कोरबा : देश में महंगाई पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ने पर आमादा है. सब्जी, अनाज से लेकर दालों की कीमते आसमान छू रही हैं. जो परिवार हफ्ते में दो-तीन किलो दाल खरीदते थे. वह आधा, एक किलो से ही अपना काम चला रहे हैं. मजदूर वर्ग के लोगों ने तो दाल से तौबा ही कर ली है. चिल्हर व्यवसायी कह रहे हैं कि सेठ जी कहते हैं की कीमतें अभी और बढ़ेंगी. जबकि गृहिणियां कह रही हैं कि बच्चे बिना दाल के खाना ही नहीं खाते. करेला सस्ता मिलता है, लेकिन बच्चे दाल ढूंढते हैं. इसलिए कम मात्रा में ही सही लेकिन दाल पकाना तो पड़ता ही है.
दालों की इतनी बढ़ गई कीमत : किसी भी तरह के दाल की कीमत आज के समय में ₹130 प्रति किलो से काम नहीं है. अच्छी क्वालिटी की अरहर दाल की कीमतें बाजार में ₹200 किलो तक पहुंच चुकी है. मंडी में दाल का व्यवसाय करने वाले सेठ जी का कहना है कि अभी तेजी आई नहीं है, यह तो शुरुआत है. दाल की कीमतें और बढ़ेंगी. उड़द और मसूर की जो लो क्वालिटी की दाल होती है, उसकी कीमत भी ₹130 प्रति किलो है. जबकि अरहर दाल की कीमत ₹170 से शुरू होकर ₹200 प्रति किलो तक पहुंच चुकी है.
"पहले जो ग्राहक 2 से 3 किलो दाल खरीद लेते थे. अब वह 1 किलो ही खरीद रहे हैं. कुछ ग्राहक तो ऐसे हैं जो कीमत पूछ कर उल्टे पांव लौट जा रहे हैं." - हीरालाल टंडन, दाल व्यवसायी
"कीमत कम होनी चाहिए, घर का बजट बिगड़ा" : शहर के बुधवारी क्षेत्र में रहने वाली गृहिणी लक्ष्मी मानिकपुरी दाल खरीदने मंडी आई थी. कीमत सुनकर वह थोड़ी चिंता में हैं. लक्ष्मी कहती है कि दाल की कीमतें इतनी बढ़ चुकी है कि इसे खरीदने के बारे में अब सोचना पड़ता है. कीमत कैसे बढ़ती हैं. इसका तो हमें पता नहीं, लेकिन इसे कम किया जाना चाहिए. घर में बच्चे हैं, जो बिना दाल के खाना नहीं खाते. हम बड़े तो रूखी सूखी खाकर भी काम चला सकते हैं, लेकिन बच्चों के लिए दाल पकाना ही पड़ता है.
"अरहर दाल की कीमत ₹170 है और वह अरहर दाल लो क्वालिटी वाला है. अच्छी क्वालिटी के अरहर दाल की कीमत और ज्यादा है. अब कम मात्रा में ही सही, लेकिन दाल तो पकाना ही पड़ता है. बच्चों के आगे हम विवश हो जाते हैं. इसलिए कीमतों को कम किया जाना चाहिए." - लक्ष्मी मानिकपुरी, गृहिणी
कम उत्पादन बनी परेशानी, इस साल मानसून से उम्मीद : जानकारी के मुताबिक, पिछले दो साल के दौरान देशभर में दालों का उत्पादन कम हुआ है. इस वजह से देश में इसकी कीमत में बढ़ोतरी हुई है. कुछ इलाकों में तो उपभोक्ता तुअर दाल के लिए भी ₹180-200 प्रति किलो का भुगतान कर रहे हैं. साल 2023 में महत्वपूर्ण बुआई सीजन के दौरान देरी और कम बारिश की वजह से खरीफ सीजन में दालों का रकबा कम हुआ है. अब मौजूदा साल के मानसून से व्यापारी उम्मीद लगाए बैठे हैं. अच्छा उत्पादन हुआ, तो दाल की कीमतें कम हो सकती है.