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संगमनगरी में पंचकोसी परिक्रमा शुरू, पांच दिन अलग-अलग ये होंगे कार्यक्रम - panchkosi parikrama

प्रयागराज में आज से पंचकोसी परिक्रमा (Panchkosi Parikrama) शुरू हो गई. इस यात्रा में पांच दिन तक अलग-अगल कार्यक्रम होते हैं. आज इसकी शुरुआत के साथ ही परिक्रमा के महत्व को बताया गया.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 1, 2024, 5:40 PM IST

Updated : Feb 1, 2024, 5:55 PM IST

प्रयागराज में पंचकोशी परिक्रमा शुरू

प्रयागराज: संगमनगरी में गुरुवार से पंचकोसी परिक्रमा की शुरुआत हो गई. 1 से 5 फरवरी तक चलने वाली इस पंचकोसी परिक्रमा की शुरुआत से पहले साधु संतों की एक बैठक हुई. इसमें परिक्रमा का महत्व बताया गया. परिक्रमा की शुरुआत अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरी और इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस मंजू रानी चौहान सहित साधु संतों और प्रशासनिक अफसरों ने संगम तट पर गंगा पूजन कर की. इस दौरान साधु संतों ने जस्टिस मंजू रानी चौहान को अंगवस्राम देकर आशीष दिया.

परिक्रमा के दौरान अखाड़ों से जुड़े साधु संत और श्रद्धालु मिलकर द्वादश माधव और पौराणिक महत्व वाले मंदिरों व मठ का दर्शन पूजन करेंगे. आज साधु संतों ने परिक्रमा शुरू करने से पहले उसके महत्व के बारे में विस्तार से बताया. काशी सुमेरूपीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि प्रयागराज तपस्थली रही है और यह विष्णु भगवान की नगरी है. जहां सदियों पहले भारद्वाज मुनि रहकर जप, तप, ज्ञान और विज्ञान की शिक्षा देते थे. इसका विस्तार से पुराणों व शास्त्रों में वर्णन किया गया है. परिक्रमा की शुरुआत करने के बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद महामंत्री और जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरी ने बताया कि सदियों पहले से प्रयागराज परिक्रमा करने की परंपरा चली आ रही है. इसको और वृहद बनाने के लिए इस परिक्रमा को साधु संतों के साथ मिलकर किया जा रहा है.

प्रयागराज में पंचकोसी परिक्रमा में शामिल साधु और अधिकारी
प्रयागराज में पंचकोसी परिक्रमा में शामिल साधु और अधिकारी

पंचकोसी परिक्रमा किस दिन किस तरफ जाएगी

संगमनगरी में एक से पांच फरवरी तक चलने वाली इस परिक्रमा के दौरान अलग-अलग चारों दिशाओं में स्थापित माधव मंदिरों के साथ ही अन्य प्राचीन और पौराणिक महत्व वाले मंदिरों में जाकर दर्शन-पूजन किया जाएगा. प्रयागराज की पंचकोसी परिक्रमा के पहले दिन संगम स्नान व पूजन के साथ परिक्रमा का शुभारम्भ किया गया. इसके बाद अक्षय वट और सरस्वती कूप का दर्शन-पूजन, लेटे हुए हनुमान जी का दर्शन-पूजन, दत्तात्रेय मंदिर का दर्शन-पूजन, ललिता देवी कल्याणी देवी स्थित सिद्ध में दर्शन-पूजन और यमुनापार के बरखंडी महादेव का दर्शन-पूजन किया गया.

दूसरे दिन संगम स्नान व पूजन के बाद शूलटंकेश्वर महादेव का दर्शन पूजन, अरैल स्थित आदि माधव जी का दर्शन-पूजन, अरैल स्थित चक्र माधव जी का दर्शन-पूजन, अरैल स्थित सोमेश्वर महादेव का दर्शन-पूजन, छिंवकी स्थित गदा माधव जी का दर्शन-पूजन, महेवा स्थित भैरव जी का दर्शन-पूजन होगा.

तीसरे दिन संगम स्नान के साथ यात्रा शुरू होगी. यमुना पार के लालापुर स्थित प्राचीन मनकामेश्वर महादेव का दर्शन-पूजन करेंगे. बीकर गांव में पद्म माधव का दर्शन-पूजन, सुजावन देव मंदिर में दर्शन-पूजन, पर्णास मुनि के आश्रम में महर्षि वाल्मीकि, पर्णास ऋषि व ज्वाला देवी का दर्शन-पूजन किया जाएगा.

चौथे दिन की परिक्रमा की शुरुआत झूंसी स्थित प्रतिष्ठान पूरी स्थित समूद्रकूप एवं कल्पवृक्ष का दर्शन-पूजन, शंख माधव जी का दर्शन-पूजन, ककरा दुबावल स्थित महर्षि दुर्वासा आश्रम में दर्शन-पूजन किया जाएगा. इसके बाद सहसों होते हुए फाफामऊ पाण्डेश्वर महादेव, श्रृंगवेरपुर धाम में सीता कुंड एवं निषादराज स्थली का दर्शन-पूजन, नागवासुकि और असि माधव का दर्शन-पूजन,साथ ही वेणी माधव और अलोपशंकरी माता का दर्शन-पूजन, संगम स्थित श्री आदि माधव जी का दर्शन-पूजन किया जाएगा.

पांचवें दिन संगम स्नान व पूजन के बाद कलश में गंगा जल लेकर महर्षि भरद्वाज आश्रम तक शोभायात्रा निकाली जाएगी और भंडारे के साथ पंचकोशी यात्रा का समापन होगा.

