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मलिहाबाद के दशहरी आम को मिल चुका है जीआई टैग, जानिए भावी सरकार से क्या चाहते हैं उत्पादक - problems of gardeners

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 10, 2024, 12:08 PM IST

यूपी की राजधानी का फलपट्टी क्षेत्र प्रशासनिक उपेक्षा (PROBLEMS OF GARDENERS) का शिकार है. ऐसे में हर साल विश्व प्रसिद्ध दशहरी के उत्पादक किसान फसल बेचने को लेकर मायूस होते हैं. लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर आम बागवानों का क्या नजरिया है और आगामी सरकार से क्या अपेक्षाएं रखतें हैं. देखें विस्तृत खबर...

आम बागवानों की परेशानी.
आम बागवानों की परेशानी. (Photo Credit ; Etv Bharat)
लखनऊ के आम उत्पादक बागवानों की परेशानी. (Video Credit ; Etv Bharat)





लखनऊ : यूपी की राजधानी लखनऊ को बागों का शहर कहा जाता है. शहर के तमाम स्थानों कैसरबाग, चारबाग, लालबाग, आलमबाग, मुनव्वर बाग, फूलबाग आदि को इन्हीं बागों के नाम से जाना जाता है. हालांकि अपनी मिठास और महक के कारण दुनियाभर में पसंद किए जाने वाले दशहरी आम की बड़े पैमाने पर, जहां बागवानी की जाती है, उस जगह का नाम है मलिहाबाद. इस फल पट्टी क्षेत्र में होने वाले दशहरी आम को जीआई टैग भी मिला है. अब जबकि आगामी 20 मई को लखनऊ में लोकसभा चुनावों के लिए मतदान होना है. ऐसे में हमने मलिहाबाद के बागवानों से बातचीत की कि आखिर उनकी समस्याएं क्या हैं और वह सरकार से क्या चाहते हैं?


आम उत्पादन के आंकड़े.
आम उत्पादन के आंकड़े. (Photo Credit ; Evt Bharat)

अवध आम उत्पादक बागवानी समिति के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि यहां की सबसे बड़ी समस्या है आम के बाग जंगल होते चले जा रहे हैं. हमें आम का बाग बनाना है, जंगल नहीं. अभी प्रदेश के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने एक अच्छा आदेश किया है कि अब बागों की कटाई-छंटाई के लिए वन विभाग और पुलिस का हस्तक्षेप नहीं होगा. पहले बहुत हस्तक्षेप होता था और बागवानों का शोषण भी किया जाता था. वह बताते हैं कि हम इजराइल के कृषि उत्पादन की बात करते हैं, लेकिन हमारे अधिकारी वहां जाते तो जरूर हैं, लेकिन घूम कर ही आ जाते हैं. वहां की तकनीक धरातल पर लागू नहीं कर पाते. हमारे पास वह यंत्र ही नहीं हैं, जिनसे वृक्षों का रखरखाव किया जा सके.

यूपी में आम उत्पादन के आंकड़े.
यूपी में आम उत्पादन के आंकड़े. (Phot Credit ; Etv Bharat)



उपेंद्र सिंह कहते हैं हमारे पीछे देखिए 60-70 फीट ऊंचे आम के पेड़ दिखाई देंगे. ऐसे पेड़ों का क्या मतलब है? इतनी ऊंचाई पर आम तोड़ना संभव नहीं. आंधी में गिरने पर आम खराब हो जाता है. हमारे पास हाइड्रोलिक और काटने वाली मशीनों का अभाव है. हमें आधुनिक तकनीक मिले, तभी हम बागों की बेहतर देखभाल कर पाएंगे और आम उत्पादन बढ़ेगा. वह कहते हैं कि समस्याओं को लेकर हम उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह और प्रमुख सचिव से मिलते हैं. हम अन्य अधिकारियों को भी बताते रहते हैं. इस क्षेत्र में अभी बहुत कुछ करना बाकी है. बागवानों की जीविका इन्हीं बागों पर निर्भर है. पिछले पांच साल का उत्पादन और हानि-लाभ देखें तो हम लोग शून्य पर हैं. बागवानों को कुछ नहीं मिला है. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए कि बागों का आधुनिकीकरण कैसे किया जाए. ज्यादा से ज्यादा क्वालिटी वाला आम कैसे पैदा किया जाए. फलों पर मैंगो प्रोटक्शन बैग लगाने से क्वालिटी में बहुत सुधार देखने को मिल रहा है. किसानों को इसे जरूर अपनाना चाहिए.




