पलामू: चार बाघ को एक बाघिन का इंतजार है. यह इंतजार लंबी होते जा रही है. चारों बाघ एक वर्ष से बाघिन का इंतजार कर रहे हैं. बाघिन के इंतजार में बाघों ने एक टेरिटरी भी तैयार कर लिया है. बाघों के इंतजार को खत्म करने के लिए पलामू टाइगर रिजर्व ने पहल की है. पीटीआर दूसरे इलाके से बाघिन को लाने की तैयारी कर रहा है. बाघिन को लाने से पहले प्रेबेस (आधारभूत संरचना प्राकृतिक रूप से) तैयार किया जा रहा है.
पलामू टाइगर रिजर्व में पिछले एक वर्ष से चार बाघों के मूवमेंट को रिकॉर्ड किया जा रहा है. बाघों की इतनी बड़ी संख्या में मूवमेंट 2014 के बाद से रिकॉर्ड किए जा रहे हैं. पलामू टाइगर रिजर्व बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए पहल कर रहा है. पलामू टाइगर रिजर्व में एक बाघिन को लाने की योजना तैयार की गयी है. बाघिन को लाने से पहले नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया की निगरानी में पीटीआर में आधारभूत संरचना को विकसित किया जा रहा है.
पलामू टाइगर रिजर्व चार अलग-अलग इलाकों में बाघों के लिए ग्रास लैंड तैयार कर चुका है. जबकि हिरण और चीतल की संख्या बढ़ाने के लिए सॉफ्ट रिलीज सेंटर की भी स्थापना की है. पलामू टाइगर अगले कुछ महीने में बाघिन को लाएगी. पीटीआर प्रबंधन एक जल्द ही प्रस्ताव को नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया को भेजेगी.
बाघिन चलने से पहले आधारभूत संरचना को पूरी तरह से विकसित किया जा रहा. ग्रास लैंड को मेंटेन करने के लिए ग्रास लैंड तैयार किया गया है. कई और बिंदुओं पर कार्य चल रहा है. जल्दी पूरी तरह से आधारभूत संरचना विकसित हो जाएगी, इसके बाद बाघिन को लाया जाएगा. आधारभूत संरचना पूरा होने पर ही नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया बाघिन को लाने की अनुमति देगी- कुमार आशुतोष, निदेशक , पलामू टाइगर रिजर्व
1129 वर्ग किलोमीटर में फैला है पलामू टाइगर रिजर्व
पलामू टाइगर रिजर्व करीब 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. पीटीआर देश के उन इलाकों में शामिल है जहां देश में पहली बार बाघों के संरक्षण के लिए रिजर्व एरिया की घोषणा की गई थी. 1974 में पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में बाघों की संख्या 50 थी. 2018 में पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में बाघों की संख्या शून्य बताई गई थी. 2024 में एक दशक के बाद बाघों की संख्या चार तक रिकॉर्ड किया गया है.
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