रांचीः संथाल प्रमंडल के नाला से झामुमो के विधायक रबींद्रनाथ महतो को दोबारा स्पीकर पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है. उन्हें सर्वसम्मति से विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया है. छठे विधानसभा के प्रथम सत्र के पहले संबोधन में रबींद्रनाथ महतो ने दोबारा दायित्व निर्वहन का अवसर देने पर सीएम हेमंत सोरेन समेत सभी सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया. चुनाव में 67 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं के भाग लेने पर उन्होंने राज्य की जनता के प्रति आभार जताया.
विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो ने कहा कि जनता की अपेक्षाएं, आशाएं और आकांक्षाएं बढ़ी हैं. इसे बेहतर तरीके से पूरा करने के लिए सामूहिक प्रयास जरुरी है. छठी विधानसभा एक नये विजन, नये संकल्प की सभा होनी चाहिए. महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्थक चर्चा और संवाद हो. पहली बार चुनाव जीतकर आए सदस्यों का अभिनंदन करते हुए स्पीकर ने कहा कि उन्हें आशा है कि पहली बार चुनकर आए सदस्यगण सदन के नियमों, परंपराओं और परिपाटियों का अध्ययन कर वरिष्ठों के अनुभव का लाभ उठाकर श्रेष्ठ संसदीय परंपरा का पालन करेंगे.
स्पीकर ने सदस्यों से उम्मीद जताते हुए कहा कि आप लोक कल्याण के लिए ऐसी नीतियां, कानून बनाएं, जिससे समाज के शोषित, पीड़ित और वंचित वर्गों का उत्थान हो सके. उन्होंने कहा कि यह सदन सभी पक्षों के विचारों वाली सदन हो. सहमति और असहमति हमारे लोकतंत्र की ताकत है. अलग-अलग विचारधाराओं के बाद भी राज्य का हित सर्वोपरि है.
स्पीकर ने कहा कि सदन पक्ष और विपक्ष दोनों से मिलकर चलता है. विपक्ष सरकार का आईना होता है. लोकतंत्र की यही ताकत है कि सबकी बात सुनी जाए. सहमति से सदन चले और मेरी अपेक्षा है कि मैं सबकी सहमति से सदन चलाऊं. साढ़े तीन करोड़ जनता की इस सदन से आशाएं बंधी हैं. उनके हित में और उनके लिए इस महापंचायत से समुचित कार्य होना चाहिए. लेकिन यह भी सत्य है कि कई बार गतिरोध के कारण जरुरी कार्य नहीं हो पाता है.
स्पीकर ने सदस्यों से आग्रह किया कि सदन में गतिरोध ना हो. सदन में आलोचना हो. सदन में विचार व्यक्त हो. अभिव्यक्ति हो लेकिन गतिरोध सदन की परंपरा नहीं है. उन्होंने कहा कि दिशोम गुरू शिबू सोरेन ने राज्य निर्माण के आंदोलन के समय से ही राजनीतिक और सामाजिक रुप से सहनशील, जुझारु, निष्ठावान कार्यकर्ता तैयार करने का प्रयास किया है.
स्पीकर ने उम्मीद जताई कि सदन में उनके विचारों का प्रतिबिंब परिलक्षित हो. स्पीकर ने कहा कि कभी-कभी सदन की परंपरा और मर्यादा कायम रखने के लिए कठोर निर्णय भी लेने पड़ते हैं. उन्होंने अपेक्षा जतायी कि षष्टम विधानसभा में एक उच्च कोटि का बेहतर संवाद हो, चर्चा हो.
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