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कम लागत में तगड़ा मुनाफा, पूर्णिया में किसानों ने शुरू की काले धान की खेती, 4 सौ से 5 सौ रुपये किलो बिकता है चावल - BLACK PADDY FARMING IN PURNEA

BLACK PADDY FARMING: बेतहाशा खर्च और कड़ी मेहनत के बाद जब किसान अपनी फसल काटते हैं तो बड़ी मुश्किल से लागत निकल पाती है. ऐसे में पूर्णिया के किसानों ने काला धान की खेती शुरू की है जिसमें लागत कम और मुनाफा ज्यादा है. खास किस्म के धान से तैयार चावल आदमी की सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है, पढ़िये पूरी खबर,

किसानों की तकदीर बदल सकता है काला धान
किसानों की तकदीर बदल सकता है काला धान (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 31, 2024, 5:45 PM IST

पूर्णिया में काला धान की खेती (ETV BHARAT)

पूर्णियाः बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा सहित कई राज्यों में किसान धान की खेती में जुटे हुए हैं. किसी ने बासमती की फसल लगा रखी है तो कोई मसूरी और हाइब्रिड किस्मों की खेती कर रहा है, लेकिन बिहार के पूर्णिया में कई किसान अब आम धान की खेती की बजाय काला धान की खेती में रूचि ले रहे हैं. किसानों का मानना है कि काला धान की खेती में खर्च तो सामान्य खेती की तरह ही है लेकिन मुनाफा तगड़ा है. दरअसल इस धान से तैयार चावल 4 सौ से 5 सौ रुपये किलो तक आसानी से बिक जाता है.

पार्टियों में खास डिमांडः काला चावल बेहद ही खुशबूदार होता है और इससे बना खीर को बेहद ही स्वादिष्ट होता है. ऐसे में शादी-समारोहों या अन्य पार्टियों में बासमती चावल की जगह अब काला चावल की मांग बढ़ने लगी है. सबसे बड़ी बात कि किसान खुद अपने उत्पादित चावल दुकानों तक पहुंचाते हैं और बिचौलियों की जरूरत नहीं होती. सामान्य चावल जहां 30 से 40 रुपे किलो बिकता है वहीं काला चावल आसानी से 4 सौ से 5 सौ रुपये किलो तक बिक जाता है.

सामान्य धान की तरह होती है खेती
सामान्य धान की तरह होती है खेती (ETV BHARAT GFX)

सामान्य धान की तरह होती है खेतीः काले धान की खेती बिल्कुल वैसी ही होती है जैसे किसी सामान्य धान की खेती होती है. मई में इसकी नर्सरी लगाई जाती है जबकि जून में इसकी रोपाई शुरू हो जाती है. वहीं करीब 4 से 5 महीने में इसकी फसल तैयार हो जाती है. खाद-पानी भी आम धान की तरह ही लगता है.

पौष्टिकता से भरपूर है काला चावलः काले धान से निकलने वाले काले चावल की बाजार में इसलिए ज्यादा डिमांड रहती है क्योंकि इसमें विटामिन बी, विटामिन ई, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और कई पोषक तत्त्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. ऐसे में चिकित्सकों की सलाह पर लोग मोटी रकम खर्च कर काले चावल का सेवन कर रहे हैं.

पौष्टिकता से भरपूर है काला चावलः
पौष्टिकता से भरपूर है काला चावल (ETV BHARAT GFX)

शुगर-बीपी के मरीजों के लिए फायदेमंदः शुगर के मरीजों को चावल खाने से मना किया जाता है लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि काला चावल खाने से शुगर की बीमारी नियंत्रित रहती है और ये ब्लड प्रेशर भी मेंटेन कर रखता है. इसके अलावा काला चावल खाने से प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है.

'उत्तर प्रदेश में देखी काले धान की खेती': काला धान की खेती का आइडिया कैसे मिला ? इस बारे में किसान बताते हैं कि जब वे लोग घूमने के लिए उत्तर प्रदेश गये थे तो वहां हमने काले धान की खेती देखी ती. वहीं से बीज लाकर हमलोगों ने बिचड़ा तैयार किया और रोपाई की.

काला धान बन सकता है वरदान
काला धान बन सकता है वरदान (ETV BHARAT)

"ये तुलसी मंजरी के नाम से जाना जाता है. ये बेहद सुगंधित होता और कीमत भी अच्छी मिलती है. हमलोग यूपी गए हुए थे तो यूपी में देखे कि काला धान लगा हुआ है. वहां से बीज लाए और लगाए. करीब 2 एकड़ में लगाए हुए हैं. कई लोग इस धान की खेती को देखने भी आ रहे हैं."- विनोद कुमार, किसान

किसानों की तकदीर बदल सकता है काला धानः कई खोजों और खेती में तकनीकी आविष्कार के बाद भी देश के अधिकतर किसान पारंपरिक खेती में ही विश्वास करते हैं. ऐसे में पौष्टिकता से भरपूर और भारी मुनाफा देनेवाले काले धान की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाए तो उनकी तकदीर बदल सकती है.

