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महाकुंभ से पहले साधु-संतों के अखाड़ों में क्यों छिड़ा विवाद, क्या है इसके पीछे का कारण?, पढ़िए डिटेल

MAHA KUMBH AKHARA DISPUTE : अखाड़ों में छिड़ी पद-कुर्सी और वर्चस्व की लड़ाई. थाने से लेकर कोर्ट तक पहुंचे मामले.

साधु-संतों के एक होने पर जोर दिया जा रहा है.
साधु-संतों के एक होने पर जोर दिया जा रहा है. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 1, 2024, 8:32 AM IST

प्रयागराज : साधु-संत घर परिवार और मोह माया त्याग कर वैराग्य अपनाते हैं. इसके बावजूद साधु-संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से लेकर अलग-अलग अखाड़ों के साधु-संतों में जंग छिड़ी रहती है. किसी की लड़ाई पद और कुर्सी को लेकर है तो कोई अखाड़े में वर्चस्व को लेकर मोर्चा खोले हुए है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में दो गुट बन चुके हैं. वहीं जूना अखाड़े से जुड़े कुछ संतों ने अपना नया अखाड़ा पांच दशनाम श्रीसंत गुरुदत्त अखाड़ा बना लिया है. इसी तरह से किन्नर अखाड़ा के बावजूद किन्नरों का भी दूसरा अखाड़ा महाकुम्भ में गठित किया जाएगा. श्री पंचायती उदासीन बड़ा अखाड़ा के कुछ संत भी एक-दूसरे पर तमाम आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं.

महाकुंभ से फिर से अखाड़ों में छिड़ा विवाद. (Video Credit; ETV Bharat)

सनातन धर्म में साधु-संतों को पूज्यनीय बताया गया है. हालांकि कुछ साधुओं पर कलयुग का असर पड़ने लगा है. वे कुर्सी से लेकर गद्दी तक के लिए आपस में भिड़ने लगे हैं. इसके लिए थाने से लेकर कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी काट रहे हैं. आइए जानते हैं विभिन्न अखाड़ों में विवाद की क्या वजह है.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में इसलिए है विवाद : जगतगुरु शंकराचार्य की ओर से सनातन धर्म की रक्षा के लिए अखाड़ों का गठन किया गया था. इसमें साधु-संतों की सेना धर्म की रक्षा के लिए शास्त्र से लेकर शस्त्र तक की शिक्षा ग्रहण करती थी. धीरे-धीरे बढ़कर कुल 13 अखाड़े बन गए. वर्तमान समय मे कुछ साधु संत नए अखाड़े बनाने में भी जुटे हुए हैं. जिन्हें अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद मान्यता नहीं देगा लेकिन उसके बाद भी कई संत-महात्मा अपना अखाड़ा बनाने का दावा कर रहे हैं. फिलहाल देश में 13 अखाड़ों की सबसे पुरानी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ही है.

अध्यक्ष, महामंत्री के पद को लेकर बन चुके दो गुट : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में भी अध्यक्ष, महामंत्री के पद को लेकर दो गुट बन चुके हैं. बड़े गुट के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी निरंजनी अखाड़ा हैं. उनके महामंत्री जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरी हैं. इसी तरह से दूसरे गुट के अध्यक्ष का नाम भी रवींद्र पुरी है. वे महानिर्वाणी अखाड़े से हैं जबकि उनके महामंत्री का नाम महंत राजेन्द्र दास हैं. सितंबर 2021 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरी की मौत हो गई थी. इसके बाद निरंजनी अखाड़े के महंत रवींद्र पुरी को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी. कुछ अखाड़े इसका विरोध कर रहे थे. जब उनकी नहीं सुनी गई तो उन्होंने महंत रवींद्र पुरी महानिर्वाणी को अध्यक्ष और निर्मोही अनी अखाड़े के महंत राजेन्द्र दास को महामंत्री बना दिया.

सीएम की बैठक में भी सामने आ चुका है रार : दोनों गुट खुद को अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष बताता चला आ रहा है. महाकुंम्भ के आयोजन के नजदीक आते ही गुटबाजी और अंतर्कलह खुलकर सामने आने लगी है. 6 अक्टूबर को प्रयागराज में प्रयागराज में सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ बैठक में अखाड़ों के रार उनके सामने भी आया. सीएम के सामने ही दोनों गुट एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने लगे. यही नहीं जनवरी 2025 में शुरू होने वाले महाकुम्भ के शाही स्नान में अखाड़ों के स्नान के क्रम को बदलने को लेकर भी अखाड़ों में विवाद हो सकता है.

