लखनऊ: राज्य महिला आयोग द्वारा प्रदेश में महिला उत्पीड़न की रोकथाम एवं पीड़ित महिलाओं को त्वरित न्याय दिलाने के लिए प्रदेश के विभिन्न जिलों के राजकीय गेस्ट हाउसों में महिला जनसुनवाई एवं निरीक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इस कार्यक्रम में महिला आयोग अध्यक्ष बबीता चौहान और दो उपाध्यक्ष अपर्णा यादव व चारू चौधरी के अलावा 25 सदस्य शामिल थे. जिलों में आयोग के पदाधिकारियों की अध्यक्षता में महिला जनसुनवाई के बाद महिला बंदी गृह, बालिका एवं महिला गृहों और आंगनबाड़ी केन्द्रों का निरीक्षण आयोग के पदाधिकारियों द्वारा किया जा रहा है.
क्यों हुआ महिला आयोग का गठन: महिलाओं की उत्पीड़न संबंधी शिकायतों के निपटारे और महिलाओं के हित को ध्यान में रखते हुए सरकार को सलाह देने के उद्देश्य से राज्य महिला आयोग का गठन होता है. वर्ष 2002 में राज्य महिला आयोग का गठन किया गया था. वर्ष 2004 में आयोग के क्रियाकलापों को कानूनी आधार देने के लिए राज्य महिला आयोग अधिनियम-2004 लाया गया. इसके बाद जून 2007 में अधिनियम में संशोधन करके आयोग का पुनर्गठन किया गया. इस अधिनियम में अप्रैल 2013 में संशोधन कर आयोग का एक बार फिर पुनर्गठन किया गया और यूपी में होने वाले महिला अपराध पर अंकुश लगाने में ये आयोग काफी कारगार साबित भी हुआ.
दो वर्ष बाद गठित हुआ महिला आयोग: पूरे दो साल के बाद बीते 7 सितंबर 2024 उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग का गठन हुआ है. इस बार आयोग के अध्यक्ष बबीता चौहान को बनाया गया है वहीं, उपाध्यक्ष अपर्णा यादव व चारु चौधरी को बनाया गया है. इसके अलावा 25 सदस्य को नियुक्त किया गया है. 25 सदस्य में तीन सदस्य ऐसे हैं, जो पिछले तीन बार सदस्य रही हैं. और इस बार उन्होंने चौथी बार सदस्य पद की शपथ ली है.
वहीं बीते 17 सितंबर को उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग ने प्रदेश में बढ़ रहे अपराध पर रोक लगाने के लिए दो टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर, वेबसाइट, व्हाट्सएप नंबर एवं मेल आईडी जारी किया था, जहां पर पीड़ित महिला निसंकोच शिकायत कर सकती है और मदद के लिए फोन कर सकती है. बता दें कि बीते दिनों उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग का गठन हो गया है. महिला आयोग में अध्यक्ष बबीता चौहान और दो उपाध्यक्ष अपर्णा यादव व चारू चौधरी के अलावा 25 सदस्य शामिल रही थी