स्थापना हुई. मंदिर में परिवार के साथ दर्शन करने आई रायबरेली के हरचंदपुर थाना क्षेत्र की महिला श्रद्धालु अनिता ने बताया कि वह बीते 14 वर्षों से अपने परिवार के साथ इस मंदिर में दर्शन के लिए आती हैं. आस्तिक देव महाराज उनकी सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं. वह बताती हैं कि नाग पंचमी के दिन उनका पूरा परिवार यहां पर रुक कर बाबा के आरती में शामिल होता है.

मंदिर से जुड़ी कई अन्य कहानियां भी हैं. हालांकि कभी इसका वैज्ञानिक आधार नहीं मिला, न ही कभी इस तरह के दावों की पुष्टि हुई है. कई सालों से चली आ रहीं मान्यताएं ही लोगों में आस्था जगाती रहीं हैं. सांप के डसने पर तत्काल अस्पताल पहुंचना ही सबसे बेहतर रहता है. ईटीवी भारत किसी भी तरह से अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता है.

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