महंत रवींद्र पुरि, अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद.
महंत रवींद्र पुरि, अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद. (Photo Credit; ETV Bharat)

महंत रवींद्र पुरी बोले- सभी अखाड़े मिलकर सुलझा लेंगे विवाद : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष निरंजनी अखाड़े के महंत रवींद्र पुरी का कहना है कि अखाड़ों में इस तरह के विवाद होते रहते हैं जो समय आने पर स्वतः ही सभी अखाड़े मिलकर सुलझा लेंगे. उनका कहना है कि अखाड़ों की परंपरा के अलावा जो बीवी, बच्चों वाले और घर-परिवार से जुड़े लोग साधु का भेष धर रहे हैं, उनकी वजह से ही विवाद होता है. जो संत मनमुखी हो जाते हैं उनकी वजह ही अखाड़ों जैसी संस्थाओं में विवाद पैदा होता है. उनका कहना है कि जब जब कुम्भ होता है तब तब इस तरह का विवाद होता पैदा होता है लेकिन वो समय के साथ सुलझ भी जाता है.

जूना अखाड़े से निकले संत भी नया अखाड़ा बनाने में जुटे : 13 अखाड़ों में सबसे बड़ा अखाड़ा जूना अखाड़ा है. इसमें सबसे ज्यादा साधु-संत हैं. साधुओं की संख्या लाखों में होने के कारण जूना अखाड़ा का महत्व संख्या बल के आधार पर बढ़ जाता है. ज्यादा संख्या होने के कारण जूना अखाड़ा में भी महामंडलेश्वर और संतों के बीच विवाद हो जाते हैं. ऐसे ही कुछ संतों को जूना अखाड़े ने बाहर किया तो उन लोगों ने मिलकर एक नए अखाड़े का गठन कर लिया है. 26 अक्टूबर को कुछ साधुओं ने मिलकर पांच दशनाम श्री संत गुरुदत्त अखाड़े के गठन का एलान कर दिया है.

इस अखाड़े के गठन के साथ ही कई साधुओं को महामंडलेश्वर भी बनाने की बात कही है. श्री संत गुरुदत्त के स्थापना करने वाले अदित्यानंद गोल्डन गिरी और चेतन्य गिरी महाराज ने कहाकि आने वाले महाकुंम्भ में वो अपने अखाड़े से जुड़े महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, पीठाधीश्वर, महंत श्रीमहन्त जैसे पदों पर संतों का पट्टाभिषेक किया जाएगा.

हिमांगी सखी
हिमांगी सखी (Photo Credit; ETV Bharat)

महाकुंभ में किन्नरों का भी नया अखाड़ा बनेगा : महाकुम्भ से पहले अखाड़ों के अलावा कुछ साल पहले बने किन्नर अखाड़ा के अलावा किन्नरों के भी दूसरे अखाड़े का गठन होने वाला है. वाराणसी में पीएम मोदी के खिलाफ लोकसभा चुनाव में नामांकन करने बाद नाम वापस लेकर पीएम का समर्थन करने वाली किन्नर व कथा वाचक हिमांगी सखी ने नए अखाड़े के गठन का ऐलान कर दिया है. हिमांगी सखी का कहना है कि महाकुम्भ में वो वैष्णव किन्नर अखाड़े का गठन करेंगी. अभी वो किन्नर अर्द्धनारीश्वर धाम की स्थापना करके उसी के जरिए समाजसेवा कर रहीं हैं. आने वाले महाकुम्भ में वो किन्नर अर्धनारीश्वर धाम का शिविर लगाएंगी. यहां पर वैष्णव किन्नर अखाड़े का गठन करने के साथ ही अलग-अलग क्षेत्र के संतों को महामंडलेश्वर मंडलेश्वर और अन्य उपाधियां दी जाएंगी.

कौशल्यानंद गिरी, महामंडलेश्वर किन्नर अखाड़ा.
कौशल्यानंद गिरी, महामंडलेश्वर किन्नर अखाड़ा. (Photo Credit; ETV Bharat)

समाज और देश की सेवा करना मकसद : किन्नर अखाड़ा होने के बाद भी वैष्णव किन्नर अखाड़ा के गठन को लेकर किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्यानंद गिरी का कहना है कि उनका मकसद समाज और देश की सेवा करना है. उसके लिए अखाड़ा बनाने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन किन्नरों का नया अखाड़ा बनने को लेकर कहा कि उन्हें अखाड़ों की संख्या से कोई दिक्कत नहीं है. नया अखाड़ा बने या वो चाहें तो किन्नर अखाड़े से जुड़कर भी कार्य सकती हैं. वैष्णव किन्नर अखाड़ा बनाने वालों के लिए भी किन्नर अखाड़े में स्वागत है वो चाहें तो जुड़कर साथ में काम कर सकते हैं.