जिला सहकारी बैंक के निदेशक और बागवान पंकज गुप्ता बताते हैं कि फलपट्टी क्षेत्र में मुर्गी पालन उद्योग भी आम उत्पादन को प्रभावित कर रहा है. मुर्गियों के मल से न सिर्फ बड़ी दुर्गंध होती है, बल्कि भुनगे भी पैदा होते हैं, जो फलों को नुकसान पहुंचाते हैं. वहीं बागवानों को अधिकारियों से फल उत्पादन को लेकर सही सलाह भी नहीं मिल पा रही है. गांवों में अधिकारी जाते ही नहीं हैं. सही दवाएं भी नहीं मिल पा रही हैं. सरकार को मलिहाबाद के किसानों के लिए उचित कदम उठाने की जरूरत है. यहां के किसान पूरी तरह से आम पर ही निर्भर हैं. आम को रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज और अच्छी मंडी की व्यवस्था भी की जानी चाहिए.




बागवान और पौधों की नर्सरी चलाने वाले जुबैर बताते हैं कि यहां सबसे बड़ी समस्या नकली दवा की है. मुनाफा ज्यादा कमाने के चक्कर में दुकानदार नकली दवाएं बेचते हैं. सरकार को इस पर ध्यान देकर रोक लगानी चाहिए. कई बार कीटनाशक के चक्कर में आम भी खराब हो जाते हैं. यदि अच्छी दवा मिल जाए तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि आम की पैदावार भी बढ़ सकती है. वह कहते हैं यदि आम की अच्छी बैगिंग की जाए तो निर्यात लायक बेहतरीन आम का उत्पादन बहुत आसान हो जाएगा. ऐसा आम खाने में जायकेदार और साफ सुथरा होता है. एक अन्य आम उत्पादक बताते हैं कि इस बार आम की पैदावार पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम है. इसलिए उम्मीद है कि मूल्य अच्छा मिलेगा. बागवानों को गाइड करने वाला यहां कोई नहीं है. तमाम बाग बहुत ही उम्रदराज हो चुके हैं, ऐसे बागों को बिना इजाजत कटवाने की अनुमति भी मिलनी चाहिए.

यह भी पढ़ें : तेज आंधी और ओलावृष्टि से आम की फसल बर्बाद, 10 से 15 फीसदी का नुकसान

यह भी पढ़ें : देश भर में बढ़ी '15 अगस्त मैंगो' पौधे की डिमांड, इन जगहों पर भेजे गए

लखनऊ के आम उत्पादक बागवानों की परेशानी. (Video Credit ; Etv Bharat)





लखनऊ : यूपी की राजधानी लखनऊ को बागों का शहर कहा जाता है. शहर के तमाम स्थानों कैसरबाग, चारबाग, लालबाग, आलमबाग, मुनव्वर बाग, फूलबाग आदि को इन्हीं बागों के नाम से जाना जाता है. हालांकि अपनी मिठास और महक के कारण दुनियाभर में पसंद किए जाने वाले दशहरी आम की बड़े पैमाने पर, जहां बागवानी की जाती है, उस जगह का नाम है मलिहाबाद. इस फल पट्टी क्षेत्र में होने वाले दशहरी आम को जीआई टैग भी मिला है. अब जबकि आगामी 20 मई को लखनऊ में लोकसभा चुनावों के लिए मतदान होना है. ऐसे में हमने मलिहाबाद के बागवानों से बातचीत की कि आखिर उनकी समस्याएं क्या हैं और वह सरकार से क्या चाहते हैं?


