पंचकूला: हरियाणा के सिरसा से भाजपा की पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट ने ये नोटिस फतेहाबाद की रतिया पंचायत समिति के कांग्रेस समर्थित चेयरमैन केवल कृष्ण मेहता पर दर्ज अपहरण मामले में जारी किया गया है. याचिकाकर्ता केवल कृष्ण ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में दावा किया है कि ये मामला उन पर इस्तीफा देने का दबाव बनाने और बीते विधानसभा चुनाव में सुनीता दुग्गल के विरोध के कारण मढ़ा गया है, क्योंकि चुनाव में दुग्गल को हार का मुंह देखना पड़ा था.
दंडात्मक कार्रवाई पर रोक: हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता कृष्ण पर दर्ज केस में दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगाई है. जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह पुरी द्वारा 11 जनवरी को इस मामले में सुनवाई करते हुए ये आदेश जारी किए गए.
ये है मामला: पुलिस ने 1 जनवरी 2025 को केवल कृष्ण के खिलाफ समिति के सदस्य नवीन कुमार का अपहरण संबंधी मामला दर्ज किया था. नवीन के भाई सतबीर ने पुलिस को शिकायत दी थी, जबकि इसके अगले दिन नवीन ने मीडिया को बताया कि वो किसी काम के सिलसिले में गुरुग्राम गए थे, ना कि उनका अपहरण हुआ था. हाईकोर्ट में ये दलील याचिकाकर्ता कृष्ण के वकील ने दी है.
दुग्गल का समर्थन नहीं करने पर बढ़ा विवाद: कृष्ण के वकील अमित खटकर ने हाईकोर्ट में दलील दी कि रतिया से चुनाव लड़ने के दौरान सुनीता दुग्गल ने केवल कृष्ण से समर्थन मांगा था. वकील ने कहा कि चुनाव में समर्थन नहीं करने को लेकर दुग्गल दुर्भावना से अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर कृष्ण के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की साजिश रच रही हैं. उन्होंने कहा कि वो सदस्यों से संपर्क करने से रोकने की कोशिश भी कर रही हैं.
एक सप्ताह तक दंडात्मक कार्रवाई नहीं: हाईकोर्ट ने एक सप्ताह तक याचिकाकर्ता के खिलाफ किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने के निर्देश दिए. साथ ही सुनीता दुग्गल को नोटिस जारी किया है. हालांकि पूरे मामले में अभी तक सुनीता दुग्गल का कोई पक्ष सामने नहीं आ पाया है.
16 सदस्यों ने सौंपा अविश्वास प्रस्ताव: 19 नवंबर 2024 को पंचायत समिति के कुल 22 सदस्यों में से 16 सदस्यों ने डीसी को चेयरमैन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का लेटर सौंपा था. डीसी द्वारा एडीसी राहुल मोदी की अध्यक्षता में 4 दिसंबर 2024 को अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान की तारीख तय की लेकिन तभी एडीसी अचानक चंडीगढ़ किसी बैठक में शामिल होने चले गए. इसके बाद तीन जनवरी की शाम 4 बजे मतदान समय तय किया गया था.
प्रस्ताव पास के लिए 16 सदस्य होने जरूरी: लघु सचिवालय में आयोजित बैठक में 22 सदस्यों में से केवल 12 सदस्य पहुंचे. जबकि प्रस्ताव पास करने के लिए 16 सदस्यों का होना जरूरी है. नतीजतन ऐसी स्थिति में केवल कृष्ण की कुर्सी बच गई.
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