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कोरबा के कोल माइंस भू विस्थापितों ने घेरा SECL दफ्तर, उचित मुआवजा और नौकरी की मांग - मुआवजा

Protest Of Displaced People बिलासपुर एसईसीएल मुख्यालय में कोरबा के भू विस्थापितों ने प्रदर्शन किया. भू विस्थापितों ने एसईसीएल प्रबंधन से नौकरी के साथ उचित मुआवजा की मांग की है.

Protest Of Displaced People
कोल माइंस भू विस्थापितों ने घेर SECL दफ्तर
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 29, 2024, 7:26 PM IST

Updated : Jan 29, 2024, 7:44 PM IST

कोरबा के कोल माइंस भू विस्थापितों ने घेर SECL दफ्तर

बिलासपुर : कोरबा में कोयला खदान के लिए अधिग्रहित जमीन का उचित मुआवजा नहीं मिलने और रोजगार नहीं मिलने को लेकर इससे प्रभावित भूविस्थापितों ने एसईसीएल मुख्यालय का घेराव किया. कोरबा के कुसमुंडा, बालगीखर, दीपिका, गेवरा और ढुलढुल खदान के भूविस्थापितों ने SECL मुख्यालय के गेट के सामने धरना प्रदर्शन पर बैठ गए. उनकी मांग है कि उचित मुआवजा के साथ परिवार के सदस्य को नौकरी देने का वादा किया गया था.लेकिन वह वादा अब तक पूरा नहीं हुआ है. साथ ही खदान में काम करने ठेका पद्धति से उन्हें मजदूरी करवाई जा रही है. जिसका भी भुगतान ठेकेदार पूरा नहीं करता. पूरे मामले की जानकारी पहले से ही एसईसीएल प्रबंधन को है. लेकिन ठेकेदार से मिली भगत कर अधिकारी क्षेत्र के आदिवासी मजदूरों का शोषण कर रहे हैं. जिसको लेकर मुख्यालय के सामने बैठे ग्रामीणों ने जमकर नारेबाजी की.

Protest Of Displaced People
एसईसीएल प्रबंधन के खिलाफ विरोध

भूविस्थापितों ने मुआवजा और नौकरी की मांग की : कोरबा में चार कोल प्रोजेक्ट चल रहे हैं. जिसमें गेवरा, दीपका, बालगीखार, कुसमुंडा और ढुलढुल खदान शामिल हैं. इन कोयला खदानों को शुरू करने से पहले राज्य सरकार और एसईसीएल ने मिलकर आदिवासियों से उनकी जमीन ली थी. जमीन लेने और मकान तोड़े जाने के बाद उचित मुवाआजा के साथ नौकरी देने की बात कही गई थी.लेकिन खदान शुरु होने के बाद प्रबंधन ने अपना वादा नहीं निभाया. जिसे लेकर भूविस्थापित समय-समय पर एसईसीएल कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन करते हैं. लेकिन इसके बाद भी एसईसीएल प्रबंधन किसी की नहीं सुन रहा है. जिसे लेकर आदिवासी ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ गया है. एक बाद भूविस्थापित सोमवार को बिलासपुर के एसईसीएल मुख्यालय के सामने गेट पर विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे. ग्रामीण सड़क पर ही बैठकर धरना प्रदर्शन करते रहे और एसईसीएल के खिलाफ नारेबाजी की.

Protest Of Displaced People
भू विस्थापितों ने घेर SECL दफ्तर

ठेकेदार नहीं देता पूरी मजदूरी : एसईसीएल विस्थापितों ने बताया कि खदान में काम करने के लिए एसईसीएल ने ठेकेदार के माध्यम से उनकी भर्ती की है. ठेकेदार के अंडर सभी काम करते हैं, लेकिन ठेकेदार उन्हें पूरी मजदूरी नहीं देता. मजदूरी की आधी रकम उन्हें मिलती है. ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें खाते में मजदूरी पूरी दी जाती है. लेकिन ठेकेदार ने उनका बैंक पासबुक और एटीएम अपने पास रख लिया है. उसमें से उन्हें आधी मजदूरी निकालकर देता है . आधी मजदूरी खुद रख लेता है.

