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हरिद्वार लोकसभा चुनाव में जनता का क्या है मूड, जानिए इस बार कौन से मुद्दे रहेंगे हावी - Haridwar Lok Sabha seat - HARIDWAR LOK SABHA SEAT

Haridwar Lok Sabha Seat लोकसभा चुनाव में ईटीवी भारत की 'चुनावी चर्चा' में आज बात हरिद्वार लोकसभा सीट की हो रही है. हरिद्वार सीट की उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में सबसे महत्वपूर्ण है. इसी सीट पर प्रमुख तीर्थ स्थान हरकी पैड़ी और पिरान कलियर दरगाह भी मौजूद हैं.

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फोटो-ईटीवी भारत
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 15, 2024, 6:07 PM IST

Updated : Apr 15, 2024, 9:53 PM IST

जानिए हरिद्वार लोकसभा चुनाव में जनता का क्या है मूड?

हरिद्वार: उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव 2024 के मतदान के लिए अब महज 4 दिन शेष हैं. उत्तराखंड में 5 लोकसभा सीटें हैं. जिसमें हरिद्वार लोकसभा सीट भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए काफी अहम मानी जा रही है. भाजपा ने हरिद्वार सीट पर सीटिंग एमपी रमेश पोखरियाल निशंक को टिकट न देकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुनावी मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस ने हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत को प्रत्याशी बनाया है. इन दोनों के अलावा सीट पर खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने ताल ठोककर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. ऐसे में तीनों दिग्गज प्रत्याशियों के बीच मुकाबला क्षेत्रीय विकास, रोजगार, शिक्षा और किसानों के ईर्द-गिर्द ही बना हुआ है.

उत्तराखंड का हरिद्वार जिला प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है. जिले में 11 विधानसभाएं आती हैं. हरिद्वार को चारधाम यात्रा और कांवड़ यात्रा का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. ऐसे में हरिद्वार जिला उत्तराखंड के राजस्व में बड़ा योगदान रखता है. हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो 11 विधानसभा के अलावा देहरादून की तीन विधानसभा (ऋषिकेश, डोईवाला और धर्मपुर) भी आती है. ऐसे में यहां के कुछ प्रमुख मुद्दे अभी भी वोटरों के लिए बड़ी परेशानी बने हुए हैं.

हरिद्वार लोकसभा सीट के प्रमुख मुद्दे:

  • हरिद्वार स्थित सिडकुल में स्थानीय युवाओं को नियुक्ति न मिलना.
  • हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्र में गन्ने का मूल्य और बाढ़ से होने वाले सालाना नुकसान की भरपाई.
  • हरिद्वार शहर में शराब समेत नशीले पदार्थों की बिक्री और देह व्यापार.

हरिद्वार लोकसभा सीट पर मुस्लिम वोटरों की संख्या भी काफी है. लिहाजा, मुस्लिम वोटर अक्सर चुनाव में निर्णायक की भूमिका निभाता है. इसके अलावा सीट पर दलित वोटर भी काफी हैं. भाजपा और कांग्रेस के साथ ही निर्दलीय उम्मीदवार भी दलित वोटरों को रिझाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं.

भाजपा ने गिनाई उपलब्धि और कांग्रेस पर किया वार: भाजपा हरिद्वार सीट पर फ्लाईओवर रिंग रोड और मंदिरों के कायाकल्प किए जाने को बड़ा मुद्दा और अपनी उपलब्धि बताई है. जबकि कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाते हुए हरीश रावत के बेटे को लोकसभा चुनाव का टिकट दिलाने की बात कही है.

कांग्रेस ने भी की घेराबंदी: उधर कांग्रेस भी भाजपा पर हमलावर है. उनका कहना है कि अगर सब कुछ अच्छा था तो भाजपा ने रमेश पोखरियाल निशंक को टिकट न देकर त्रिवेंद्र सिंह रावत को टिकट क्यों दिया. इसके अलावा कांग्रेस महंगा गैस सिलेंडर, पेट्रोल-डीजल और इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे नेशनल मुद्दे के जरिए भाजपा को कोस रही है.

