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बनारस में बन रहा पूर्वांचल का पहला निजी ट्रांसमिशन उपकेंद्र; छोटे सब स्टेशनों को देगा बिजली, ट्रिपिंग की समस्या का होगा समाधान - VARANASI NEWS

पूर्वांचल का पहला निजी ट्रांसमिशन उपकेंद्र संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय (electricity department) परिसर में बन रहा है. यह 220 केवी जीआई बेस्ड उपकेंद्र होगा और प्रदेश में तीन और निजी जीआई बेस्ड होगा.

बनारस में बन रहा पूर्वांचल का पहला निजी ट्रांसमिशन उपकेंद्र
बनारस में बन रहा पूर्वांचल का पहला निजी ट्रांसमिशन उपकेंद्र (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 4, 2024, 6:19 PM IST

बनारस में बन रहा पूर्वांचल का पहला निजी ट्रांसमिशन उपकेंद्र (Video credit: ETV Bharat)

वाराणसी : इस बार की गर्मी में हुई ट्रिपिंग की समस्या ने बिजली विभाग के सारे दावों की पोल खोल कर रख दी. सारे इंतजाम ध्वस्त नजर आए. ऐसे में सब स्टेशनों पर होने वाले बिजली ट्रिपिंग की समस्या को दूर करने के लिए अब वाराणसी में पहली बार निजी ट्रांसमिशन केंद्र शुरू होने जा रहा है, जो छोटे सब स्टेशनों को बिजली देने का काम करेगा. खास बात यह है कि पूर्वांचल में यह पहला निजी टीबीसीबी यानी की टैरिक बेस्ड कंपीटिटिव बिडिंग और जीआई बेस्ड होगा, जो बनारस के अन्य छोटे केंद्रों को बिजली बेचने का काम करेगा. इससे सब स्टेशन पर होने वाली ट्रिपिंग की समस्या का समाधान होगा.




बिजली विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, यह पूर्वांचल का पहला निजी ट्रांसमिशन उपकेंद्र है. बनारस के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के परिसर में बन रहा यह उपकेंद्र 220 केवी का होगा. लगभग 200 करोड़ की लागत से यह प्रोजेक्ट तैयार हो रहा है. बिजली विभाग 35 साल की लीज पर निजी कंपनी को इसे देगा. इसके साथ ही प्रदेश में तीन और निजी बेस्ट उपकेंद्र बनाए जा रहे हैं, जिसमें जेवर में 400 केवी, गौतमबुद्ध नगर व खागा में 220 केवी का उपकेंद्र तैयार होगा. वाराणसी में तैयार होने वाला यह उपकेंद्र लगभग डेढ़ साल में बनकर तैयार हो जाएगा, जो अपने-अपने क्षेत्र के विद्युत उपकेंद्र में बिजली को बेचेगा. कंपनी इसके लिए विभाग को प्रति यूनिट 19 पैसे ही लाइन चार्ज के रूप में देगी.

जौनपुर पर बिजली का कम होगा भार : बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता दिनेश चंद्र दीक्षित ने बताया कि, पूर्वांचल का यह पहला टैरिक बेस्ड कॉम्पिटेटिव बिडिंग आधारित उपकेंद्र होगा, जो दूसरे उपकेंद्र को बिजली बेचेगा. अभी तक दूसरे उपकेंद्रों पर सरकारी विद्युत परीक्षण उपकेंद्र से ही बिजली दी जाती थी, लेकिन अब संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में बना रहे ट्रांसमिशन उपकेंद्र को बिजली बेचने की जिम्मेदारी होगी. इस उपकेंद्र को 132 केवी उपकेंद्र सारनाथ व गजोखर से जोड़ने की तैयारी भी चल रही है. इसके बन जाने से सारनाथ व जौनपुर का भार काम होगा. इसके साथ ही शहर के अंदर भेलूपुर को लगभग 220 केवी का उपकेंद्र बड़ी राहत देगा.


5 उपकेद्रों पर अभी नहीं होगी ट्रिपिंग की समस्या : उन्होंने बताया कि इस नए उपकेंद्र से शहर के 33 केवी के पांच बिजली घर चौकाघाट, काशी विद्यापीठ, नगर निगम, सांस्कृतिक संकुल, पांडेपुर ढेलवरिया जुड़ेंगे. इससे कैंट, भेलूपुर अन्य केंद्रों पर भार कम होगा और लोगों को राहत मिलेगी. उन्होंने बताया कि इस उपकेंद्र से तैयार हो जाने से किसी भी बड़े फॉल्ट पर वैकल्पिक उपकेंद्र से आपूर्ति दी जा सकेगी. विभाग के पास अन्य विकल्प होंगे और ट्रिपिंग की समस्या का समाधान हो जाएगा.

