अजमेर: अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले में देसी और विदेशी पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण रेगिस्तान का जहाज ऊंट की आवक काफी कम हो गई है. कृषि में ऊंट की उपयोगिता कम होने और मशीन का उपयोग बढ़ने से ऊंट पालकों के लिये ऊंट पालन चुनौती बन गया है. यही वजह है कि विगत डेढ़ दशक में ऊंटों की संख्या इतनी गिर गई है कि यह अब चिंता की वजह बन गई है. ऊंट पालन को प्रोत्साहन देने के लिए मेले में पशु शोभायात्रा समेत कई तरह के नवाचार किए जा रहे हैं.
23 वर्षो में ऊंटों की घटी, अश्वों की बढ़ी संख्या: पशुपालन विभाग के विगत 23 वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो 2001 में मेले में ऊंटों की संख्या 15460 थी. 2010 में यह संख्या घटकर 9419 हो गई. इसके बाद तो रेगिस्तान के जहाज को ग्रहण ही लग गया. 2015 में ऊंटों की संख्या घटकर 5215 रह गई. 2021 में 2340 और 2023 में 3639 ऊंट मेले में आए. जबकि अश्वों की संख्या मेले में बढ़ी है. 2001 में मेले में 1923 अश्व वंश ही आते थे. 2010 में अश्वों की संख्या बढ़कर 5339 हो गई. 2015 के आंकड़े देखें तो 4312 अश्व मेले में आए. 2023 में 4152 अश्व वंश मेले में आए थे.
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ सुनील कुमार घीया ने बताया कि पुष्कर मेला 2024, 2 नवम्बर से 17 नवंबर तक चलेगा. पुष्कर मेले में ऊंटों की संख्या को बढ़ाने और पशुपालकों को प्रोत्साहित करने के लिए विभाग की ओर से नवाचार किया जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि हर जिले में पशुपालकों को मेले में आमंत्रित करने के लिए पंपलेट भेजे गए हैं. साथ ही पशुपालकों को मय परिवार मेले में आने के लिए भी आग्रह किया जा रहा है. इसके लिए पशुपालकों को रियायती दर पर पशुओं के लिए चारा, भोजन और रसद सामग्री की व्यवस्था की गई है.
उन्होंने बताया कि मेला क्षेत्र में 8 अन्नपूर्णा रसोई, रसद विभाग की ओर से रियायती दर पर पूरी सब्जी और नाश्ते की व्यवस्था के अलावा राशन और आवश्यक वस्तुओं की दुकानें लगाई जाएंगी. ताकि महंगाई से उन्हें राहत मिल सके और मेले में आने में उन्हें असुविधा ना हो. इसके अलावा पशुओं के पीने के लिए पानी और बिजली की भी व्यवस्था की गई है. उन्होंने बताया कि गीर गाय प्रदर्शनी में तेज दुआरी की प्रतियोगिता भी रखी गई है. इसमें विजेताओं को पारितोषिक भी दिया जाएगा.
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पशुओं की निकलेगी शोभायात्रा: डॉ घीया ने बताया कि मंत्री सुरेश सिंह रावत के सुझाव पर मेले में इस बार पशुओं की रैली भी होगी, जिसे पशु शोभायात्रा का नाम दिया गया है. इसमें ऊंट और घोड़े शामिल होंगे. इसके अलावा शोभायात्रा मार्ग पर ऊंट के संवर्धन के लिए चलाई जा रही योजनाओं के बारे में भी बैनर-पोस्टर लगाकर प्रचार—प्रसार किया जाएगा. नेशनल रिसर्च सेंटर ऑफ कैमल से भी आग्रह किया गया है कि वह मेले में ऊंट और उसके दूध से बने उत्पादों के स्टॉल लगाएं. ताकि लोगों को ज्यादा से ज्यादा ऊंटों की उपयोगिता के बारे में जानकारी मिल सके.
वाहनों का प्रवेश होगा निषेध: डॉ घीया ने बताया कि मेला क्षेत्र में देसी और विदेशी पर्यटकों के लिए घूमने के लिए ऊंट और ऊंट गाड़ियों की व्यवस्था होगी. मेला क्षेत्र में वाहनों को प्रवेश निषेध रखा जाएगा. ताकि ऊंटों की उपयोगिता बढ़े और पशुपालकों को भी प्रोत्साहन मिले. वहीं स्थानीय ऊंट पालक और ऊंट गाड़ी वालों को भी रोजगार मिल सके. मिट्टी के दरडों में थार जीपों का संचालन भी बंद करवाने के लिए पुलिस विभाग को कहा गया है. इससे मेला क्षेत्र पूरी तरह से ईको फ्रेंडली रहेगा. पर्यटन विभाग के साथ मिलकर मून लाइट में मिट्टी के दरडों पर लोक कलाकारों की प्रस्तुति पर भी विचार किया जा रहा है.