ये भी पढ़ेंः त्रिवेंद्र रावत के पॉलिटिकल खाते में दर्ज हैं तीन जीत, दो हार, पोर्टफोलियो में सीएम, कैबिनेट मंत्री का अनुभव भी शामिल

ये भी पढ़ेंः भारतीय राजनीति में खास है हरिद्वार लोकसभा सीट, मायावती से लेकर पासवान लड़ चुके चुनाव, कई नेता केंद्र में बने मंत्री

ये भी पढ़ेंः 'चुनाव लड़ने से ज्यादा लड़वाने का अनुभव, जीता तो सबसे पहले करूंगा ये काम..' त्रिवेंद्र रावत से खास बातचीत

जानिए हरिद्वार लोकसभा चुनाव में जनता का क्या है मूड?

हरिद्वार: उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव 2024 के मतदान के लिए अब महज 4 दिन शेष हैं. उत्तराखंड में 5 लोकसभा सीटें हैं. जिसमें हरिद्वार लोकसभा सीट भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए काफी अहम मानी जा रही है. भाजपा ने हरिद्वार सीट पर सीटिंग एमपी रमेश पोखरियाल निशंक को टिकट न देकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुनावी मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस ने हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत को प्रत्याशी बनाया है. इन दोनों के अलावा सीट पर खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने ताल ठोककर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. ऐसे में तीनों दिग्गज प्रत्याशियों के बीच मुकाबला क्षेत्रीय विकास, रोजगार, शिक्षा और किसानों के ईर्द-गिर्द ही बना हुआ है.

उत्तराखंड का हरिद्वार जिला प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है. जिले में 11 विधानसभाएं आती हैं. हरिद्वार को चारधाम यात्रा और कांवड़ यात्रा का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. ऐसे में हरिद्वार जिला उत्तराखंड के राजस्व में बड़ा योगदान रखता है. हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो 11 विधानसभा के अलावा देहरादून की तीन विधानसभा (ऋषिकेश, डोईवाला और धर्मपुर) भी आती है. ऐसे में यहां के कुछ प्रमुख मुद्दे अभी भी वोटरों के लिए बड़ी परेशानी बने हुए हैं.

हरिद्वार लोकसभा सीट के प्रमुख मुद्दे:

  • हरिद्वार स्थित सिडकुल में स्थानीय युवाओं को नियुक्ति न मिलना.
  • हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्र में गन्ने का मूल्य और बाढ़ से होने वाले सालाना नुकसान की भरपाई.
  • हरिद्वार शहर में शराब समेत नशीले पदार्थों की बिक्री और देह व्यापार.

हरिद्वार लोकसभा सीट पर मुस्लिम वोटरों की संख्या भी काफी है. लिहाजा, मुस्लिम वोटर अक्सर चुनाव में निर्णायक की भूमिका निभाता है. इसके अलावा सीट पर दलित वोटर भी काफी हैं. भाजपा और कांग्रेस के साथ ही निर्दलीय उम्मीदवार भी दलित वोटरों को रिझाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं.

भाजपा ने गिनाई उपलब्धि और कांग्रेस पर किया वार: भाजपा हरिद्वार सीट पर फ्लाईओवर रिंग रोड और मंदिरों के कायाकल्प किए जाने को बड़ा मुद्दा और अपनी उपलब्धि बताई है. जबकि कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाते हुए हरीश रावत के बेटे को लोकसभा चुनाव का टिकट दिलाने की बात कही है.

कांग्रेस ने भी की घेराबंदी: उधर कांग्रेस भी भाजपा पर हमलावर है. उनका कहना है कि अगर सब कुछ अच्छा था तो भाजपा ने रमेश पोखरियाल निशंक को टिकट न देकर त्रिवेंद्र सिंह रावत को टिकट क्यों दिया. इसके अलावा कांग्रेस महंगा गैस सिलेंडर, पेट्रोल-डीजल और इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे नेशनल मुद्दे के जरिए भाजपा को कोस रही है.

ये भी पढ़ेंः त्रिवेंद्र रावत के पॉलिटिकल खाते में दर्ज हैं तीन जीत, दो हार, पोर्टफोलियो में सीएम, कैबिनेट मंत्री का अनुभव भी शामिल

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Last Updated : Apr 15, 2024, 9:53 PM IST
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