गौरेला पेंड्रा मरवाही: छत्तीसगढ़ के गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के जिला अस्पताल में एक गर्भवती महिला के सिजेरियन ऑपरेशन में तय समय से 11 घंटा देरी का मामला सामने आया है. परिजनों का आरोप है कि एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट के एनेस्थीसिया देने से मना करने पर 100 किलोमीटर दूर बिलासपुर से एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट को बुलाया गया, फिर ऑपरेशन हुआ है.
सुबह 9 बजे होना था ऑपरेशन : यह मामला 11 नवंबर का है. शर्मा परिवार की महिला को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. महिला डॉक्टरों ने उनका तत्काल सिजेरियन ऑपरेशन कर प्रसव कराने का निश्चय किया. तय समय के मद्देनजर लगभग 10 घंटे पहले ऑपरेशन की प्रक्रिया शुरू हुई. सुबह 9 बजे ऑपरेशन का समय तय किया गया.
परिजनों का गंभीर आरोप : परिजनों के मुताबिक, 11 नवंबर की रात को डॉक्टर ने सिजेरियन ऑपरेशन के जरिए बच्चे की डिलीवरी करने की बात कही. उन्होंने रात 12 बजे से ऑपरेशन की तैयारी शुरू कर दी. सवेरे जब ऑपरेशन की तैयारी पूरी हुई, सारे डॉक्टर तैयार हो गए, लेकिन एनेस्थेटिस्ट डॉ फिरोज शेख नहीं आए थे. उनसे संपर्क करने पर उन्होंने फोन नहीं उठाया. इधर उधर से फोन कराने पर जब फोन उठाया तो उन्होंने अस्पताल आने से मना कर दिया और उल्टी सीधी बाते कही.
सीएमएचओ के कहने पर डॉ फिरोज करीब दोपहर 1 बजे हॉस्पिटल आए. यहां गेट पर खड़े परिजनों से डॉ फिरोज उलझ गए और एनेस्थीसिया देने से मना कर दिया. तब मजबूर होकर सीएमएचओ ने बैकुंठपुर के एनेस्थेटिस्ट से बात की, उन्होंने भी मना कर दिया. बिलासपुर के एनेस्थेटिस्ट ने हामी भरी तो मैंने गाड़ी भेजकर उनको बुलवाया, तब जाकर 11-12 घंटे देरी से ऑपरेशन की हुई. हमने डॉ फिरोज के खिलाफ कलेक्टर मैडम से शिकायत किया है : प्रमोद शर्मा, परिजन
ऑफिशियल छुट्टी पर नहीं था एनेस्थेटिस्ट : डॉक्टरों की इस तरह लापरवाहीपूर्वक रवैये पर शर्मा परिवार ने पूरे मामले की लिखित शिकायत जिला कलेक्टर से की है. इस मामले में महत्वपूर्ण पहलू यह है कि एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट खुद को अस्वस्थ बता रहे थे और एनेस्थीसिया देने से मना किया, जबकि सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार उस दिन उन्होंने ना तो छुट्टी ली और ना ही किसी तरह का कोई अस्वस्थ होने का आवेदन ही अस्पताल में जमा किया था.
जिला अस्पताल में बहुत ज्यादा स्टाफ होता है. कई बार चिकित्सकों के बीच कुछ आपसी मतभेद होते हैं, जिसे हम सुलझाते हैं. मरीज को कोई नुकसान नहीं होने दिया गया. हमने बिलासपुर से एनेस्थेटिस्ट बुलाकर ऑपरेशन कराया है. बच्चा भी एकदम स्वस्थ हुआ है. एनेस्थेटिस्ट ने कुछ स्वास्थ्यगत समस्या बताया था, वह छुट्टी पर नहीं था. उनको बिठाकर समझाया गया है. एनेस्थेटिस्ट ऑफिशियल छुट्टी पर नहीं था, यदि तबियत खराब था तो उनको ऑफिशियल छुट्टी लेना चाहिए था : रामेश्वर तिवारी, सीएमएचओ, जिला अस्पताल जीपीएम
डॉक्टर को गंभीर लापरवाही का दोषी माना : जिला प्रशासन ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए डॉक्टर को गंभीर लापरवाही का दोषी माना है और दोबारा इस तरह की गलती न दोहराने की चेतावनी दी है. CMHO को भी डॉक्टर पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं. कलेक्टर ने सीएमएचओ को खुद निगरानी करने और लापरवाही करने पर सीधे उन्हें रिपोर्ट करने की बात कही है.
गायनेकोलॉजिस्ट और एनेस्थीसिया के डॉक्टर की आपस में पर्सनल इशु को लेकर कुछ बातें आ रही थी, जिसके कारण हॉस्पिटल की व्यवस्था भी प्रभावित हो रही थी. सीएमएचओ और जो दोनों डॉक्टर हैं, उनको हमने समझाइश दी है. उन्हें वार्निंग दिया है कि दोनों के बीच कोई अनबन है तो अपने हेड ऑफ डिपार्टमेंट को अवगत कराएं. इसके चलते हॉस्पिटल की व्यवस्था प्रभावित नहीं होनी चाहिए. ऐसी हमने चेतावनी उनको दिया है : लीना कमलेश मंडावी, कलेक्टर, जीपीएम
11 घंटे पीड़ा से कराहती रही गर्भवती : गर्भवती महिला ऑपरेशन थिएटर में ऑपरेशन करने के लिए रेडी थी. इस स्थिति में उसे रेफर किया जाना संभव नहीं था, इसलिए हर हाल में उनका प्रसव जल्दी से जल्दी करना था. बिलासपुर से एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट पहुंचे और उनके एनेस्थीसिया देने पर लगभग 11 घंटे बाद गर्भवती महिला का प्रसव हुआ. इस दौरान वह पीड़ा से कराहती रहीं.