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जयपुर की पहचान MI रोड के वजूद पर सवाल, भाजपा विधायक ने छेड़ा मामला, जानें क्या है पूरा माजरा - Jaipur Identity MI Road

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 5, 2024, 8:18 PM IST

Updated : Aug 5, 2024, 10:03 PM IST

Jaipur MI Road In Discussion, जयपुर जैसे ऐतिहासिक शहर की पहचान यहां की गलियां, इमारतें और बाजार हैं. इन बाजारों में प्राचीन और आधुनिक वास्तुकला का उदाहरण मिर्जा इस्माइल रोड यानी एमआई रोड पर नजर आता है. जयपुर के सिविल लाइंस से विधायक गोपाल शर्मा ने अब इस सड़क का नाम बदलने की मांग विधानसभा में उठाई है. हालांकि, बाजार के लोग भाजपा विधायक के इस रुख से इत्तेफाक नहीं रखते हैं.

Jaipur MI Road In Discussion
जयपुर की पहचान MI रोड के वजूद पर सवाल (ETV BHARATGFX)
राजस्थान विधानसभा (ETV BHARAT JAIPUR)

जयपुर : 18 नवंबर, 1727 को बसे जयपुर शहर की खूबसूरती पूरी दुनिया में मशहूर है. जयपुर शहर का सबसे व्यस्त और लंबा बाजार एमआई रोड भी अपने दामन में खूबसूरती, इतिहास और वास्तुकला को समेटे हुए है. अब जयपुर की सिविल लाइन विधानसभा सीट से भाजपा विधायक गोपाल शर्मा ने इस सड़क का नाम बदलने की मांग की है. बीते दिनों विधानसभा में बोलने के बाद वे लगातार इस बात का जिक्र कर रहे हैं और मिर्जा इस्माइल रोड का नाम गोविंद देव मार्ग किया जाए.

जयपुर के इन हिस्सों के नाम बदलने की मांग : गोपाल शर्मा के जगहों के नाम बदलने के सुझाव यहीं नहीं रुके, बल्कि उन्होंने रामगंज को प्रभु रामगंज, अल्बर्ट हॉल म्यूजियम को सवाई रामसिंह संग्रहालय, किंग एडवर्ड मेमोरियल यादगार को गिरधारीलाल भार्गव भवन, चौगान स्टेडियम को भंवरलाल शर्मा स्टेडियम और सिविल लाइंस से जुड़े हटवाड़ा को हरिपुरा, हसनपुरा को संत रविदास नगर और भारत जोड़ो सेतु का नाम बदलकर विकसित भारत सेतु किए जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि भट्टा बस्ती को संत कबीर बस्ती किया जाना चाहिए.

इतिहासकारों ने कही ये बात (ETV BHARAT JAIPUR)

इसे भी पढ़ें - सांस्कृतिक, बौद्धिक और शौर्य का संगम है जयपुर...यहां के हर कण में बसती है सौंधी खुशबू

ये कहा इतिहासकारों ने : इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत कहते हैं कि 1943 में तैयार हुई MI रोड वजूद में आने से पहले अजमेर की ओर रुख करने के कारण, अजमेर रोड नाम से जानी जाती थी. जब इस जगह पर निर्माण खड़े किए गए तो राजा मानसिंह के नाम पर इस सड़क के नामकरण का सुझाव दिया गया था, लेकिन मिर्जा इस्माइल के नाम पर राजा मानसिंह ने इस सड़क का नामकरण कर दिया था.

मिर्जा इस्माइल ने किया था गुलाबी शहर का आधुनिकीकरण : मैसूर के आर्किटेक्ट के जेहन में सड़क को बनाने से पहले लंदन के एक बाजार का चित्र था. इतिहासकार भगत बताते हैं कि जयपुर के राजा का दूर दृष्टिकोण समझते हुए मिर्जा इस्माइल ने गुलाबी शहर का आधुनिकीकरण किया था. उन्होंने इस बात का ख्याल रखा था कि जब देश आजाद होगा, तब भारत में आधुनिक नजरिए से जयपुर की क्या भूमिका रहने वाली है.

इसी कड़ी में उन्होंने एसएमएस अस्पताल का निर्माण भी करवाया तो राजस्थान यूनिवर्सिटी और MI रोड भी जयपुर को मिले. इस सड़क पर मौजूद पांच बत्ती भी लंदन के बाजार की तर्ज पर बनाई गई और बाजार को तैयार करने से पहले बाकायदा इसका नक्शा भी तैयार किया गया था.

