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मथुरा में राधा-कृष्ण की लीलाओं के साथ फूलों संग उड़ा अबीर-गुलाल, होली के रंग में सराबोर हुए हजारों श्रद्धालु

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 14, 2024, 6:18 PM IST

Updated : Mar 14, 2024, 8:24 PM IST

यूपी के मथुरा में गुरु शरणानंद महाराज के आश्रम रमन रेती में चार दिवसीय (Raman Reti Ashram in Mathura) होली महोत्सव कार्यक्रम का समापन हुआ. मंच पर राधा कृष्ण की लीलाएं कलाकारों द्वारा पेश की गईं तो वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद कलाकारों ने जमकर होली खेली.

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होली के रंग में सराबोर हुए हजारों श्रद्धालु

मथुरा : भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ा स्थली गोकुल के गुरु शरणानंद महाराज के आश्रम रमन रेती में चार दिवसीय होली महोत्सव कार्यक्रम का समापन हुआ. राधा कृष्ण की लीलाओं के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम, फिर लड्डू की होली, फूलों की होली, लट्ठमार होली और रंग-गुलाल से होली खेली गई. दूरदराज से आए हजारों श्रद्धालुओं ने होली का अद्भुत आनंद लिया. गोकुल में 21 मार्च को छड़ी मार होली खेली जाएगी.


रमण रेती आश्रम में हुई होली : प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी गुरु शरणानंद महाराज के आश्रम में गुरुवार को चार दिवसीय श्री कृष्ण गोपाल महोत्सव कार्यक्रम का समापन हुआ. मंच पर राधा कृष्ण की लीलाएं कलाकारों द्वारा पेश की गईं तो वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद कलाकारों ने जमकर होली खेली. रमण रेती आश्रम स्थित गुरु शरणानंद महाराज के यहां होली महोत्सव को लेकर एक माह पूर्व तैयारी शुरू हो जाती है. होली में रंग और गुलाल टेसू के फूलों से तैयार किए जाते हैं. साधु संतों के सानिध्य में दूर दराज से श्रद्धालु यहां आकर होली का आनंद लेते हैं. होली के रसिया गीतों पर श्रद्धालु भी झूमने पर मजबूर हो जाते हैं तो वहीं युवा बुजुर्ग महिला और बच्चे भी होली का आनंद लेते हैं.


ब्रज में 40 दिनों तक होती है होली : ब्रज में होली खेलने का एक अनोखा ही आनंद है. बसंत पंचमी के दिन से ब्रज में होली की शुरुआत हो जाती है और पूरे 40 दिनों तक होली के अनेक रंग देखने को मिलते हैं. मंदिरों से लेकर आश्रम और मथुरा, गोकुल, बरसाना, नंदगांव, दाऊजी सभी क्षेत्रों में होली अनेक प्रकार की होती है. कहीं फूलों की होली, लड्डुओं की होली, रंग गुलाल के साथ लठ्ठमार होली भी खेलने के लिए श्रद्धालु यहां लाखों की संख्या में पहुंचते हैं.


पौराणिक मान्यता : पौराणिक मानता है कि फागुन की होली खेलने के लिए धरती लोक पर देवी-देवता आते हैं और होली का अद्भुत आनंद लेते हैं. क्योंकि द्वापर युग में राधा रानी की सखियों ने कृष्ण भगवान को अकेला पाकर चारों तरफ से घेर लिया था और नटखट कन्हैया कृष्ण भगवान ने छड़ी से गोपियों के साथ होली खेली थी. द्वापर युग की परंपरा आज भी ब्रज में देखने को मिलती है.



नागेंद्र महाराज संत ने बताया कि आज गुरु शरणानंद महाराज के आश्रम में होली महोत्सव कार्यक्रम का समापन हुआ. होली भव्य और दिव्यता के साथ खेली गई. दूर दराज से आए श्रद्धालुओं ने होली का आनंद लिया. गुरु जी के आश्रम में होली अनोखे अंदाज में खेली जाती है. महिला श्रद्धालु ने बताया कि गुरुजी के आश्रम में होली प्रतिवर्ष खेलने के लिए हम लोग यहां आते हैं. साथ में ठाकुर जी को भी लेकर आए हैं, यहां की होली बहुत प्रसिद्ध है. इस दौरान अनेक प्रकार की होली खेली गई.

विधवा माताओं ने खेली फूलों की होली : कान्हा की नगरी मथुरा में बसंत पंचमी से ही होली की शुरुआत हो जाती है. देश ही नहीं विदेशों से भी भारी संख्या में श्रद्धालु भक्त होली खेलने के लिए मथुरा पहुंचते हैं. ब्रज के प्रमुख मंदिरों में रंगों और फूलों की होली खेली जाती है. इसी क्रम में गुरुवार को धर्म नगरी वृंदावन के परिक्रमा मार्ग स्थित मैत्री घर में सभी परंपराओं को तोड़कर रूढ़िवादी परंपराओं और अपनों से दूर रहकर हर्षोल्लास के साथ विधवा माताओं ने फूलों की होली खेली. इस दौरान विधवा माताएं भक्ति के गीतों पर नाचते हुए और गाते हुए और एक दूसरे को बधाई देते हुए नजर आईं, इस दौरान उनके चेहरे की खुशी देखते ही बन रही थी. समाजसेविका बिन्नी सिंह ने बताया कि इस होली को देखने वाले अपने आप ही आनंदित हो जाते हैं और फूलों के साथ होली खेलने में जो हर्ष आता है उसको आप अक्षरों में बयां नहीं कर सकते. यह सभी विधवा माताएं हैं.