आम उत्पादन के आंकड़े.
आम उत्पादन के आंकड़े. (Photo Credit ; Evt Bharat)

अवध आम उत्पादक बागवानी समिति के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि यहां की सबसे बड़ी समस्या है आम के बाग जंगल होते चले जा रहे हैं. हमें आम का बाग बनाना है, जंगल नहीं. अभी प्रदेश के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने एक अच्छा आदेश किया है कि अब बागों की कटाई-छंटाई के लिए वन विभाग और पुलिस का हस्तक्षेप नहीं होगा. पहले बहुत हस्तक्षेप होता था और बागवानों का शोषण भी किया जाता था. वह बताते हैं कि हम इजराइल के कृषि उत्पादन की बात करते हैं, लेकिन हमारे अधिकारी वहां जाते तो जरूर हैं, लेकिन घूम कर ही आ जाते हैं. वहां की तकनीक धरातल पर लागू नहीं कर पाते. हमारे पास वह यंत्र ही नहीं हैं, जिनसे वृक्षों का रखरखाव किया जा सके.

यूपी में आम उत्पादन के आंकड़े.
यूपी में आम उत्पादन के आंकड़े. (Phot Credit ; Etv Bharat)



उपेंद्र सिंह कहते हैं हमारे पीछे देखिए 60-70 फीट ऊंचे आम के पेड़ दिखाई देंगे. ऐसे पेड़ों का क्या मतलब है? इतनी ऊंचाई पर आम तोड़ना संभव नहीं. आंधी में गिरने पर आम खराब हो जाता है. हमारे पास हाइड्रोलिक और काटने वाली मशीनों का अभाव है. हमें आधुनिक तकनीक मिले, तभी हम बागों की बेहतर देखभाल कर पाएंगे और आम उत्पादन बढ़ेगा. वह कहते हैं कि समस्याओं को लेकर हम उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह और प्रमुख सचिव से मिलते हैं. हम अन्य अधिकारियों को भी बताते रहते हैं. इस क्षेत्र में अभी बहुत कुछ करना बाकी है. बागवानों की जीविका इन्हीं बागों पर निर्भर है. पिछले पांच साल का उत्पादन और हानि-लाभ देखें तो हम लोग शून्य पर हैं. बागवानों को कुछ नहीं मिला है. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए कि बागों का आधुनिकीकरण कैसे किया जाए. ज्यादा से ज्यादा क्वालिटी वाला आम कैसे पैदा किया जाए. फलों पर मैंगो प्रोटक्शन बैग लगाने से क्वालिटी में बहुत सुधार देखने को मिल रहा है. किसानों को इसे जरूर अपनाना चाहिए.




जिला सहकारी बैंक के निदेशक और बागवान पंकज गुप्ता बताते हैं कि फलपट्टी क्षेत्र में मुर्गी पालन उद्योग भी आम उत्पादन को प्रभावित कर रहा है. मुर्गियों के मल से न सिर्फ बड़ी दुर्गंध होती है, बल्कि भुनगे भी पैदा होते हैं, जो फलों को नुकसान पहुंचाते हैं. वहीं बागवानों को अधिकारियों से फल उत्पादन को लेकर सही सलाह भी नहीं मिल पा रही है. गांवों में अधिकारी जाते ही नहीं हैं. सही दवाएं भी नहीं मिल पा रही हैं. सरकार को मलिहाबाद के किसानों के लिए उचित कदम उठाने की जरूरत है. यहां के किसान पूरी तरह से आम पर ही निर्भर हैं. आम को रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज और अच्छी मंडी की व्यवस्था भी की जानी चाहिए.




बागवान और पौधों की नर्सरी चलाने वाले जुबैर बताते हैं कि यहां सबसे बड़ी समस्या नकली दवा की है. मुनाफा ज्यादा कमाने के चक्कर में दुकानदार नकली दवाएं बेचते हैं. सरकार को इस पर ध्यान देकर रोक लगानी चाहिए. कई बार कीटनाशक के चक्कर में आम भी खराब हो जाते हैं. यदि अच्छी दवा मिल जाए तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि आम की पैदावार भी बढ़ सकती है. वह कहते हैं यदि आम की अच्छी बैगिंग की जाए तो निर्यात लायक बेहतरीन आम का उत्पादन बहुत आसान हो जाएगा. ऐसा आम खाने में जायकेदार और साफ सुथरा होता है. एक अन्य आम उत्पादक बताते हैं कि इस बार आम की पैदावार पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम है. इसलिए उम्मीद है कि मूल्य अच्छा मिलेगा. बागवानों को गाइड करने वाला यहां कोई नहीं है. तमाम बाग बहुत ही उम्रदराज हो चुके हैं, ऐसे बागों को बिना इजाजत कटवाने की अनुमति भी मिलनी चाहिए.

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