Jaipur MI Road In Discussion
मिर्जा इस्माइल ने किया था गुलाबी शहर का आधुनिकीकरण (ETV BHARAT JAIPUR)

इसे भी पढ़ें - विरासत के साथ विकास के पथ पर बढ़ रहा जयपुर, जानिए वर्ल्ड फेमस पिंक सिटी से जुड़ा इतिहास

ऐतिहासिक पहचान रहे कायम : MI रोड व्यापार महासंघ के अध्यक्ष सुरेश सैनी ने कहा कि इस सड़क की पहचान वैश्विक स्तर पर है. बाहर से जयपुर आने वाले लोग MI रोड पर खरीददारी जरूर करते हैं. आजादी के पहले से ही राजधानी की मिर्जा इस्माइल रोड की अपनी एक पहचान है. सैनी ने कहा कि सड़क को नया नाम देने से कुछ विशेष फायदा नहीं होने वाला है. इसलिए ऐतिहासिक पहचान को कायम रखा जाना चाहिए.

ये है MI रोड का इतिहास : 24 अक्टूबर, 1883 को जन्मे मिर्जा इस्माइल ने मैसूर शहर की तर्ज पर और लंदन की एक गली से प्रेरणा लेकर इस खूबसूरत बाजार का निर्माण कराया था. बताया जाता है कि मौजूदा पुलिस कमिश्वनरेट की जगह पर किसी वक्त एक पारसी का होटल हुआ करता था. मिर्जा इस्माइल ने महाराजा मानसिंह से इजाजत लेकर इस होटल का अधिग्रहण कर यहां प्रशासनिक भवन बनाया. गवर्नमेंट हॉस्टल के रूप में पहचानी जाने वाली ये इमारत आज एमआई रोड पर ही मौजूद है.

इसे भी पढ़ें - काबुल के पठानों पर विजय का प्रतीक है जयपुर में फहरने वाला पचरंगा ध्वज

कहा जाता है कि जब मिर्जा इस्माइल जयपुर छोड़कर जाने की तैयारी कर रहे थे तब महाराजा मानसिंह ने उन्हें जयपुर छोड़कर जाने से रोकने के लिए नई सड़क बनाने का काम सौंपा. मानसिंह ने इस सड़क को अपनी निगरानी में बनवाया और इसका नामकरण भी उन्होंने सर मिर्जा इस्माइल रोड कर दिया. जबकि खुद मिर्जा ने इसका नाम एसएमएस हाइवे रखने का सुझाव दिया था. सवाई मानसिंह की तरफ से सड़क का नामकरण सर मिर्जा के नाम पर रखकर एक महाराजा ने अपनी उदारता का परिचय दिया था, जिसका जागीरदार और दरबारियों ने विरोध किया था.

मिर्जा इस्माइल से प्रेरित थे महाराजा मानसिंह : 1942 में महाराजा सवाई मानसिंह ने जयपुर के दक्षिणी भाग के विकास की जिम्मेदारी मैसूर के दीवान मिर्जा इस्माइल को सौंप दी और उन्हें जयपुर शहर का दीवान भी घोषित कर दिया. सवाई महाराजा मानसिंह ने मिर्जा इस्माइल को केवल एक साल के लिए जयपुर का दीवान घोषित किया था, लेकिन जिस तरह से मिर्जा इस्माइल, जयपुर के दक्षिणी हिस्से का विकास कर रहे थे, उससे खुश होकर महाराजा सवाई मानसिंह ने मिर्जा इस्माइल के कार्यकाल को दो साल के लिए बढ़ा दिया था.

राजस्थान विधानसभा (ETV BHARAT JAIPUR)

जयपुर : 18 नवंबर, 1727 को बसे जयपुर शहर की खूबसूरती पूरी दुनिया में मशहूर है. जयपुर शहर का सबसे व्यस्त और लंबा बाजार एमआई रोड भी अपने दामन में खूबसूरती, इतिहास और वास्तुकला को समेटे हुए है. अब जयपुर की सिविल लाइन विधानसभा सीट से भाजपा विधायक गोपाल शर्मा ने इस सड़क का नाम बदलने की मांग की है. बीते दिनों विधानसभा में बोलने के बाद वे लगातार इस बात का जिक्र कर रहे हैं और मिर्जा इस्माइल रोड का नाम गोविंद देव मार्ग किया जाए.

जयपुर के इन हिस्सों के नाम बदलने की मांग : गोपाल शर्मा के जगहों के नाम बदलने के सुझाव यहीं नहीं रुके, बल्कि उन्होंने रामगंज को प्रभु रामगंज, अल्बर्ट हॉल म्यूजियम को सवाई रामसिंह संग्रहालय, किंग एडवर्ड मेमोरियल यादगार को गिरधारीलाल भार्गव भवन, चौगान स्टेडियम को भंवरलाल शर्मा स्टेडियम और सिविल लाइंस से जुड़े हटवाड़ा को हरिपुरा, हसनपुरा को संत रविदास नगर और भारत जोड़ो सेतु का नाम बदलकर विकसित भारत सेतु किए जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि भट्टा बस्ती को संत कबीर बस्ती किया जाना चाहिए.

