राजनांदगांव: राजनांदगांव में ढोल ग्यारस यानी कि एकादशी के दिन शनिवार को अनोखी परंपरा निभाई गई. यहां हर साल भादो शुक्ल पक्ष एकादशी के मौके पर भगवान कृष्ण और राधा जी के सभी मंदिरों से भगवान की मूर्तियों को शहर में भ्रमण करा कर जल क्रीड़ा कराया गया. शहर के रानी सागर तालाब में पहुंचकर भगवान को नौका विहार कराया गया. इस दौरान विधि विधान से पूजा अर्चना की गई.
सालों से चली आ रही परम्परा: राजनांदगांव में राजाओं के समय से ये अनोखी परंपरा चलती आ रही है. परंपरा के अनुसार भादो मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हर कोई भगवान कृष्ण और राधा की प्रतिमा को मंदिर से निकाल कर पूरे शहर में भ्रमण कराते हैं. इसके बाद जल क्रीड़ा कराया जाता है फिर शहर के रानी सागर तालाब में नौका विहार कर भगवान की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान राधा, कृष्ण, बलदाऊ सभी को नाव पर बैठाकर घुमाया जाता है. रानी सागर तालाब में नौका विहार का कार्यक्रम हर साल किया जाता है.
"ये एकादशी, जल झूलनी एकादशी के नाम से प्रसिद्ध है. शहर के विभिन्न मंदिरों से भगवान राधा-कृष्ण और बालकृष्ण को अपने-अपने मंदिरों से डालों में सजा कर भ्रमण कराया जाता है. कई लोग अपने घरों से राधा कृष्ण को लेकर नगर भ्रमण करते हुए शहर के रानी सागर आते हैं. संस्कारधानी राजनांदगांव में रजवाड़ों के समय से यह परंपरा चली आ रही है. विभिन्न मंदिरों के भगवान शोभायात्रा के रूप में यहां रानी सागर आते हैं. रानी सागर में नौका विहार का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है.": अशोक लोहिया, सदस्य, संस्कारधानी, जल क्रीड़ा महोत्सव समिति
बता दें कि सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार भगवान को नौका पर बैठा कर जल क्रीड़ा कराने की परंपरा है. राजनांदगांव में यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है. इस दिन राजनांदगांव शहर के रानी सागर तालाब में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. इस दौरान लोगों की भीड़ देखते ही बनती है. इसके बाद लोग वापस भगवान की मूर्ति को मंदिर में स्थापित कर देते हैं.