ETV Bharat / state

प्रोफ़ेसर काले कमेटी की रिपोर्ट को लागू किए बिना डीयू में ना निकाले जाएं प्रिंसिपल पदों के विज्ञापन: प्रो. केपी. सिंह - Principal posts in DU - PRINCIPAL POSTS IN DU

Principal posts in DU: दिल्ली सरकार के कई कॉलेजों में लम्बे समय से स्थायी प्रिंसिपल नहीं हैं. दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी, एसटी ओबीसी टीचर्स फोरम के चेयरमैन प्रोफेसर के.पी. सिंह ने वाइस चांसलर से अनुरोध किया है कि वे जल्द से जल्द प्रोफेसर काले कमेटी की रिपोर्ट को लागू करते हुए प्रिंसिपल पदों का रोस्टर रजिस्टर तैयार कराकर ही प्रिंसीपल पदों के विज्ञापन निकाले. जिससे एससी,एसटी, ओबीसी अभ्यर्थियों को आरक्षण मिल सके.

Etv Bharat
Etv Bharat (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 16, 2024, 1:36 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के अनुसूचित जाति-जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के शिक्षकों के संगठन दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी, एसटी ओबीसी टीचर्स फोरम ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को पत्र लिखकर मांग की है कि प्रोफेसर काले कमेटी की रिपोर्ट को लागू करते हुए प्रिंसिपल पदों का रोस्टर रजिस्टर तैयार कराकर ही प्रिंसीपल पदों के विज्ञापन निकाले जाएं. साथ ही जिन कॉलेजों ने ओबीसी कोटे के अंतर्गत सेकेंड ट्रांच के पदों को अभी तक नहीं भरा गया है उनको भी 31 जुलाई 2024 से पूर्व रोस्टर पास कराकर पदों को विज्ञापित कर 31 दिसम्बर 2024 तक भरा जाए.

दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी, एसटी ओबीसी टीचर्स फोरम के चेयरमैन प्रोफेसर के.पी. सिंह ने बताया है कि 12 जुलाई 2024 तक कॉलेजों में 4600 सहायक प्रोफेसरों की स्थायी नियुक्ति हुई है. इसके अलावा कुछ कॉलेजों में नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है. उन्होंने बताया है कि अभी तक जो नियुक्तियां हुई हैं वहां कॉलेजों द्वारा निकाले गए उनके विज्ञापनों में भारत सरकार की आरक्षण नीति व डीओपीटी के निर्देशों को सही से लागू नहीं किया गया था. उनमें शॉर्टफाल, बैकलॉग और विश्वविद्यालय द्वारा बनाई गई प्रोफ़ेसर काले कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकारते हुए करेक्ट रोस्टर नहीं बनाया गया है, जिससे एससी,एसटी, ओबीसी अभ्यर्थियों को जिस अनुपात में आरक्षण मिलना चाहिए था नहीं दिया गया. डीयू के तमाम कॉलेजों ने सामाजिक न्याय और भारतीय संविधान के नियमों की सरेआम अवहेलना की गई है.

प्रोफेसर के.पी. सिंह ने बताया है कि आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्गों (ईडब्ल्यूएस आरक्षण) का 10 फीसदी आरक्षण फरवरी-2019 में लागू किया गया था, जिसे विश्वविद्यालय और कॉलेजों ने स्वीकार करते हुए इसको रोस्टर में शामिल भी कर लिया. कॉलेजों ने ईडब्ल्यूएस रोस्टर को फरवरी 2019 से ना बनाकर उसे एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण के पहले लागू करते हुए रोस्टर बनाकर नियुक्तियां की हैं. इतना ही नहीं उन्होंने 10 फीसदी आरक्षण के स्थान पर किसी-किसी कॉलेज ने 14, 15 या 20 फीसदी तक आरक्षण दे दिया है, जिससे कि एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण कम कर दिया गया और ईडब्ल्यूएस आरक्षण बढ़ाकर दिया गया है. इसी तरह पीडब्ल्यूडी आरक्षण को सही तरीके से लागू नहीं किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें- पीएचडी दाखिला: डीयू और इग्नू करेंगे नेट परीक्षा का इंतजार, जेएनयू करा सकता है अलग प्रवेश परीक्षा