यह भी पढ़ें : मथुरा में कृष्ण गोपाल महोत्सव: बाबा रामदेव ने कहा- सनातन धर्म अब युग धर्म की ओर बढ़ रहा

यह भी पढ़ें : बांके बिहारी मंदिर में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, व्यवस्थाएं हुईं ध्वस्त

होली के रंग में सराबोर हुए हजारों श्रद्धालु

मथुरा : भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ा स्थली गोकुल के गुरु शरणानंद महाराज के आश्रम रमन रेती में चार दिवसीय होली महोत्सव कार्यक्रम का समापन हुआ. राधा कृष्ण की लीलाओं के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम, फिर लड्डू की होली, फूलों की होली, लट्ठमार होली और रंग-गुलाल से होली खेली गई. दूरदराज से आए हजारों श्रद्धालुओं ने होली का अद्भुत आनंद लिया. गोकुल में 21 मार्च को छड़ी मार होली खेली जाएगी.


रमण रेती आश्रम में हुई होली : प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी गुरु शरणानंद महाराज के आश्रम में गुरुवार को चार दिवसीय श्री कृष्ण गोपाल महोत्सव कार्यक्रम का समापन हुआ. मंच पर राधा कृष्ण की लीलाएं कलाकारों द्वारा पेश की गईं तो वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद कलाकारों ने जमकर होली खेली. रमण रेती आश्रम स्थित गुरु शरणानंद महाराज के यहां होली महोत्सव को लेकर एक माह पूर्व तैयारी शुरू हो जाती है. होली में रंग और गुलाल टेसू के फूलों से तैयार किए जाते हैं. साधु संतों के सानिध्य में दूर दराज से श्रद्धालु यहां आकर होली का आनंद लेते हैं. होली के रसिया गीतों पर श्रद्धालु भी झूमने पर मजबूर हो जाते हैं तो वहीं युवा बुजुर्ग महिला और बच्चे भी होली का आनंद लेते हैं.


ब्रज में 40 दिनों तक होती है होली : ब्रज में होली खेलने का एक अनोखा ही आनंद है. बसंत पंचमी के दिन से ब्रज में होली की शुरुआत हो जाती है और पूरे 40 दिनों तक होली के अनेक रंग देखने को मिलते हैं. मंदिरों से लेकर आश्रम और मथुरा, गोकुल, बरसाना, नंदगांव, दाऊजी सभी क्षेत्रों में होली अनेक प्रकार की होती है. कहीं फूलों की होली, लड्डुओं की होली, रंग गुलाल के साथ लठ्ठमार होली भी खेलने के लिए श्रद्धालु यहां लाखों की संख्या में पहुंचते हैं.


पौराणिक मान्यता : पौराणिक मानता है कि फागुन की होली खेलने के लिए धरती लोक पर देवी-देवता आते हैं और होली का अद्भुत आनंद लेते हैं. क्योंकि द्वापर युग में राधा रानी की सखियों ने कृष्ण भगवान को अकेला पाकर चारों तरफ से घेर लिया था और नटखट कन्हैया कृष्ण भगवान ने छड़ी से गोपियों के साथ होली खेली थी. द्वापर युग की परंपरा आज भी ब्रज में देखने को मिलती है.



नागेंद्र महाराज संत ने बताया कि आज गुरु शरणानंद महाराज के आश्रम में होली महोत्सव कार्यक्रम का समापन हुआ. होली भव्य और दिव्यता के साथ खेली गई. दूर दराज से आए श्रद्धालुओं ने होली का आनंद लिया. गुरु जी के आश्रम में होली अनोखे अंदाज में खेली जाती है. महिला श्रद्धालु ने बताया कि गुरुजी के आश्रम में होली प्रतिवर्ष खेलने के लिए हम लोग यहां आते हैं. साथ में ठाकुर जी को भी लेकर आए हैं, यहां की होली बहुत प्रसिद्ध है. इस दौरान अनेक प्रकार की होली खेली गई.

विधवा माताओं ने खेली फूलों की होली : कान्हा की नगरी मथुरा में बसंत पंचमी से ही होली की शुरुआत हो जाती है. देश ही नहीं विदेशों से भी भारी संख्या में श्रद्धालु भक्त होली खेलने के लिए मथुरा पहुंचते हैं. ब्रज के प्रमुख मंदिरों में रंगों और फूलों की होली खेली जाती है. इसी क्रम में गुरुवार को धर्म नगरी वृंदावन के परिक्रमा मार्ग स्थित मैत्री घर में सभी परंपराओं को तोड़कर रूढ़िवादी परंपराओं और अपनों से दूर रहकर हर्षोल्लास के साथ विधवा माताओं ने फूलों की होली खेली. इस दौरान विधवा माताएं भक्ति के गीतों पर नाचते हुए और गाते हुए और एक दूसरे को बधाई देते हुए नजर आईं, इस दौरान उनके चेहरे की खुशी देखते ही बन रही थी. समाजसेविका बिन्नी सिंह ने बताया कि इस होली को देखने वाले अपने आप ही आनंदित हो जाते हैं और फूलों के साथ होली खेलने में जो हर्ष आता है उसको आप अक्षरों में बयां नहीं कर सकते. यह सभी विधवा माताएं हैं.


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Last Updated : Mar 14, 2024, 8:24 PM IST
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