कोरबा : शिक्षा की नींव प्राथमिक स्कूलों के माध्यम से रखी जाती है. कोरबा जिले की बात करें तो प्राथमिक स्तर की बदहाल शिक्षा व्यवस्था नहीं बदल रही है.इस वजह से नौनिहालों की शिक्षा प्रभावित हो रही है. कोरबा जिले के 81 स्कूल ऐसे हैं, जिनके पास खुद का भवन ही नहीं है. ये स्कूल या तो माध्यमिक शाला में लग रहे हैं या फिर स्कूल के ही किसी अलग कमरे में. हालात ये हैं कि एक ही कमरे में पहली से लेकर पांचवीं तक के बच्चों को बैठाया जा रहा है. इन बच्चों को एक साथ ही गुरुजी ज्ञान बांटते हैं. अब ऐसे में शिक्षा का स्तर क्या होगा और बच्चों ने क्या पढ़ाई पढ़ी होगी आप इसका अंदाजा खुद लगा सकते हैं.आईए जाने ऐसे कितने स्कूलों की हालत खस्ता हैं.
- भवनविहीन स्कूल- 81
- अतिरिक्त कक्ष की जरूरत वाले स्कूल- 125
- मरम्मत करने योग्य स्कूल- 258
जानकारी भेजने के बाद भी नहीं हुआ काम : कांग्रेस की पिछली सरकार ने स्कूलों की मरम्मत का काम शुरु करवाया था. लेकिन कई स्कूलों का काम आचार संहिता लगने के कारण पूरा ना हो सका.वहीं अब एक बार फिर लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगने वाली है. वहीं विभागीय अधिकारियों का कहना है कि शासन को इसकी जानकारी भेजी जा चुकी है. प्रकिया पूरी होते ही निर्माण का काम पूरा होगा.लेकिन काम होने में कितना समय लगेगा इसका जवाब कोई नहीं दे रहा.लिहाजा टूटे फूटे जर्जर भवन और एक क्लास रूम में शिक्षा ग्रहण करना नौनिहालों की मजबूरी है.
जल्द ही बनेगा भवन : प्राथमिक शाला झगरहा की प्रधान पाठक माहोरा कंवर का कहना है कि झगरहा प्राथमिक शाला का मूल भवन काफी जर्जर हो चुका है. यहां बच्चों को नहीं बैठा सकते.जिसके कारण एक कमरे में पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों को बैठाते हैं. जबकि दूसरे कमरे में तीसरी और चौथी के बच्चे बैठते हैं. पांचवी कक्षा को स्टेज पर बैठकर पढ़ते हैं.
''भवन नहीं होने से दिक्कत तो होती है. लेकिन इसकी जानकारी हमने उच्च अधिकारियों को दे दी है. जल्द ही भवन बनेगा इसका आश्वासन दिया गया है.'' माहोरा कंवर, प्रधानपाठक
'ऐसे स्कूल मौजूद, जहां एक ही कमरे में पांच कक्षा' : संकुल समन्वयक और छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष तरुण सिंह राठौर का कहना है कि ऐसे कई प्राथमिक स्कूल हैं. जहां एक कमरे में पांचों कक्षा के बच्चों को बैठाया जाता है. जिससे शिक्षकों को काफी परेशानी होती है. पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पता, एक कमरे में पांचों क्लास को पढ़ाना आसान नहीं होता.
बदहाल शिक्षा व्यवस्था का जिम्मेदार कौन ? : अब 15 मार्च से बच्चों की परीक्षाएं होनी हैं.इसलिए स्कूलों के सामने समस्या ये है कि बच्चों की पढ़ाई कहां करवाई जाए. क्योंकि स्कूलों के सामने परीक्षा लेने और पढ़ाई कराने दोनों ही समस्याएं हैं. ऐसे में बदहाल शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी कौन लेगा ये बड़ा सवाल है.