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कान्हा को चढ़े फूल से तैयार हो रहा रंग-बिरंगा गुलाल, आइए जानते हैं ब्रज की खास होली की क्या है तैयारी

मथुरा में 14 फरवरी से होली की शुरुआत हो जाएगी. यहां रंग-गुलाल तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है. दरअसल, यहां बने रंग-गुलाल की आपूर्ति कई प्रांतों में की जाती है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 13, 2024, 7:28 PM IST

मथुरा में रंग-गुलाल तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है.

मथुरा: 'आज बिरज में होली रे रसिया, होली रे रसिया...' इन गीतों के साथ ब्रज में होली खेलने का एक अनोखा ही आनंद है. ब्रज में फागुन की शुरुआत होने वाली है. इसी के साथ कारीगर रंग-बिरंगे रंग गुलाल तयार करने में जुट गए हैं. ब्रज में होली का महोत्सव पूरे 40 दिनों तक मनाया जाता है. ब्रज में तैयार किए गए गुलाल और रंग पूरे देश भर में सप्लाई किए जाते हैं. बेहद खास और खुशबूदार रंग-बिरंगे गुलाल तैयार करने में जुटी हुई हैं निराश्रित आश्रम की महिलाएं. मथुरा से लेकर वृंदावन तक कई कुंतल रंग और गुलाल तैयार किया जा रहे हैं. बता दें कि होली का अद्भुत नजारा देखने के लिए देश ही नहीं, विदेशों से भी पर्यटक यहां पहुंचते हैं.

भगवान को चढ़े फूलों से तैयार हो रहा रंग-बिरंगा गुलाल

वृंदावन में चैतन्य विहार स्थित निराश्रित महिलाएं मंदिरों में चढ़े हुए फूलों को इकट्ठा करके रंग-बिरंगा गुलाल तैयार करने में जुटी हुई हैं. विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में हर रोज कई कुंतल फूल चढ़ाए जाते हैं. दूसरे दिन उन्हें फूलों को निराश्रित महिला आश्रम भेज दिया जाता है. सभी महिलाएं इन फूलों को धूप में सुखाकर गुलाल तैयार कर रही हैं. यहां की जानकी बाई ने बताया कि बिहारी जी मंदिर में चढ़े हुए फूलों को यहां लेकर आते हैं. सूखने के बाद मशीन में बारीक पीसा जाता है. उसके बाद धूप में सुखाकर उसका गुलाल बनाया जाता है.

फैक्ट्रियों में रात-दिन जुटे कारीगर

आगरा दिल्ली राज्य मार्ग पर स्थित फैक्ट्रियों में रंग-बिरंगे गुलाल तैयार करने में जुटे हैं कारीगर. चार दिनों मे छह कारीगर पांच टन से ज्यादा गुलाल तैयार कर लेते हैं. बृज में होली विभिन्न रंगों के साथ खेली जाती है भगवान के मंदिर, साधु संतों के आश्रम और आम जनमानस होली का अद्भुत आनंद लेते हैं. होली खेलने के लिए देश के अनेक कोने से श्रद्धालु पर्यटक भक्तगण और विदेशों से भी विदेशी सैलानी यहां होली खेलने के लिए पहुंचते हैं. एक फैक्ट्री में सुपरवाइजर शैलेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि फैक्ट्री में डिमांड के अनुसार रंग-बिरंगे गुलाल और कलर बनाने का ऑर्डर मिल जाता है. फैक्ट्री में जो गुलाल और रंग तैयार करते हैं, वह सुगंधित होता है तथा त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचता.

कई प्रांतों में होती है सप्लाई

कान्हा की नगरी से बने हुए रंग-बिरंगे गुलाल रंग की सप्लाई यूपी, हरियाणा राजस्थान, दिल्ली पंजाब में सप्लाई की जाती है. होली के दिन नजदीक आते ही गुलाल और रंग तैयार करने के आर्डर मिल रहे हैं. इस बार भी फैक्ट्रियों को बसंत पंचमी से पूर्व ही रंग बिरंगे गुलाल और रंगों का आर्डर मिलने शुरू हो चुके हैं. डिमांड पूरी करने के लिए मजदूर काम करने में जुटे हुए हैं.

ब्रज में चालीस दिनों तक खेली जाती है होली

बसंत पंचमी के दिन 14 फरवरी से ब्रज में होली महोत्सव का आगाज हो जाता है. मथुरा, वृंदावन, बरसाना, नंदगांव, दाऊजी गोवर्धन में बसंत पंचमी के दिन से ही मंदिरों में ठाकुर जी गुलाल से होली खेलते हैं. 20 मार्च रंगभरी एकादशी को ब्रज में रंगों की होली शुरू होती है.

14 फरवरी से शुरुआत, कब कहां होली

14 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन से ही बांके बिहारी मंदिर सहित सभी मंदिरों मे गुलाल ठाकुर जी को लगाया जाएगा.
17 मार्च को बरसाना के राधा रानी मंदिर में लड्डू मार होली.
18 मार्च को बरसाना में लठमार होली.
19 मार्च को नंद गांव में लठमार होली.
20 मार्च को रंगभरनी एकादशी श्रीकृष्ण जन्म स्थान मंदिर परिसर में लठमार होली, द्वारकाधीश मंदिर और बांके बिहारी मंदिर में रंगों की होली.
21 मार्च को गोकुल में छड़ीमार होली.
24 मार्च को होलिका दहन, फालेन गांव की होली.
26 मार्च को धुलेंडी रंगों की होली.
27 मार्च दाऊजी का हुरंगा बलदेव.
27 मार्च जाब का हुरंगा गांव जाब.
27 मार्च चरकुला मुखराई.
31 मार्च महावन में होली.
2 अप्रैल श्रीरंग जी मंदिर में होली वृंदावन.

