प्रयागराज : महाकुंभ की भगदड़ में 17 से अधिक मौतों की जानकारी सामने आ रही है. हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. डीआईजी कुंभ वैभव कृष्ण ने कहा है कि मौतें कितनी हुई, अभी नहीं बता सकते. भगदड़ के बाद अखाड़ों ने अमृत स्नान पहले रद्द किया, हालांकि बाद में स्नान पर सहमति बनी. जिसके बाद अखाड़ों का शाही स्नान शुरू हो गया. इधर, माना जा रहा है कि भगदड़ में मौतों की संख्या बढ़ने की आशंका है.
महाकुंभ के सबसे बड़े स्नान पर्व मौनी अमावस्या के दिन रात 1.30 मिनट पर संगम नोज पर भीड़ का दबाव अधिक होने पर भगदड़ मच गई. इस भगदड़ में 17 लोगों की मौत की सूचना है. हालांकि, डीआईजी कुंभ वैभव कृष्ण ने ईटीवी से बातचीत में बताया कि मौतें कितनी हुई हैं, अभी इसको आधिकारिक रूप से नहीं बताया जा सकता है. पुलिस भीड़ नियंत्रण करने की कोशिश कर रही है. काफी हद तक भीड़ नियंत्रण में है. भगदड़ की वजह चेंजिंग रूम का श्रद्धालुओं पर गिरना बताया जा रहा है. इसकी जांच की जा रही है. इस बीच प्रयागराज में बुधवार को मौनी अमावस्या के दिन 9 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने से पूरा शहर जाम हो गया है. संगम की ओर आ रहे श्रद्धालुओं को होल्डिंग एरिया में रोका गया है. शास्त्री ब्रिज, नैनी पुल पर असंख्य लोग चीटियों की चाल चलते दिखाई दे रहे हैं.
राजसी अंदाज की जगह सादगी के साथ अखाड़ों का अमृत स्नान: वैभव कृष्ण का कहना है कि भीड़ अधिक होने के कारण पहले अखाड़ों को उनके तय शिड्यूल के मुताबिक अमृत स्नान के लिए रोका गया था. अब भीड़ नियंत्रण में है. लिहाजा अखाड़ों के स्नान धाटों को खाली कराया जा रहा है. अब अखाड़े अमृत स्नान करेंगे. उधर, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने इटीवी से बातचीत में कहा कि हम अपनी पूरी संख्याबल के साथ न जाकर कम संख्या में साधु संत और नागा संन्यासी अखाड़े के ईष्ट देव को लेकर अमृत स्नान करने के लिए जाएंगे. राजसी अंदाज की जगह सादगी के साथ रथ के बिना अमृत स्नान करने जाएंगे.इस दौरान कोई ढोल नगाड़ा नहीं बजेगा. सादगी के साथ संन्यासी और संत अमृत स्नान के लिए जाएंगे.
भीड़ के दबाव से बीच–बीच में होती रही भगदड़: महाकुंभ के दूसरे और सबसे बड़े अमृत स्नान पर्व मौनी अमावस्या के दिन पहली बार भगदड़ 1.30 बजे के आसपास हुई. प्रत्यक्षदर्शियों ने ईटीवी भारत के रिपोर्टर को बताया कि इस समय यहां भगदड़ हुई, उस समय 100 मीटर में श्रद्धालु संगम नोज पर सो रहे थे. सो रहे लोगों के दोनों किनारों से भीड़ संगम नोज पर स्नान के लिए जा रही थी. भीड़ का दबाव लगातार बढ़ रहा था और सोते हुए लोग पुलिस के बार-बार एनाउंस करने के बाद भी उठ नहीं रहे थे. इस बीच अचानक भीड़ का दबाव बढ़ा और श्रद्धालु सोते हुए लोगों के ऊपर गिरना शुरू हो गए.
इसके बाद जान बचाने को सो रही भीड़ उठकर भागने की कोशिश करने लगी और तभी एक के ऊपर एक लोग गिरते गए. अपने बैग पर सिर नीचे रखकर सो रहे लोगों के ऊपर से भीड़ निकलती चली गई. लोग जैसे सो रहे थे, सोते ही रहे. उनके ऊपर भी गिरे लोगों को भीड़ कुचलती चली गई. अपनी जान बचाने के लिए जिसको जहां जगह मिली वहीं भागा. नीचे कौन दब रहा है, किसकी जान जा रही है, इसकी परवाह किए बिना भीड़ बेकाबू हो गई. 10 मिनट में गंगा की रेती भयावह मंजर के निशान छोड़ गई. लोगों के कपड़े, जूते, बैग, कंबल, मोबाइल सब बिखरे पड़े मिले.
