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प्रोटीन का पावर हाउस है ये उरद दाल, 10 साल में हुई खोज; किसानों पर बरसेगी दौलत - Indian Pulses Research Institute

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 4, 2024, 12:15 PM IST

भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान कानपुर (Pulses Research Institute Kanpur) में उड़द की नई प्रजाति नर्मदा विकसित की गई है. वैज्ञानिकों का दावा है कि इस प्रजाति की दाल कीटों से पूरी तरह से मुक्त होगी. नई प्रजाति में 20.27 प्रतिशत प्रोटीन और 100 पीपीएम से अधिक आयरन है.

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कानपुर : देशभर के किसानों के लिए कानपुर के भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (आईआईपीआर) से खुश खबर सामने आई है. आईआईपीआर के वैज्ञानिकों ने उड़द की नई प्रजाति नर्मदा तैयार की है. नई प्रजाति को लेकर केंद्र सरकार से भी अनुमति मिल गई है. इस प्रजाति की खासियत यह है कि इसमें प्रोटीन की मात्रा 20.27 प्रतिशत और आयरन की मात्रा 100 पीपीएम है. खास बात यह है कि यह प्रजाति पूरी तरह से कीटमुक्त होगी. इस साल के अंत से ही किसानों को बोआई के लिए नर्मदा के बीज मिल सकेंगे.



10 साल की शोध के बाद प्रजाति विकसित : संस्थान के निदेशक डाॅ. जीपी दीक्षित ने बताया कि 10 साल की शोध के बाद नर्मदा को विकसित किया गया है. नई प्रजाति के प्रचार के लिए 2.5 करोड़ रुपये का फंड भी सरकार की ओर से दिया गया है. डाॅ. जीपी दीक्षित की देखरेख में वैज्ञानक देबज्योति सेन गुप्ता और उनकी टीम ने उड़द की नई प्रजाति को विकसित किया है. यह प्रजाति मुख्य रूप से मध्य प्रदेश की जलवायु को ध्यान में रखकर विकसित हुई है. किसान इस प्रजाति का उपयोग बारिश के मौसम में कर सकेंगे.


अधिक प्रोटीन वाली प्रजाति की मांग कर रहे थे किसान : भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना था कि वह अधिक प्रोटीन वाली प्रजाति की मांग कर रहे थे. क्योंकि, अभी तक जो उड़द की प्रजाति विकसित की गईं, उनमें 20 प्रतिशत से कम प्रोटीन था, मगर अब किसानों को नर्मदा प्रजाति से 20.27 प्रतिशत तक प्रोटीन मिल सकेगा, जो बड़ी उपलब्धि है.


कानपुर : देशभर के किसानों के लिए कानपुर के भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (आईआईपीआर) से खुश खबर सामने आई है. आईआईपीआर के वैज्ञानिकों ने उड़द की नई प्रजाति नर्मदा तैयार की है. नई प्रजाति को लेकर केंद्र सरकार से भी अनुमति मिल गई है. इस प्रजाति की खासियत यह है कि इसमें प्रोटीन की मात्रा 20.27 प्रतिशत और आयरन की मात्रा 100 पीपीएम है. खास बात यह है कि यह प्रजाति पूरी तरह से कीटमुक्त होगी. इस साल के अंत से ही किसानों को बोआई के लिए नर्मदा के बीज मिल सकेंगे.



10 साल की शोध के बाद प्रजाति विकसित : संस्थान के निदेशक डाॅ. जीपी दीक्षित ने बताया कि 10 साल की शोध के बाद नर्मदा को विकसित किया गया है. नई प्रजाति के प्रचार के लिए 2.5 करोड़ रुपये का फंड भी सरकार की ओर से दिया गया है. डाॅ. जीपी दीक्षित की देखरेख में वैज्ञानक देबज्योति सेन गुप्ता और उनकी टीम ने उड़द की नई प्रजाति को विकसित किया है. यह प्रजाति मुख्य रूप से मध्य प्रदेश की जलवायु को ध्यान में रखकर विकसित हुई है. किसान इस प्रजाति का उपयोग बारिश के मौसम में कर सकेंगे.


अधिक प्रोटीन वाली प्रजाति की मांग कर रहे थे किसान : भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना था कि वह अधिक प्रोटीन वाली प्रजाति की मांग कर रहे थे. क्योंकि, अभी तक जो उड़द की प्रजाति विकसित की गईं, उनमें 20 प्रतिशत से कम प्रोटीन था, मगर अब किसानों को नर्मदा प्रजाति से 20.27 प्रतिशत तक प्रोटीन मिल सकेगा, जो बड़ी उपलब्धि है.


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