यह भी पढ़ें : किसानों को बड़ी राहत; योगी सरकार ने फिर बढ़ाई मुफ्त बिजली योजना के लिए आवेदन करने की तारीख, अब 17 सितंबर तक करा सकेंगे रजिस्ट्रेशन - Farmer Free Electricity Scheme

यह भी पढ़ें : बारिश में धरती पर क्यों गिरती है आसमानी बिजली? क्या इससे बचने का है कोई तरीका, जानें यहां - Thunder Lightning in Rain

बनारस में बन रहा पूर्वांचल का पहला निजी ट्रांसमिशन उपकेंद्र (Video credit: ETV Bharat)

वाराणसी : इस बार की गर्मी में हुई ट्रिपिंग की समस्या ने बिजली विभाग के सारे दावों की पोल खोल कर रख दी. सारे इंतजाम ध्वस्त नजर आए. ऐसे में सब स्टेशनों पर होने वाले बिजली ट्रिपिंग की समस्या को दूर करने के लिए अब वाराणसी में पहली बार निजी ट्रांसमिशन केंद्र शुरू होने जा रहा है, जो छोटे सब स्टेशनों को बिजली देने का काम करेगा. खास बात यह है कि पूर्वांचल में यह पहला निजी टीबीसीबी यानी की टैरिक बेस्ड कंपीटिटिव बिडिंग और जीआई बेस्ड होगा, जो बनारस के अन्य छोटे केंद्रों को बिजली बेचने का काम करेगा. इससे सब स्टेशन पर होने वाली ट्रिपिंग की समस्या का समाधान होगा.




बिजली विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, यह पूर्वांचल का पहला निजी ट्रांसमिशन उपकेंद्र है. बनारस के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के परिसर में बन रहा यह उपकेंद्र 220 केवी का होगा. लगभग 200 करोड़ की लागत से यह प्रोजेक्ट तैयार हो रहा है. बिजली विभाग 35 साल की लीज पर निजी कंपनी को इसे देगा. इसके साथ ही प्रदेश में तीन और निजी बेस्ट उपकेंद्र बनाए जा रहे हैं, जिसमें जेवर में 400 केवी, गौतमबुद्ध नगर व खागा में 220 केवी का उपकेंद्र तैयार होगा. वाराणसी में तैयार होने वाला यह उपकेंद्र लगभग डेढ़ साल में बनकर तैयार हो जाएगा, जो अपने-अपने क्षेत्र के विद्युत उपकेंद्र में बिजली को बेचेगा. कंपनी इसके लिए विभाग को प्रति यूनिट 19 पैसे ही लाइन चार्ज के रूप में देगी.

जौनपुर पर बिजली का कम होगा भार : बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता दिनेश चंद्र दीक्षित ने बताया कि, पूर्वांचल का यह पहला टैरिक बेस्ड कॉम्पिटेटिव बिडिंग आधारित उपकेंद्र होगा, जो दूसरे उपकेंद्र को बिजली बेचेगा. अभी तक दूसरे उपकेंद्रों पर सरकारी विद्युत परीक्षण उपकेंद्र से ही बिजली दी जाती थी, लेकिन अब संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में बना रहे ट्रांसमिशन उपकेंद्र को बिजली बेचने की जिम्मेदारी होगी. इस उपकेंद्र को 132 केवी उपकेंद्र सारनाथ व गजोखर से जोड़ने की तैयारी भी चल रही है. इसके बन जाने से सारनाथ व जौनपुर का भार काम होगा. इसके साथ ही शहर के अंदर भेलूपुर को लगभग 220 केवी का उपकेंद्र बड़ी राहत देगा.


5 उपकेद्रों पर अभी नहीं होगी ट्रिपिंग की समस्या : उन्होंने बताया कि इस नए उपकेंद्र से शहर के 33 केवी के पांच बिजली घर चौकाघाट, काशी विद्यापीठ, नगर निगम, सांस्कृतिक संकुल, पांडेपुर ढेलवरिया जुड़ेंगे. इससे कैंट, भेलूपुर अन्य केंद्रों पर भार कम होगा और लोगों को राहत मिलेगी. उन्होंने बताया कि इस उपकेंद्र से तैयार हो जाने से किसी भी बड़े फॉल्ट पर वैकल्पिक उपकेंद्र से आपूर्ति दी जा सकेगी. विभाग के पास अन्य विकल्प होंगे और ट्रिपिंग की समस्या का समाधान हो जाएगा.

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