बड़ा उदासीन पंचायती अखाड़े में भी विवाद : पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा के भी दो महंतों के बीच विवाद चालू हो गया है. पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्री महंत रघुमुनि ने अखाड़े के अन्य महंतों पर नियम के विपरीत उन्हें अखाड़े से निकालने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया है. उनका आरोप है कि 2025 का कुम्भ इस बार उन्हें अयोजित करवाना था. इसे रोकने के लिए साजिश करके उन्हें तीन अन्य संतों के साथ अखाड़े से बाहर कर दिया है. इसे लेकर उनका कोर्ट में मुकदमा चल रहा है. इसके साथ ही उन्होंने 156 (3) के तहत 4 नामजद और अन्य अज्ञात के खिलाफ फ्रॉड समेत अन्य धाराओं में कीडगंज थाने में मुकदमा दर्ज करवा दिया है.

अखाड़े से निकाले जाने के बाद पहुंचे कोर्ट : श्रीमहंत रघुमुनि जी महाराज को जब पता चला कि उन्हें और सचिव अग्रदास व दामोदर दास को अखाड़े से निकाल दिया गया है तो उस फैसले के खिलाफ उन्होंने सोसायटी ऑफिस के साथ ही न्यायालय में अपील कर दी. आरोप लगाया कि जालसाजी करके उन्हें नियमों के विपरीत पद और अखाड़े से हटाया गया है. इसी बीच अग्रदास की तरफ से प्रयागराज के कीडगंज थाने में 156 (3) के तहत केस दर्ज करवाया गया है. इसमें अखाड़े के श्रीमहंत दुर्गादास दक्षिण पद्धत,मुकामी महंत व्यासमुनि, मुकामी महंत गोविंद दास, मुकामी महंत प्रेमदास और अन्य अज्ञात के खिलाफ 420,467,468,469,471,323,504, 506 और 120 B के तहत केस दर्ज किया गया है.

अखाड़े के नियमों के विपरीत जाने पर किया बाहर : कीडगंज थाने की पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है. वहीं पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के सचिव महंत व्यासमुनि महाराज का कहना है कि महंत रघुमुनि महाराज पर गंभीर आरोप लगे हैं. उन पर जमीन का कारोबार करने का आरोप लगा है जिस कारण अखाड़े के नियमों के विपरीत आचरण व्यवहार करने के आरोप में उन्हें और तीन लोगों को अखाड़े से निकाला गया है. किसी भी अखाड़े से जुड़ने के बाद उस अखाड़े के नियमों का पालन करना पड़ता है. इसके साथ ही उन्होंने कहाकि रघुमुनि जी जो भी आरोप लगाये हैं वो सभी बेबुनियाद और मनगढ़ंत हैं. उनके आरोपों को लेकर कोर्ट में भी मामला चल रहा है सारे साक्ष्य कोर्ट में लगाए जा चुके हैं और कोर्ट का फैसला जो सही होगा उसके पक्ष में आएगा.

सनातन धर्म के लिए सभी को एकजुट होना चाहिए : साधु-संतों और अखाड़ों में जब कुर्सी-पदवी और छोटा-बड़ा होने को लेकर विवाद चल रहा है तो ऐसे में ये साधु संत समाज को सही राह कैसे दिखा पाएंगे. इस पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी के साथ ही किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्यानंद गिरी और किन्नर कथावाचक हिमांगी सखी का भी कहना है कि सनातन धर्म को मजबूत बनाने के लिए सभी को एकजुट होना चाहिए. अखाड़ों से जुड़े संतों के बीच इस तरह के झगड़े होने से सनातन धर्म का भी उपहास होता है. इसलिए सभी संतों से एकजुट होने की अपील भी की गई है.

यह भी पढ़ें : प्रयागराज महाकुंभ 2025; सबसे पहले शाही स्नान करने को लेकर दो अखाड़ों में तनातनी

प्रयागराज : साधु-संत घर परिवार और मोह माया त्याग कर वैराग्य अपनाते हैं. इसके बावजूद साधु-संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से लेकर अलग-अलग अखाड़ों के साधु-संतों में जंग छिड़ी रहती है. किसी की लड़ाई पद और कुर्सी को लेकर है तो कोई अखाड़े में वर्चस्व को लेकर मोर्चा खोले हुए है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में दो गुट बन चुके हैं. वहीं जूना अखाड़े से जुड़े कुछ संतों ने अपना नया अखाड़ा पांच दशनाम श्रीसंत गुरुदत्त अखाड़ा बना लिया है. इसी तरह से किन्नर अखाड़ा के बावजूद किन्नरों का भी दूसरा अखाड़ा महाकुम्भ में गठित किया जाएगा. श्री पंचायती उदासीन बड़ा अखाड़ा के कुछ संत भी एक-दूसरे पर तमाम आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं.

