श्रीनगर गढ़वाल: हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि के कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर मनमोहन सिंह रौथाण ने गुरुवार को कार्यभार ग्रहण किया. कुलपति का पदभार ग्रहण करने के दौरान शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों सहित छात्र नेताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया. इस मौके पर गढ़वाल विवि के कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर एमएमएस रौथाण ने कहा विवि में परीक्षाएं समय पर कराना उनकी प्राथमिकता है. साथ ही अल्प समय पर परीक्षाओं का परिणाम घोषित करने की भी वे कोशिश करेंगे. उन्होंने कहा गढ़वाल विवि के सभी विभाग कम्प्यूटराइज्ड (आईसीटी) से जुड़ें यह उनकी प्राथमिकता में से एक है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर मनमोहन सिंह रौथाण ने कहा विवि के सभी विभाग कम्प्यूटराइज्ड होने पर सूचनाओं का आदान प्रदान समय से कर सकेंगे. उन्होंने कहा वे यूनिवर्सिटी को हाईटेक बनाने में जुटे रहेंगे. उन्होंने विश्वविद्यालय में खाली पड़े अधिकारियों के पदों पर बोलते हुए कहा गढ़वाल विवि में रिक्त पड़े पदों को भरे जाने के लिए शिक्षा मंत्रालय से जो भी दिशा-निर्देश आयेंगे उसके तहत आगामी कार्यवाही की जायेगी. अभी किसी तरह की गाइडलाइन नहीं मिली है.उन्होंने बताया वे गढ़वाल विवि के भूतपूर्व छात्र रहे हैं. उन्होंने इसी विश्वविद्यालय से बीएससी की पढ़ाई की है. उन्होंने बताया ये उनके लिए विश्वविद्यालय की सेवा का अवसर है. उन्होंने कहा वे विवि को उच्च कोटि का शिक्षण संस्थान बनाने की कोशिश करेंगे.
बता दें मनमोहन सिंह रौथाण श्रीनगर ऐठाणा के मूल निवासी हैं. उनकी प्राथमिक, सीनियर सेकेंडरी तक की पढाई पौड़ी से ही पूर्ण हुई है. उन्होंने बीएससी गढ़वाल विवि से की है. प्रोफेसर रौथाण एक सामान्य परिवार के होनहार छात्र रहे. जिन्होंने इसी विवि में पढ़ाई करके आज इतना बड़ा मुकाम हासिल किया है. उन्होंने बताया स्थानीय होने के नाते भी विश्वविद्यालय की सेवा का एक बड़ा दायित्व उनके कांधे पर है.
मनमोहन सिंह रौथाण का करियर तीन दशकों से अधिक समय तक फैला हुआ है. जिसमें कई शैक्षणिक उपलब्धियों का योगदान है. प्रोफेसर रौथाण ने 1985 में आईआईटी नई दिल्ली से भौतिकी में एमएससी पूरी की. इसके बाद 1987 में रुड़की विश्वविद्यालय से कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में एमटेक की डिग्री प्राप्त की. उन्होंने उत्तराखंड के नैनीताल स्थित कुमाऊं विश्वविद्यालय से पीएचडी करके अपनी शैक्षणिक नींव को और भी मजबूत किया. रौथाण ने अगस्त 1987 में भोपाल के सरकारी कंप्यूटर सेंटर में एक प्रोग्रामर के रूप में अपना करियर शुरू किया. 1988 में, वे राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी), दिल्ली में एक वरिष्ठ सिस्टम विश्लेषक के रूप में शामिल हुए. जहां उन्होंने 1995 तक सेवा की. उनकी समर्पण और प्रतिभा के कारण उन्हें भारत के राष्ट्रपति से उत्कृष्ट सेवा के लिए पुरस्कार प्राप्त हुआ.