प्रोफेसर सिंह ने यह भी मांग की है कि ओबीसी कोटे के बकाया सेकेंड ट्रांच के पदों को भरने के निर्देश कॉलेजों को दिए जाएं. उन्होंने बताया है कि ओबीसी आरक्षण लागू हुए 17 साल हो चुके हैं लेकिन अभी तक बहुत से कॉलेजों ने ओबीसी एक्सपेंशन से सेकेंड ट्रांच की बढ़ी हुई सीटों को रोस्टर में शामिल नहीं किया है.
प्रिंसिपल पदों को क्लब करने के विषय में बताते हुए प्रोफेसर सिंह ने कहा कि प्रोफेसर व प्रिंसिपल का पद एक समान है. प्रोफेसर पदों को आरक्षण देकर भरा जा रहा है जबकि प्रिंसिपल पदों का रोस्टर आज तक तैयार नहीं किया गया है. दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों के प्रिसिंपल पदों को एक साथ क्लब करते हुए रोस्टर रजिस्टर बनाया जाना चाहिए था. उन्होंने बताया है दिल्ली सरकार के कॉलेजों में सबसे ज्यादा प्रिंसिपल के पद खाली हैं.

यह भी पढ़ें- DUSU कार्यालय में तोड़फोड़ के मामले में डीयू प्रशासन ने गठित की कमेटी, सात दिन में जांच कर सौंपेगी रिपोर्ट

इन कॉलेजों में अरबिंदो कॉलेज, श्री अरबिंदो कॉलेज (सांध्य), मोतीलाल नेहरू कॉलेज, मोतीलाल नेहरू कॉलेज (सांध्य), सत्यवती कॉलेज, सत्यवती कॉलेज (सांध्य), भगतसिंह कॉलेज (सांध्य), राजधानी कॉलेज, कालिंदी कॉलेज, विवेकानंद कॉलेज, श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज, मैत्रीय कॉलेज, भगिनी निवेदिता कॉलेज, डॉ. भीमराव अम्बेडकर कॉलेज, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, आचार्य नरेंद्रदेव कॉलेज, बाल्मीकि कॉलेज ऑफ एजुकेशन, इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स एंड साइंस कॉलेज, कमला नेहरू कॉलेज, गार्गी कॉलेज, दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज हैं.

इन कॉलेजों में लम्बे समय से स्थायी प्रिंसिपल नहीं हैं. प्रोफेसर सिंह ने वाइस चांसलर से अनुरोध किया है कि वे जल्द से जल्द प्रिंसिपल पदों का रोस्टर और शिक्षकों का रोस्टर तैयार करवाएँ.शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी के निर्देशों का पालन करते हुए एससी/एसटी, ओबीसी का बैकलॉग पूरा करने का कष्ट करें ताकि विश्वविद्यालय में सामाजिक न्याय का उचित प्रक्रिया से पालन हो और आरक्षित वर्गों को सही न्याय मिल सके.

यह भी पढ़ें- दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों में रुकी है 1098 पदों की भर्ती, सरकार ने 195 करोड़ का बजट कम किया

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के अनुसूचित जाति-जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के शिक्षकों के संगठन दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी, एसटी ओबीसी टीचर्स फोरम ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को पत्र लिखकर मांग की है कि प्रोफेसर काले कमेटी की रिपोर्ट को लागू करते हुए प्रिंसिपल पदों का रोस्टर रजिस्टर तैयार कराकर ही प्रिंसीपल पदों के विज्ञापन निकाले जाएं. साथ ही जिन कॉलेजों ने ओबीसी कोटे के अंतर्गत सेकेंड ट्रांच के पदों को अभी तक नहीं भरा गया है उनको भी 31 जुलाई 2024 से पूर्व रोस्टर पास कराकर पदों को विज्ञापित कर 31 दिसम्बर 2024 तक भरा जाए.

दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी, एसटी ओबीसी टीचर्स फोरम के चेयरमैन प्रोफेसर के.पी. सिंह ने बताया है कि 12 जुलाई 2024 तक कॉलेजों में 4600 सहायक प्रोफेसरों की स्थायी नियुक्ति हुई है. इसके अलावा कुछ कॉलेजों में नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है. उन्होंने बताया है कि अभी तक जो नियुक्तियां हुई हैं वहां कॉलेजों द्वारा निकाले गए उनके विज्ञापनों में भारत सरकार की आरक्षण नीति व डीओपीटी के निर्देशों को सही से लागू नहीं किया गया था. उनमें शॉर्टफाल, बैकलॉग और विश्वविद्यालय द्वारा बनाई गई प्रोफ़ेसर काले कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकारते हुए करेक्ट रोस्टर नहीं बनाया गया है, जिससे एससी,एसटी, ओबीसी अभ्यर्थियों को जिस अनुपात में आरक्षण मिलना चाहिए था नहीं दिया गया. डीयू के तमाम कॉलेजों ने सामाजिक न्याय और भारतीय संविधान के नियमों की सरेआम अवहेलना की गई है.

