रांचीः मनरेगा घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नियमित जमानत मिलने और निलंबन वापसी के बाद भी आईएएस पूजा सिंघल की मुश्किलें बनी हुई हैं. सरकार ने 21 जनवरी को अधिसूचना जारी कर पूजा सिंघल को बेल मिलने की तारीख यानी 7 दिसंबर 2024 से निलंबन मुक्त करते हुए कार्मिक विभाग में योगदान देने का आदेश जारी किया था. उनकी इस पोस्टिंग के खिलाफ ईडी ने कोर्ट में आवेदन दिया है. इस मामले पर आज पीएमएलए की विशेष अदालत में सुनवाई हुई. जस्टिस पीके शर्मा की कोर्ट में दोनों पक्षों ने दलीलें पेश की. इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.
दोनों पक्षों की ओर से कोर्ट में रखा गया पक्ष
पूजा सिंघल के वकील विक्रांत सिन्हा हैं. उनकी ओर से आज हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने पक्ष रखा. कोर्ट को बताया गया कि सरकार ने निबंलन वापस ले लिया है. लिहाजा, उनको जिम्मेदारी मिलनी चाहिए. ईडी की ओर से अधिवक्ता आतिश ने कोर्ट को बताया कि पूजा सिंघल अगर पावर में रहेंगी तो गवाह को प्रभावित कर सकती हैं. इसलिए उनकी पोस्टिंग नहीं होनी चाहिए.
आपको बता दें कि शनिवार को इस मामले की सुनवाई होनी थी, लेकिन कोर्ट के नहीं बैठने के कारण सुनवाई 17 फरवरी तक के लिए टल गई थी. ईडी ने अपने आवेदन में कहा है कि पूजा सिंघल आपराधिक मुकदमा का सामना कर रहीं हैं. निलंबन मुक्त होने के बाद उनकी पोस्टिंग की जाती है तो सुनवाई प्रभावित हो सकती है. ईडी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी हवाला दिया है. करीब 28 माह तक जेल में रहने के बाद पिछले साल दिसंबर में पूजा सिंघल को नियमित जमानत मिली थी.
जानें क्या है पूरा मामला
पूजा सिंघल पर फरवरी 2009 से जुलाई 2010 के बीच खूंटी उपायुक्त रहने के दौरान बिना काम के मनरेगा के तहत 18 करोड़ रुपये के भुगतान का आरोप था. इस मामले में इंजीनियरों पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इसी मामले में 6 मई 2022 को छापेमारी के दौरान पूजा सिंघल के सीए सुमन कुमार के पास से 19.76 करोड़ रुपये बरामद किए गए थे. ईडी ने इस मामले में उनके पति अभिषेक झा, उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट, खूंटी के तत्कालीन कनीय अभियंता राम विनोद प्रसाद सिन्हा, समेत कई के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया है.
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