Protest Of Displaced People
भू विस्थापितों का प्रदर्शन

कोल माइंस के कारण बढ़ी लोगों की समस्या : ग्रामीणों के साथ आए उनके नेता बृजेश श्रीवास ने बताया कि उनके क्षेत्र में पीने के पानी की बड़ी समस्या है. कोयला खदान होने की वजह से जलस्तर नीचे चला गया है. रोजगार नहीं मिलता, नौकरी के साधन नही है इसके अलावा क्षेत्र के लोगों का कोयला डस्ट और राखड़ की वजह से स्वास्थ्य खराब हो रहा है, जिसपर किसी का ध्यान नहीं जाता.

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बिलासपुर : कोरबा में कोयला खदान के लिए अधिग्रहित जमीन का उचित मुआवजा नहीं मिलने और रोजगार नहीं मिलने को लेकर इससे प्रभावित भूविस्थापितों ने एसईसीएल मुख्यालय का घेराव किया. कोरबा के कुसमुंडा, बालगीखर, दीपिका, गेवरा और ढुलढुल खदान के भूविस्थापितों ने SECL मुख्यालय के गेट के सामने धरना प्रदर्शन पर बैठ गए. उनकी मांग है कि उचित मुआवजा के साथ परिवार के सदस्य को नौकरी देने का वादा किया गया था.लेकिन वह वादा अब तक पूरा नहीं हुआ है. साथ ही खदान में काम करने ठेका पद्धति से उन्हें मजदूरी करवाई जा रही है. जिसका भी भुगतान ठेकेदार पूरा नहीं करता. पूरे मामले की जानकारी पहले से ही एसईसीएल प्रबंधन को है. लेकिन ठेकेदार से मिली भगत कर अधिकारी क्षेत्र के आदिवासी मजदूरों का शोषण कर रहे हैं. जिसको लेकर मुख्यालय के सामने बैठे ग्रामीणों ने जमकर नारेबाजी की.

Protest Of Displaced People
एसईसीएल प्रबंधन के खिलाफ विरोध

भूविस्थापितों ने मुआवजा और नौकरी की मांग की : कोरबा में चार कोल प्रोजेक्ट चल रहे हैं. जिसमें गेवरा, दीपका, बालगीखार, कुसमुंडा और ढुलढुल खदान शामिल हैं. इन कोयला खदानों को शुरू करने से पहले राज्य सरकार और एसईसीएल ने मिलकर आदिवासियों से उनकी जमीन ली थी. जमीन लेने और मकान तोड़े जाने के बाद उचित मुवाआजा के साथ नौकरी देने की बात कही गई थी.लेकिन खदान शुरु होने के बाद प्रबंधन ने अपना वादा नहीं निभाया. जिसे लेकर भूविस्थापित समय-समय पर एसईसीएल कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन करते हैं. लेकिन इसके बाद भी एसईसीएल प्रबंधन किसी की नहीं सुन रहा है. जिसे लेकर आदिवासी ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ गया है. एक बाद भूविस्थापित सोमवार को बिलासपुर के एसईसीएल मुख्यालय के सामने गेट पर विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे. ग्रामीण सड़क पर ही बैठकर धरना प्रदर्शन करते रहे और एसईसीएल के खिलाफ नारेबाजी की.

Protest Of Displaced People
भू विस्थापितों ने घेर SECL दफ्तर

ठेकेदार नहीं देता पूरी मजदूरी : एसईसीएल विस्थापितों ने बताया कि खदान में काम करने के लिए एसईसीएल ने ठेकेदार के माध्यम से उनकी भर्ती की है. ठेकेदार के अंडर सभी काम करते हैं, लेकिन ठेकेदार उन्हें पूरी मजदूरी नहीं देता. मजदूरी की आधी रकम उन्हें मिलती है. ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें खाते में मजदूरी पूरी दी जाती है. लेकिन ठेकेदार ने उनका बैंक पासबुक और एटीएम अपने पास रख लिया है. उसमें से उन्हें आधी मजदूरी निकालकर देता है . आधी मजदूरी खुद रख लेता है.

Protest Of Displaced People
भू विस्थापितों का प्रदर्शन

कोल माइंस के कारण बढ़ी लोगों की समस्या : ग्रामीणों के साथ आए उनके नेता बृजेश श्रीवास ने बताया कि उनके क्षेत्र में पीने के पानी की बड़ी समस्या है. कोयला खदान होने की वजह से जलस्तर नीचे चला गया है. रोजगार नहीं मिलता, नौकरी के साधन नही है इसके अलावा क्षेत्र के लोगों का कोयला डस्ट और राखड़ की वजह से स्वास्थ्य खराब हो रहा है, जिसपर किसी का ध्यान नहीं जाता.

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Last Updated : Jan 29, 2024, 7:44 PM IST
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