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टाइप टेस्ट पास नहीं करने पर कर्मचारी की पदोन्नति की निरस्त, हाईकोर्ट ने लगाई आदेश पर रोक - High Court order

राजस्थान हाईकोर्ट ने कनिष्ठ सहायक से वरिष्ठ सहायक पद पर पदोन्नति हुए कर्मचारी के टाइप टेस्ट पास नहीं करने के चलते उसकी पदोन्नति निरस्त करने के राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है.

कर्मचारी की पदोन्नति की निरस्त
कर्मचारी की पदोन्नति की निरस्त
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 5, 2024, 9:35 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कनिष्ठ सहायक से वरिष्ठ सहायक पद पर पदोन्नति हुए कर्मचारी के टाइप टेस्ट पास नहीं करने के चलते उसकी पदोन्नति निरस्त करने के राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख शिक्षा सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. अदालत ने यह आदेश अशोक कुमार की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की वर्ष 1993 में अनुकंपा के तौर पर कनिष्ठ सहायक पद पर नियुक्ति हुई थी. वर्ष 2005 में विभागीय पदोन्नति समिति की सिफारिश पर उसे वरिष्ठ सहायक पद पर पदोन्नत कर दिया गया. वहीं, गत 29 जनवरी को विभाग ने उसकी पदोन्नति यह कहते हुए निरस्त कर दी की वह टाइप टेस्ट में पास नहीं हुआ है.

इसे भी पढ़ें-जेडीए के पूर्व प्रवर्तन अधिकारी को एसीबी मामलों की विशेष अदालत ने सुनाई सजा

इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि समय बदलाव के अनुसार विभागों में टाइपराइटर का प्रचलन कम हो गया है. अब विभागों में सभी काम कंप्यूटर के जरिए ही किए जाते हैं. ऐसे में टाइपिंग टेस्ट पास करने की बजाय कंप्यूटर संबंधी योग्यता होने पर भी पदोन्नति के सभी परिलाभ दिए जाते हैं. उसने अपनी सेवा के दौरान ही आरएससीआईटी की योग्यता प्राप्त कर ली है. इसके बावजूद विभाग ने उसकी पदोन्नति को निरस्त कर दिया. विभाग ने उसके खिलाफ कार्रवाई से पूर्व याचिकाकर्ता को सुनवाई का मौका भी नहीं दिया, जबकि किसी भी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई करने से पूर्व उसका पक्ष जानना भी जरूरी होता है, ऐसे में उसकी पदोन्नति निरस्त करने के आदेश को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पदोन्नति निरस्त करने के आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कनिष्ठ सहायक से वरिष्ठ सहायक पद पर पदोन्नति हुए कर्मचारी के टाइप टेस्ट पास नहीं करने के चलते उसकी पदोन्नति निरस्त करने के राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख शिक्षा सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. अदालत ने यह आदेश अशोक कुमार की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की वर्ष 1993 में अनुकंपा के तौर पर कनिष्ठ सहायक पद पर नियुक्ति हुई थी. वर्ष 2005 में विभागीय पदोन्नति समिति की सिफारिश पर उसे वरिष्ठ सहायक पद पर पदोन्नत कर दिया गया. वहीं, गत 29 जनवरी को विभाग ने उसकी पदोन्नति यह कहते हुए निरस्त कर दी की वह टाइप टेस्ट में पास नहीं हुआ है.

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इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि समय बदलाव के अनुसार विभागों में टाइपराइटर का प्रचलन कम हो गया है. अब विभागों में सभी काम कंप्यूटर के जरिए ही किए जाते हैं. ऐसे में टाइपिंग टेस्ट पास करने की बजाय कंप्यूटर संबंधी योग्यता होने पर भी पदोन्नति के सभी परिलाभ दिए जाते हैं. उसने अपनी सेवा के दौरान ही आरएससीआईटी की योग्यता प्राप्त कर ली है. इसके बावजूद विभाग ने उसकी पदोन्नति को निरस्त कर दिया. विभाग ने उसके खिलाफ कार्रवाई से पूर्व याचिकाकर्ता को सुनवाई का मौका भी नहीं दिया, जबकि किसी भी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई करने से पूर्व उसका पक्ष जानना भी जरूरी होता है, ऐसे में उसकी पदोन्नति निरस्त करने के आदेश को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पदोन्नति निरस्त करने के आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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