ये भी पढ़ेंः'सोना' बना किसानों के लिए काला धान, मसौढ़ी में कम लागत पर Black Rice से अच्छी कमाई

पूर्णिया में काला धान की खेती (ETV BHARAT)

पूर्णियाः बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा सहित कई राज्यों में किसान धान की खेती में जुटे हुए हैं. किसी ने बासमती की फसल लगा रखी है तो कोई मसूरी और हाइब्रिड किस्मों की खेती कर रहा है, लेकिन बिहार के पूर्णिया में कई किसान अब आम धान की खेती की बजाय काला धान की खेती में रूचि ले रहे हैं. किसानों का मानना है कि काला धान की खेती में खर्च तो सामान्य खेती की तरह ही है लेकिन मुनाफा तगड़ा है. दरअसल इस धान से तैयार चावल 4 सौ से 5 सौ रुपये किलो तक आसानी से बिक जाता है.

पार्टियों में खास डिमांडः काला चावल बेहद ही खुशबूदार होता है और इससे बना खीर को बेहद ही स्वादिष्ट होता है. ऐसे में शादी-समारोहों या अन्य पार्टियों में बासमती चावल की जगह अब काला चावल की मांग बढ़ने लगी है. सबसे बड़ी बात कि किसान खुद अपने उत्पादित चावल दुकानों तक पहुंचाते हैं और बिचौलियों की जरूरत नहीं होती. सामान्य चावल जहां 30 से 40 रुपे किलो बिकता है वहीं काला चावल आसानी से 4 सौ से 5 सौ रुपये किलो तक बिक जाता है.

सामान्य धान की तरह होती है खेती
सामान्य धान की तरह होती है खेती (ETV BHARAT GFX)

सामान्य धान की तरह होती है खेतीः काले धान की खेती बिल्कुल वैसी ही होती है जैसे किसी सामान्य धान की खेती होती है. मई में इसकी नर्सरी लगाई जाती है जबकि जून में इसकी रोपाई शुरू हो जाती है. वहीं करीब 4 से 5 महीने में इसकी फसल तैयार हो जाती है. खाद-पानी भी आम धान की तरह ही लगता है.

पौष्टिकता से भरपूर है काला चावलः काले धान से निकलने वाले काले चावल की बाजार में इसलिए ज्यादा डिमांड रहती है क्योंकि इसमें विटामिन बी, विटामिन ई, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और कई पोषक तत्त्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. ऐसे में चिकित्सकों की सलाह पर लोग मोटी रकम खर्च कर काले चावल का सेवन कर रहे हैं.

पौष्टिकता से भरपूर है काला चावलः
पौष्टिकता से भरपूर है काला चावल (ETV BHARAT GFX)

शुगर-बीपी के मरीजों के लिए फायदेमंदः शुगर के मरीजों को चावल खाने से मना किया जाता है लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि काला चावल खाने से शुगर की बीमारी नियंत्रित रहती है और ये ब्लड प्रेशर भी मेंटेन कर रखता है. इसके अलावा काला चावल खाने से प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है.

'उत्तर प्रदेश में देखी काले धान की खेती': काला धान की खेती का आइडिया कैसे मिला ? इस बारे में किसान बताते हैं कि जब वे लोग घूमने के लिए उत्तर प्रदेश गये थे तो वहां हमने काले धान की खेती देखी ती. वहीं से बीज लाकर हमलोगों ने बिचड़ा तैयार किया और रोपाई की.

काला धान बन सकता है वरदान
काला धान बन सकता है वरदान (ETV BHARAT)

"ये तुलसी मंजरी के नाम से जाना जाता है. ये बेहद सुगंधित होता और कीमत भी अच्छी मिलती है. हमलोग यूपी गए हुए थे तो यूपी में देखे कि काला धान लगा हुआ है. वहां से बीज लाए और लगाए. करीब 2 एकड़ में लगाए हुए हैं. कई लोग इस धान की खेती को देखने भी आ रहे हैं."- विनोद कुमार, किसान

किसानों की तकदीर बदल सकता है काला धानः कई खोजों और खेती में तकनीकी आविष्कार के बाद भी देश के अधिकतर किसान पारंपरिक खेती में ही विश्वास करते हैं. ऐसे में पौष्टिकता से भरपूर और भारी मुनाफा देनेवाले काले धान की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाए तो उनकी तकदीर बदल सकती है.

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