प्रोफेसर के.पी. सिंह ने बताया है कि आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्गों (ईडब्ल्यूएस आरक्षण) का 10 फीसदी आरक्षण फरवरी-2019 में लागू किया गया था, जिसे विश्वविद्यालय और कॉलेजों ने स्वीकार करते हुए इसको रोस्टर में शामिल भी कर लिया. कॉलेजों ने ईडब्ल्यूएस रोस्टर को फरवरी 2019 से ना बनाकर उसे एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण के पहले लागू करते हुए रोस्टर बनाकर नियुक्तियां की हैं. इतना ही नहीं उन्होंने 10 फीसदी आरक्षण के स्थान पर किसी-किसी कॉलेज ने 14, 15 या 20 फीसदी तक आरक्षण दे दिया है, जिससे कि एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण कम कर दिया गया और ईडब्ल्यूएस आरक्षण बढ़ाकर दिया गया है. इसी तरह पीडब्ल्यूडी आरक्षण को सही तरीके से लागू नहीं किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें- पीएचडी दाखिला: डीयू और इग्नू करेंगे नेट परीक्षा का इंतजार, जेएनयू करा सकता है अलग प्रवेश परीक्षा

प्रोफेसर सिंह ने यह भी मांग की है कि ओबीसी कोटे के बकाया सेकेंड ट्रांच के पदों को भरने के निर्देश कॉलेजों को दिए जाएं. उन्होंने बताया है कि ओबीसी आरक्षण लागू हुए 17 साल हो चुके हैं लेकिन अभी तक बहुत से कॉलेजों ने ओबीसी एक्सपेंशन से सेकेंड ट्रांच की बढ़ी हुई सीटों को रोस्टर में शामिल नहीं किया है.
प्रिंसिपल पदों को क्लब करने के विषय में बताते हुए प्रोफेसर सिंह ने कहा कि प्रोफेसर व प्रिंसिपल का पद एक समान है. प्रोफेसर पदों को आरक्षण देकर भरा जा रहा है जबकि प्रिंसिपल पदों का रोस्टर आज तक तैयार नहीं किया गया है. दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों के प्रिसिंपल पदों को एक साथ क्लब करते हुए रोस्टर रजिस्टर बनाया जाना चाहिए था. उन्होंने बताया है दिल्ली सरकार के कॉलेजों में सबसे ज्यादा प्रिंसिपल के पद खाली हैं.

यह भी पढ़ें- DUSU कार्यालय में तोड़फोड़ के मामले में डीयू प्रशासन ने गठित की कमेटी, सात दिन में जांच कर सौंपेगी रिपोर्ट

इन कॉलेजों में अरबिंदो कॉलेज, श्री अरबिंदो कॉलेज (सांध्य), मोतीलाल नेहरू कॉलेज, मोतीलाल नेहरू कॉलेज (सांध्य), सत्यवती कॉलेज, सत्यवती कॉलेज (सांध्य), भगतसिंह कॉलेज (सांध्य), राजधानी कॉलेज, कालिंदी कॉलेज, विवेकानंद कॉलेज, श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज, मैत्रीय कॉलेज, भगिनी निवेदिता कॉलेज, डॉ. भीमराव अम्बेडकर कॉलेज, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, आचार्य नरेंद्रदेव कॉलेज, बाल्मीकि कॉलेज ऑफ एजुकेशन, इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स एंड साइंस कॉलेज, कमला नेहरू कॉलेज, गार्गी कॉलेज, दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज हैं.

इन कॉलेजों में लम्बे समय से स्थायी प्रिंसिपल नहीं हैं. प्रोफेसर सिंह ने वाइस चांसलर से अनुरोध किया है कि वे जल्द से जल्द प्रिंसिपल पदों का रोस्टर और शिक्षकों का रोस्टर तैयार करवाएँ.शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी के निर्देशों का पालन करते हुए एससी/एसटी, ओबीसी का बैकलॉग पूरा करने का कष्ट करें ताकि विश्वविद्यालय में सामाजिक न्याय का उचित प्रक्रिया से पालन हो और आरक्षित वर्गों को सही न्याय मिल सके.

यह भी पढ़ें- दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों में रुकी है 1098 पदों की भर्ती, सरकार ने 195 करोड़ का बजट कम किया

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.