नई दिल्ली: दिल्ली की सड़कों पर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया जब सैकड़ों की संख्या में हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध समाज के लोग बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ती बर्बरता के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए एकत्रित हुए. चाणक्यपुरी स्थित बांग्लादेश उच्चायोग तक विरोध मार्च निकाला गया, जहां प्रदर्शनकारी अपने अधिकारों की रक्षा और मानवाधिकारों के उल्लंघन के विरोध में नारे लगाते नजर आए.
इस विरोध मार्च का आयोजन दिल्ली सिविल सोसायटी के तत्वावधान में हुआ, जिसमें 200 से अधिक धार्मिक, सामाजिक, व्यापारी, उद्यमी और सांस्कृतिक संगठनों ने हिस्सा लिया. इस कार्यक्रम ने न केवल हिंदू समाज, बल्कि जैन, सिख, बौद्ध, और अन्य समुदायों को भी एकजुट किया.
प्रदर्शन का उद्देश्य: प्रदर्शनकारियों ने हाथों में पोस्टर और बैनर ले रखे थे, जिन पर लिखा था कि "बांग्लादेश में हिंदुओं पर नरसंहार हो रहा है", "यह अत्याचार हिंदुस्तान नहीं बर्दाश्त करेगा", जैसे नारे लगाए जा रहे थे. साध्वी ऋतंभरा ने मंच पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि बांग्लादेश में हिंदू महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्याएं हो रही हैं. उन्होंने कहा, "यदि हमारे ग्रह की लक्ष्मी के साथ अत्याचार होता है तो सभी हिंदू सज्जन शक्ति इसे बर्दाश्त नहीं कर सकती."
अंतरराष्ट्रीय संगठनों की चुप्पी पर सवाल: विरोध प्रदर्शन के दौरान साध्वी ऋतंभरा ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवाधिकार संगठनों की चुप्पी पर सवाल उठाया. उन्होंने आरोप लगाया कि ये संगठन छोटी-छोटी बातों पर उठ खड़े होते हैं, लेकिन जब हिंदुओं की भलाई की बात आती है, तो चुप रह जाते हैं. उन्होंने 25 साल पहले अमेरिका में मिली एक यहूदी व्यक्ति का उदाहरण दिया, जिसने बांग्लादेश में हिंदू महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों की वारदातों पर चिंता व्यक्त की थी.
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