यह भी पढ़ें: ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में देखिए कैसे हुई पूजन और आरती

यह भी पढ़ें: व्यास जी के तहखाने में पूजा शुरू होने के बाद रात में ही सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मुस्लिम पक्ष, दिन में बंद रहीं दुकानें

प्रयागराज में पंचकोशी परिक्रमा शुरू

प्रयागराज: संगमनगरी में गुरुवार से पंचकोसी परिक्रमा की शुरुआत हो गई. 1 से 5 फरवरी तक चलने वाली इस पंचकोसी परिक्रमा की शुरुआत से पहले साधु संतों की एक बैठक हुई. इसमें परिक्रमा का महत्व बताया गया. परिक्रमा की शुरुआत अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरी और इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस मंजू रानी चौहान सहित साधु संतों और प्रशासनिक अफसरों ने संगम तट पर गंगा पूजन कर की. इस दौरान साधु संतों ने जस्टिस मंजू रानी चौहान को अंगवस्राम देकर आशीष दिया.

परिक्रमा के दौरान अखाड़ों से जुड़े साधु संत और श्रद्धालु मिलकर द्वादश माधव और पौराणिक महत्व वाले मंदिरों व मठ का दर्शन पूजन करेंगे. आज साधु संतों ने परिक्रमा शुरू करने से पहले उसके महत्व के बारे में विस्तार से बताया. काशी सुमेरूपीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि प्रयागराज तपस्थली रही है और यह विष्णु भगवान की नगरी है. जहां सदियों पहले भारद्वाज मुनि रहकर जप, तप, ज्ञान और विज्ञान की शिक्षा देते थे. इसका विस्तार से पुराणों व शास्त्रों में वर्णन किया गया है. परिक्रमा की शुरुआत करने के बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद महामंत्री और जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरी ने बताया कि सदियों पहले से प्रयागराज परिक्रमा करने की परंपरा चली आ रही है. इसको और वृहद बनाने के लिए इस परिक्रमा को साधु संतों के साथ मिलकर किया जा रहा है.

प्रयागराज में पंचकोसी परिक्रमा में शामिल साधु और अधिकारी
प्रयागराज में पंचकोसी परिक्रमा में शामिल साधु और अधिकारी

पंचकोसी परिक्रमा किस दिन किस तरफ जाएगी

संगमनगरी में एक से पांच फरवरी तक चलने वाली इस परिक्रमा के दौरान अलग-अलग चारों दिशाओं में स्थापित माधव मंदिरों के साथ ही अन्य प्राचीन और पौराणिक महत्व वाले मंदिरों में जाकर दर्शन-पूजन किया जाएगा. प्रयागराज की पंचकोसी परिक्रमा के पहले दिन संगम स्नान व पूजन के साथ परिक्रमा का शुभारम्भ किया गया. इसके बाद अक्षय वट और सरस्वती कूप का दर्शन-पूजन, लेटे हुए हनुमान जी का दर्शन-पूजन, दत्तात्रेय मंदिर का दर्शन-पूजन, ललिता देवी कल्याणी देवी स्थित सिद्ध में दर्शन-पूजन और यमुनापार के बरखंडी महादेव का दर्शन-पूजन किया गया.

दूसरे दिन संगम स्नान व पूजन के बाद शूलटंकेश्वर महादेव का दर्शन पूजन, अरैल स्थित आदि माधव जी का दर्शन-पूजन, अरैल स्थित चक्र माधव जी का दर्शन-पूजन, अरैल स्थित सोमेश्वर महादेव का दर्शन-पूजन, छिंवकी स्थित गदा माधव जी का दर्शन-पूजन, महेवा स्थित भैरव जी का दर्शन-पूजन होगा.

तीसरे दिन संगम स्नान के साथ यात्रा शुरू होगी. यमुना पार के लालापुर स्थित प्राचीन मनकामेश्वर महादेव का दर्शन-पूजन करेंगे. बीकर गांव में पद्म माधव का दर्शन-पूजन, सुजावन देव मंदिर में दर्शन-पूजन, पर्णास मुनि के आश्रम में महर्षि वाल्मीकि, पर्णास ऋषि व ज्वाला देवी का दर्शन-पूजन किया जाएगा.

चौथे दिन की परिक्रमा की शुरुआत झूंसी स्थित प्रतिष्ठान पूरी स्थित समूद्रकूप एवं कल्पवृक्ष का दर्शन-पूजन, शंख माधव जी का दर्शन-पूजन, ककरा दुबावल स्थित महर्षि दुर्वासा आश्रम में दर्शन-पूजन किया जाएगा. इसके बाद सहसों होते हुए फाफामऊ पाण्डेश्वर महादेव, श्रृंगवेरपुर धाम में सीता कुंड एवं निषादराज स्थली का दर्शन-पूजन, नागवासुकि और असि माधव का दर्शन-पूजन,साथ ही वेणी माधव और अलोपशंकरी माता का दर्शन-पूजन, संगम स्थित श्री आदि माधव जी का दर्शन-पूजन किया जाएगा.

पांचवें दिन संगम स्नान व पूजन के बाद कलश में गंगा जल लेकर महर्षि भरद्वाज आश्रम तक शोभायात्रा निकाली जाएगी और भंडारे के साथ पंचकोशी यात्रा का समापन होगा.

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Last Updated : Feb 1, 2024, 5:55 PM IST
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