रात 2 बजे से ही हूटर और सायरन बजने लगे : भगदड़ के बाद प्रशासन के सामने सबसे बड़ा चैलेंज भीड़ को छांटकर घायलों को अस्पताल पहुंचाना था. 30 से ऊपर एंबुलेंस सायरन और हूटर बजाती जब निकलीं तो भीड़ किसी अनहोनी की आशंका से कांप गई. भीड़ इसके बाद भी संगम नोज पर जाती रही. प्रशासन के भी हाथ से मामला निकलता दिख रहा था. भीड़ भगदड़ के बाद अपना आपा खो चुकी थी. यही कारण रहा कि बीच-बीच में भी कई बार भगदड़ जैसी स्थिति हुई. कई बुजुर्ग महिलाएं, लड़कियां और बुजुर्ग बेहोश हो–होकर गिरे. एंबुलेंस भीड़ के बीच से उनको निकालकर परेड स्थिति सेंट्रल अस्पताल और एसआरएन पहुंचाती रही.
घटना की 5 प्रमुख वजहें
- मेला विकास प्राधिकरण ने अमृत स्नान की वजह से ज्यादातर पांटून पुलों को तीन दिन से बंद कर रखा था. इसके कारण झूंसी और नैनी की ओर जाने वाले श्रद्धालुओं को संगम स्नान के बाद बाहर जाने काे नहीं मिला. इससे एक सीमित दायरे में कई करोड़ की भीड़ इकट्ठा होती चली गई.
- रात का समय होने से एआई कैमरों से निगरानी करने का दावा करने वाले अफसरों को भी इस बात का अंदाजा नहीं हो पाया कि संगम नोज के आसपास हालात नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं. प्रशासन भी रात में सुस्त दिखा. हादसे के बाद सायरन बजाती अफसरों की गाड़ियां और एंबुलेंस संगम नोज की तरफ भागीं.
- संगम नोज पर आने और जाने का मार्ग एक ही रखा गया. एक ही रास्ता होने से हादसे के बाद श्रद्धालुओं को भागने का मौका नहीं मिला. जो जहां फंसा वहीं फंसा रहा.
- लगातार वीआईपी मूवमेंट से भी अफसरों और पुलिसकर्मियों को रेस्ट करने का अवसर नहीं मिला. माना जा रहा कि इससे भी भीड़ प्रबंधन प्रभावित हुआ.
- संगम क्षेत्र में कुंभ के दौरान मौनी अमावस्या के दिन संगम क्षेत्र की पटरियों को पूरी तरह से लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता रहा है. इस बार सैकड़ों दुकानें, भिखारी सड़कों किनारे दुकानें लगाए थे.
अब जानिए- जिस जगह से मची भगदड़ आखिर उस संगम नोज पर स्नान करने के लिए क्यों उमड़ते हैं श्रद्धालु
महाकुंभ में संगम नोज पर मची भगदड़ ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. बताया जा रहा है कि मंगलवार शाम से ही लाखों लोग एक सीमित दायरे में जमा हो गए थे. इसके बाद मौनी अमावस्या की पुण्य बेला जब आई, तो वहां तिल रखने की जगह नहीं बची. श्रद्धालुओं का संगम नोज से निकलना कम, पहुंचना ज्यादा रहा. भीड़ बढ़ती ही गई, और नतीजा भगदड़ के रूप में सामने आया. वैसे तो महाकुंभ में 41 घाट तैयार किेए गए हैं, लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ ने संगम नोज का ही रुख किया. दरअसल, संगम नोज पर लाखों की भीड़ के जुटने के पीछे कई धार्मिक मान्यताएं हैं. त्रिवेणी के संगम के अलावा ये मान्यताएं ही लोगों को संगम नोज की ओर खींचकर ले गईं. आइए जानते हैं, इनके बारे में...
इन कारणों से काफी महत्वपूर्ण है संगम नोज.
पहला : संगन नोज पर ही गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन होता है. यह घाट संगम का सबसे मेन और बड़ा घाट है, जहां आपको तीनों नदियों गंगा यमुना सरस्वती (अदृश्य) नदी आपस में मिलती हैं. इस स्थान पर यदि नाव के सहारे जायेंगे तो आपको इन तीनो नदियों का संगम देखने को मिलेगा साथ ही इन नदियों के रंग भी आपस में मिलते हुए नज़र आएंगे. इस वजह से यहां स्नान करना लोग अधिक पवित्र मानते हैं.
दूसरा: यह भी कहा जाता है की समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश से अमृत की बूंदे इस स्थान पर भी छलकी थीं. लिए इसी घाट में अमृत स्नान करने के लिए लोगों की भीड़ इकठ्ठा होती है. साथ ही यह स्थान अपनी खूबसूरती के लिए भी प्रसिद्ध है, यहां सैकड़ों की संख्या में आपको साइबेरियन पक्षी देखने को मिलते हैं. ये विदेशी मेहमान सर्दियों में संगम की सुंदरता में चार चांद लगाने बड़ी संख्या में आ जाते हैं.पर्यटक भी इनको दाना खिलाकर खूब आनंद उठाते हैं.
तीसरा: संगम में कई घाटें और तट हैं, मगर लोग यहां स्नान करना सबसे अधिक पवित्र और पुण्य फलदायी मानते हैं. हिंदू धर्म में मान्यता है कि संगम नोज पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है यही कारण है कि इस घाट पर साधु संत, अखाड़े, और लोग मोक्ष प्राप्ति के लिए इसी घाट में स्नान करने के लिए आते हैं और लोगों की भीड़ इकठ्ठा होती है.