इतिहासकारों ने कही ये बात (ETV BHARAT JAIPUR)

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ये कहा इतिहासकारों ने : इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत कहते हैं कि 1943 में तैयार हुई MI रोड वजूद में आने से पहले अजमेर की ओर रुख करने के कारण, अजमेर रोड नाम से जानी जाती थी. जब इस जगह पर निर्माण खड़े किए गए तो राजा मानसिंह के नाम पर इस सड़क के नामकरण का सुझाव दिया गया था, लेकिन मिर्जा इस्माइल के नाम पर राजा मानसिंह ने इस सड़क का नामकरण कर दिया था.

मिर्जा इस्माइल ने किया था गुलाबी शहर का आधुनिकीकरण : मैसूर के आर्किटेक्ट के जेहन में सड़क को बनाने से पहले लंदन के एक बाजार का चित्र था. इतिहासकार भगत बताते हैं कि जयपुर के राजा का दूर दृष्टिकोण समझते हुए मिर्जा इस्माइल ने गुलाबी शहर का आधुनिकीकरण किया था. उन्होंने इस बात का ख्याल रखा था कि जब देश आजाद होगा, तब भारत में आधुनिक नजरिए से जयपुर की क्या भूमिका रहने वाली है.

इसी कड़ी में उन्होंने एसएमएस अस्पताल का निर्माण भी करवाया तो राजस्थान यूनिवर्सिटी और MI रोड भी जयपुर को मिले. इस सड़क पर मौजूद पांच बत्ती भी लंदन के बाजार की तर्ज पर बनाई गई और बाजार को तैयार करने से पहले बाकायदा इसका नक्शा भी तैयार किया गया था.

Jaipur MI Road In Discussion
मिर्जा इस्माइल ने किया था गुलाबी शहर का आधुनिकीकरण (ETV BHARAT JAIPUR)

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ऐतिहासिक पहचान रहे कायम : MI रोड व्यापार महासंघ के अध्यक्ष सुरेश सैनी ने कहा कि इस सड़क की पहचान वैश्विक स्तर पर है. बाहर से जयपुर आने वाले लोग MI रोड पर खरीददारी जरूर करते हैं. आजादी के पहले से ही राजधानी की मिर्जा इस्माइल रोड की अपनी एक पहचान है. सैनी ने कहा कि सड़क को नया नाम देने से कुछ विशेष फायदा नहीं होने वाला है. इसलिए ऐतिहासिक पहचान को कायम रखा जाना चाहिए.

ये है MI रोड का इतिहास : 24 अक्टूबर, 1883 को जन्मे मिर्जा इस्माइल ने मैसूर शहर की तर्ज पर और लंदन की एक गली से प्रेरणा लेकर इस खूबसूरत बाजार का निर्माण कराया था. बताया जाता है कि मौजूदा पुलिस कमिश्वनरेट की जगह पर किसी वक्त एक पारसी का होटल हुआ करता था. मिर्जा इस्माइल ने महाराजा मानसिंह से इजाजत लेकर इस होटल का अधिग्रहण कर यहां प्रशासनिक भवन बनाया. गवर्नमेंट हॉस्टल के रूप में पहचानी जाने वाली ये इमारत आज एमआई रोड पर ही मौजूद है.

इसे भी पढ़ें - काबुल के पठानों पर विजय का प्रतीक है जयपुर में फहरने वाला पचरंगा ध्वज

कहा जाता है कि जब मिर्जा इस्माइल जयपुर छोड़कर जाने की तैयारी कर रहे थे तब महाराजा मानसिंह ने उन्हें जयपुर छोड़कर जाने से रोकने के लिए नई सड़क बनाने का काम सौंपा. मानसिंह ने इस सड़क को अपनी निगरानी में बनवाया और इसका नामकरण भी उन्होंने सर मिर्जा इस्माइल रोड कर दिया. जबकि खुद मिर्जा ने इसका नाम एसएमएस हाइवे रखने का सुझाव दिया था. सवाई मानसिंह की तरफ से सड़क का नामकरण सर मिर्जा के नाम पर रखकर एक महाराजा ने अपनी उदारता का परिचय दिया था, जिसका जागीरदार और दरबारियों ने विरोध किया था.

मिर्जा इस्माइल से प्रेरित थे महाराजा मानसिंह : 1942 में महाराजा सवाई मानसिंह ने जयपुर के दक्षिणी भाग के विकास की जिम्मेदारी मैसूर के दीवान मिर्जा इस्माइल को सौंप दी और उन्हें जयपुर शहर का दीवान भी घोषित कर दिया. सवाई महाराजा मानसिंह ने मिर्जा इस्माइल को केवल एक साल के लिए जयपुर का दीवान घोषित किया था, लेकिन जिस तरह से मिर्जा इस्माइल, जयपुर के दक्षिणी हिस्से का विकास कर रहे थे, उससे खुश होकर महाराजा सवाई मानसिंह ने मिर्जा इस्माइल के कार्यकाल को दो साल के लिए बढ़ा दिया था.

Last Updated : Aug 5, 2024, 10:03 PM IST
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