यह भी पढ़ें : गांधार कला का केंद्र था मथुरा, यहां म्यूजियम में मौजूद हैं भगवान श्रीकृष्ण के साक्ष्य

यह भी पढ़ें : मथुरा पहुंचा शानदार क्रूज, वृन्दावन और गोकुल की श्रद्धालु करेंगे सैर

मथुरा में रंग-गुलाल तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है.

मथुरा: 'आज बिरज में होली रे रसिया, होली रे रसिया...' इन गीतों के साथ ब्रज में होली खेलने का एक अनोखा ही आनंद है. ब्रज में फागुन की शुरुआत होने वाली है. इसी के साथ कारीगर रंग-बिरंगे रंग गुलाल तयार करने में जुट गए हैं. ब्रज में होली का महोत्सव पूरे 40 दिनों तक मनाया जाता है. ब्रज में तैयार किए गए गुलाल और रंग पूरे देश भर में सप्लाई किए जाते हैं. बेहद खास और खुशबूदार रंग-बिरंगे गुलाल तैयार करने में जुटी हुई हैं निराश्रित आश्रम की महिलाएं. मथुरा से लेकर वृंदावन तक कई कुंतल रंग और गुलाल तैयार किया जा रहे हैं. बता दें कि होली का अद्भुत नजारा देखने के लिए देश ही नहीं, विदेशों से भी पर्यटक यहां पहुंचते हैं.

भगवान को चढ़े फूलों से तैयार हो रहा रंग-बिरंगा गुलाल

वृंदावन में चैतन्य विहार स्थित निराश्रित महिलाएं मंदिरों में चढ़े हुए फूलों को इकट्ठा करके रंग-बिरंगा गुलाल तैयार करने में जुटी हुई हैं. विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में हर रोज कई कुंतल फूल चढ़ाए जाते हैं. दूसरे दिन उन्हें फूलों को निराश्रित महिला आश्रम भेज दिया जाता है. सभी महिलाएं इन फूलों को धूप में सुखाकर गुलाल तैयार कर रही हैं. यहां की जानकी बाई ने बताया कि बिहारी जी मंदिर में चढ़े हुए फूलों को यहां लेकर आते हैं. सूखने के बाद मशीन में बारीक पीसा जाता है. उसके बाद धूप में सुखाकर उसका गुलाल बनाया जाता है.

फैक्ट्रियों में रात-दिन जुटे कारीगर

आगरा दिल्ली राज्य मार्ग पर स्थित फैक्ट्रियों में रंग-बिरंगे गुलाल तैयार करने में जुटे हैं कारीगर. चार दिनों मे छह कारीगर पांच टन से ज्यादा गुलाल तैयार कर लेते हैं. बृज में होली विभिन्न रंगों के साथ खेली जाती है भगवान के मंदिर, साधु संतों के आश्रम और आम जनमानस होली का अद्भुत आनंद लेते हैं. होली खेलने के लिए देश के अनेक कोने से श्रद्धालु पर्यटक भक्तगण और विदेशों से भी विदेशी सैलानी यहां होली खेलने के लिए पहुंचते हैं. एक फैक्ट्री में सुपरवाइजर शैलेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि फैक्ट्री में डिमांड के अनुसार रंग-बिरंगे गुलाल और कलर बनाने का ऑर्डर मिल जाता है. फैक्ट्री में जो गुलाल और रंग तैयार करते हैं, वह सुगंधित होता है तथा त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचता.

कई प्रांतों में होती है सप्लाई

कान्हा की नगरी से बने हुए रंग-बिरंगे गुलाल रंग की सप्लाई यूपी, हरियाणा राजस्थान, दिल्ली पंजाब में सप्लाई की जाती है. होली के दिन नजदीक आते ही गुलाल और रंग तैयार करने के आर्डर मिल रहे हैं. इस बार भी फैक्ट्रियों को बसंत पंचमी से पूर्व ही रंग बिरंगे गुलाल और रंगों का आर्डर मिलने शुरू हो चुके हैं. डिमांड पूरी करने के लिए मजदूर काम करने में जुटे हुए हैं.

ब्रज में चालीस दिनों तक खेली जाती है होली

बसंत पंचमी के दिन 14 फरवरी से ब्रज में होली महोत्सव का आगाज हो जाता है. मथुरा, वृंदावन, बरसाना, नंदगांव, दाऊजी गोवर्धन में बसंत पंचमी के दिन से ही मंदिरों में ठाकुर जी गुलाल से होली खेलते हैं. 20 मार्च रंगभरी एकादशी को ब्रज में रंगों की होली शुरू होती है.

14 फरवरी से शुरुआत, कब कहां होली

14 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन से ही बांके बिहारी मंदिर सहित सभी मंदिरों मे गुलाल ठाकुर जी को लगाया जाएगा.
17 मार्च को बरसाना के राधा रानी मंदिर में लड्डू मार होली.
18 मार्च को बरसाना में लठमार होली.
19 मार्च को नंद गांव में लठमार होली.
20 मार्च को रंगभरनी एकादशी श्रीकृष्ण जन्म स्थान मंदिर परिसर में लठमार होली, द्वारकाधीश मंदिर और बांके बिहारी मंदिर में रंगों की होली.
21 मार्च को गोकुल में छड़ीमार होली.
24 मार्च को होलिका दहन, फालेन गांव की होली.
26 मार्च को धुलेंडी रंगों की होली.
27 मार्च दाऊजी का हुरंगा बलदेव.
27 मार्च जाब का हुरंगा गांव जाब.
27 मार्च चरकुला मुखराई.
31 मार्च महावन में होली.
2 अप्रैल श्रीरंग जी मंदिर में होली वृंदावन.

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