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निजी अस्पताल बंद कर सकते हैं आयुष्मान और चिरायु कार्ड पर फ्री इलाज, 30 मार्च तक का अल्टीमेटम - Haryana Private Hospital Ultimatum

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Mar 22, 2024, 11:01 PM IST

Haryana Private Hospital Ultimatum: निजी अस्पताल सरकार की आयुष्मान कार्ड और चिरायु योजना के तहत मिलने वाला इलाज अब बंद कर सकते हैं. निजी अस्पतालों ने 30 मार्च तक सरकार को अल्टीमेटम दिया है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन शुक्रवार को इस संबंध में बैठक करके सरकार से सभी मांगें मानने की अपील की.

Haryana Private Hospital Ultimatum
Haryana Private Hospital Ultimatum
निजी अस्पताल बंद कर सकते हैं आयुष्मान और चिरायु कार्ड पर फ्री इलाज

रोहतक: हरियाणा सरकार की गरीब लोगों के लिए चलाई जा रही आयुष्मान कार्ड व चिरायु योजना पर संकट मंडराता हुआ दिखाई दे रहा है. निजी अस्पतालों ने आयुष्मान कार्ड और चिरायु योजना के तहत देने वाला इलाज बंद करने की सरकार को चेतावनी दी है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी IMA ने सरकार को 30 मार्च तक का अल्टीमेटम दिया दिया है.

आईएमए ने कहा है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो 30 मार्च के बाद आयुष्मान कार्ड और चिरायु योजना के तहत होने वाले इलाज को निजी अस्पतालों में बंद कर दिया जायेगा. हरियाणा सरकार 2017 और 18 से शुरू की गई आयुष्मान कार्ड योजना और चिरायु योजना के तहत गरीब लोगों को निजी अस्पताल में भी मुक्त इलाज दे रही है. इलाज पर आने वाला खर्च सरकार की तरफ से अस्पतालों को दिया जाता है. ऐसे में गरीब लोग भी अपना इलाज निजी अस्पतालों में भी आसानी से करवा सकते थे, लेकिन सरकार की आयुष्मान कार्ड और चिरायु योजना पर संकट मंडराता हुआ दिखाई दे रहा है.

दरअसल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी IMA ने सरकार को स्पष्ठ शब्दों में चेतावनी दी है कि 30 मार्च तक उनकी मांगे नहीं मानी तो 30 मार्च के बाद निजी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड और चिरायु योजना के तहत इलाज को बंद कर दिया जाएगा. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जिला प्रधान रविंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार को 30 मार्च तक का वक्त दिया गया है फिर भी सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.

रविंद्र हुड्डा ने बताया कि सरकार समझौते का उल्लंघन कर रही है. निजी हस्पतालों ने पहले हड़ताल कर इन योजनाओं के तहत इलाज को बंद कर दिया था, लेकिन सरकार के साथ बातचीत हुई और कुछ बातों पर सहमति बनी है लेकिन यदि सरकार ने उनकी सभी मांगे नहीं मानी तो 30 मार्च के बाद में निजी अस्पताल में इलाज को बंद कर दिया जाएगा.

रविंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार केवल गरीबों को फायदा देना चाहती है जबकि डॉक्टरो को भी इसका लाभ मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि पहले आयुष्मान कार्ड योजना के तहत इलाज के 15 दिन के अंदर पैसे देने की बात कही थी लेकिन ऐसा नहीं कर रही. पहले 1 लाख 80 हजार रुपए सालाना वाले लोग इस योजना में आते थे, लेकिन अब सरकार 10 लाख इनकम वाले लोगों को भी इस योजना के तहत जोड़ दिया है. जिसकी एवज में कुछ पैसे लिए जाते हैं. जब सरकार पैसे ले रही है तो डॉक्टरो के भी योजना के तहत रेट बढ़ाए जाने चाहिए.

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आईएमए ने कहा है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो 30 मार्च के बाद आयुष्मान कार्ड और चिरायु योजना के तहत होने वाले इलाज को निजी अस्पतालों में बंद कर दिया जायेगा. हरियाणा सरकार 2017 और 18 से शुरू की गई आयुष्मान कार्ड योजना और चिरायु योजना के तहत गरीब लोगों को निजी अस्पताल में भी मुक्त इलाज दे रही है. इलाज पर आने वाला खर्च सरकार की तरफ से अस्पतालों को दिया जाता है. ऐसे में गरीब लोग भी अपना इलाज निजी अस्पतालों में भी आसानी से करवा सकते थे, लेकिन सरकार की आयुष्मान कार्ड और चिरायु योजना पर संकट मंडराता हुआ दिखाई दे रहा है.

दरअसल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी IMA ने सरकार को स्पष्ठ शब्दों में चेतावनी दी है कि 30 मार्च तक उनकी मांगे नहीं मानी तो 30 मार्च के बाद निजी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड और चिरायु योजना के तहत इलाज को बंद कर दिया जाएगा. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जिला प्रधान रविंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार को 30 मार्च तक का वक्त दिया गया है फिर भी सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.

रविंद्र हुड्डा ने बताया कि सरकार समझौते का उल्लंघन कर रही है. निजी हस्पतालों ने पहले हड़ताल कर इन योजनाओं के तहत इलाज को बंद कर दिया था, लेकिन सरकार के साथ बातचीत हुई और कुछ बातों पर सहमति बनी है लेकिन यदि सरकार ने उनकी सभी मांगे नहीं मानी तो 30 मार्च के बाद में निजी अस्पताल में इलाज को बंद कर दिया जाएगा.

रविंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार केवल गरीबों को फायदा देना चाहती है जबकि डॉक्टरो को भी इसका लाभ मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि पहले आयुष्मान कार्ड योजना के तहत इलाज के 15 दिन के अंदर पैसे देने की बात कही थी लेकिन ऐसा नहीं कर रही. पहले 1 लाख 80 हजार रुपए सालाना वाले लोग इस योजना में आते थे, लेकिन अब सरकार 10 लाख इनकम वाले लोगों को भी इस योजना के तहत जोड़ दिया है. जिसकी एवज में कुछ पैसे लिए जाते हैं. जब सरकार पैसे ले रही है तो डॉक्टरो के भी योजना के तहत रेट बढ़ाए जाने चाहिए.

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