रायपुर: रायपुर सेंट्रल जेल के बंदियों को पिछले एक साल से जेल प्रबंधन और गीता संस्थान संयुक्त रूप से मानसिक और आध्यात्मिक उत्थान के लिए ऑनलाइन भगवद् गीता का पाठ पढ़ा रहा है. इन बंदियों में से कोई हत्या की सजा काट रहा है.तो कोई दुष्कर्म और चोरी की वारदात के बाद अपने कर्मों की सजा भुगत रहा है.लेकिन अपने सजा के दौरान ये बंदी बुराई और अच्छाई के बीच का फर्क भी समझ रहे हैं.जेल प्रशासन और गीता संस्थान की ओर से इन बंदियों को ऑनलाइन भगवद् गीता का पाठ करवाया जा रहा है. इनमें से कुछ कैदी तो अब भगवद् गीता पाठ में इतने माहिर हो चुके हैं,कि इन्हें कई पाठ और श्लोक कंठस्थ याद है.आइए जानते हैं. भगवद् गीता का पाठ करने से इन बंदियों को क्या ज्ञान और फायदा मिल रहा है.
नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदलने की कोशिश : जेल प्रशासन और गीता संस्थान बंदियों के मन में नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदल रहा है. सेंट्रल जेल में सजा काट रहे बंदी अलग-अलग मामलों में इस जेल में बंद है.ऑनलाइन भगवद् गीता का अध्ययन करने वाले बंदियों से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. बंदी वासुदेव चौहान ने बताया कि "जब वो जेल के अंदर आया तो उदास रहता था, लेकिन बाद में पता चला कि यहां पर भगवद् गीता की ऑनलाइन पढ़ाई होती है. जिसके बाद मन में भी इच्छा जागृत हुई. एक-दो दिन देखने के लिए गया था. शुरुआती दिनों में संस्कृत का अच्छे से उच्चारण नहीं कर पाते था. लेकिन धीरे-धीरे भगवद् गीता के श्लोक कंठस्थ हो गए.
भगवद् गीता का लगातार ऑनलाइन क्लास ज्वाइन करने के बाद मन में आनंद की अनुभूति होने लगी.अब तक मुझे भगवद् गीता के संस्कृत के 12 श्लोक कंठस्थ याद है. पहले भगवद् गीता को श्रीकृष्ण ने विवश्वन को सुनाया उसके बाद मनु को सुनाया उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण भगवद् गीता अर्जुन को सुना रहे हैं. भगवद् गीता का ज्ञान दे रहे हैं. सभी को माध्यम बनाया जा रहा है, और सभी तक इस पहुंचाया जा रहा है. 1 साल से 22 बंदी भगवद् गीता का ऑनलाइन अध्ययन कर रहे हैं- वासुदेव, बंदी
बंदी देवतादीन यादव ने बताया कि उन्हें जेल अधीक्षक के माध्यम से ऑनलाइन भगवद् गीता के अध्ययन की जानकारी मिली. इसके बाद क्लास ज्वाइन किया. भगवद् गीता की पढ़ाई करने से इस बात की जानकारी मिली कि द्वापर युग में न्यायाधीश कैसे होता था और उन्होंने कैसे-कैसे न्याय किया.
भक्ति योग कर्म योग ज्ञान योग सन्यास योग इन सब का ज्ञान हमें गीता पाठ से मिलता है.जेल से रिहा होने के बाद भी हम भगवद् गीता का पाठ करते रहेंगे. इसके साथ ही अपने परिवार को भी भगवद् गीता का पाठ करने के लिए अनुरोध करूंगा. व्यक्ति को सदा सत्य बोलना चाहिए. प्रिय बोलना चाहिए. असत्य भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही व्यक्ति को सदा अनुशासन का पालन करना चाहिए. भगवद् गीता का पाठ करने से बंदी भी काफी उत्साहित और खुश हैं- देवतादीन यादव,बंदी
बंदियों के विचार में आया बदलाव : जिस मुख से पहले अपशब्ध और धमकियां निकलती थी,आज वो श्लोक पढ़ रहे हैं. जो नजरें गंदी नीयत से किसी को घूरती थी वो आज सतमार्ग की तलाश में है.जो हाथ पहले चाकू और हथियार चलाने के लिए उठा करते थे,उनमें आज भगवद् गीता ज्ञान की टोकरी है. जिस दिमाग का इस्तेमाल पहले गलत कार्यों और अनैतिक कामों में होता था,आज उसी दिमाग में ज्ञान कोष भर चुका है. सेंट्रल जेल के अधीक्षक अमित शांडिल्य ने बताया कि पिछले 1 साल से गीता परिवार और जेल प्रबंधन की ओर से ऑनलाइन भगवद् गीता की पढ़ाई बंदियों को कराई जा रही है. जिसमें ज्यादातर युवा बंदियों को शामिल किया गया है. जिससे बंदी भगवद् गीता के उपदेशों को आत्मसात कर सकारात्मक बने. कर्म और अकर्म के महत्व को समझें.
लगभग 23 बंदी ऑनलाइन श्रीमद् भगवद् गीता की पढ़ाई कर रहे हैं. जिसमें से दो बंदी ऐसे हैं जो बिना देखे चार से पांच पाठ और एक बंदी 9 पाठ कर लेते हैं. उनको पहले किसी तरह की आध्यात्म से जुड़ी कोई ट्रेनिंग भी नहीं दी गई है. बावजूद इसके बंदियों के मन में ऑनलाइन भगवद् गीता का पाठ को लेकर उत्साह बना हुआ है. भगवद् गीता का पाठ करके बंदी सकारात्मक दिशा की ओर आगे बढ़ रहे हैं. ऑनलाइन क्लास के लिए एक अलग से कमरे की व्यवस्था भी जेल प्रबंधन के द्वारा की गई है. बंदी जेल से रिहा होने के बाद सकारात्मक बन सके और समाज निर्माण में सहयोग करें- अमित शांडिल्य अधीक्षक सेंट्रल जेल रायपुर
रायपुर सेंट्रल जेल प्रशासन नजीर है उन लोगों के लिए जो ये कहते हैं जेल में जाकर सिर्फ बुराईयों को ही आत्मसात किया जाता है.आज ये बंदी भगवद् गीता ज्ञान लेकर ना सिर्फ सतकर्म के रास्ते पर चल रहे हैं.बल्कि जेल से बाहर जाकर जीवन और मृत्यु के सार को गीता के माध्यम से भी समझाने में भूमिका अदा करेंगे.ताकि समाज से बुराई खत्म हो और लोग कर्म करके बुराईयों से दूर रहे.
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