महाकुंभ से फिर से अखाड़ों में छिड़ा विवाद. (Video Credit; ETV Bharat)

सनातन धर्म में साधु-संतों को पूज्यनीय बताया गया है. हालांकि कुछ साधुओं पर कलयुग का असर पड़ने लगा है. वे कुर्सी से लेकर गद्दी तक के लिए आपस में भिड़ने लगे हैं. इसके लिए थाने से लेकर कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी काट रहे हैं. आइए जानते हैं विभिन्न अखाड़ों में विवाद की क्या वजह है.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में इसलिए है विवाद : जगतगुरु शंकराचार्य की ओर से सनातन धर्म की रक्षा के लिए अखाड़ों का गठन किया गया था. इसमें साधु-संतों की सेना धर्म की रक्षा के लिए शास्त्र से लेकर शस्त्र तक की शिक्षा ग्रहण करती थी. धीरे-धीरे बढ़कर कुल 13 अखाड़े बन गए. वर्तमान समय मे कुछ साधु संत नए अखाड़े बनाने में भी जुटे हुए हैं. जिन्हें अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद मान्यता नहीं देगा लेकिन उसके बाद भी कई संत-महात्मा अपना अखाड़ा बनाने का दावा कर रहे हैं. फिलहाल देश में 13 अखाड़ों की सबसे पुरानी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ही है.

अध्यक्ष, महामंत्री के पद को लेकर बन चुके दो गुट : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में भी अध्यक्ष, महामंत्री के पद को लेकर दो गुट बन चुके हैं. बड़े गुट के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी निरंजनी अखाड़ा हैं. उनके महामंत्री जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरी हैं. इसी तरह से दूसरे गुट के अध्यक्ष का नाम भी रवींद्र पुरी है. वे महानिर्वाणी अखाड़े से हैं जबकि उनके महामंत्री का नाम महंत राजेन्द्र दास हैं. सितंबर 2021 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरी की मौत हो गई थी. इसके बाद निरंजनी अखाड़े के महंत रवींद्र पुरी को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी. कुछ अखाड़े इसका विरोध कर रहे थे. जब उनकी नहीं सुनी गई तो उन्होंने महंत रवींद्र पुरी महानिर्वाणी को अध्यक्ष और निर्मोही अनी अखाड़े के महंत राजेन्द्र दास को महामंत्री बना दिया.

सीएम की बैठक में भी सामने आ चुका है रार : दोनों गुट खुद को अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष बताता चला आ रहा है. महाकुंम्भ के आयोजन के नजदीक आते ही गुटबाजी और अंतर्कलह खुलकर सामने आने लगी है. 6 अक्टूबर को प्रयागराज में प्रयागराज में सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ बैठक में अखाड़ों के रार उनके सामने भी आया. सीएम के सामने ही दोनों गुट एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने लगे. यही नहीं जनवरी 2025 में शुरू होने वाले महाकुम्भ के शाही स्नान में अखाड़ों के स्नान के क्रम को बदलने को लेकर भी अखाड़ों में विवाद हो सकता है.

महंत रवींद्र पुरि, अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद.
महंत रवींद्र पुरि, अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद. (Photo Credit; ETV Bharat)

महंत रवींद्र पुरी बोले- सभी अखाड़े मिलकर सुलझा लेंगे विवाद : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष निरंजनी अखाड़े के महंत रवींद्र पुरी का कहना है कि अखाड़ों में इस तरह के विवाद होते रहते हैं जो समय आने पर स्वतः ही सभी अखाड़े मिलकर सुलझा लेंगे. उनका कहना है कि अखाड़ों की परंपरा के अलावा जो बीवी, बच्चों वाले और घर-परिवार से जुड़े लोग साधु का भेष धर रहे हैं, उनकी वजह से ही विवाद होता है. जो संत मनमुखी हो जाते हैं उनकी वजह ही अखाड़ों जैसी संस्थाओं में विवाद पैदा होता है. उनका कहना है कि जब जब कुम्भ होता है तब तब इस तरह का विवाद होता पैदा होता है लेकिन वो समय के साथ सुलझ भी जाता है.

जूना अखाड़े से निकले संत भी नया अखाड़ा बनाने में जुटे : 13 अखाड़ों में सबसे बड़ा अखाड़ा जूना अखाड़ा है. इसमें सबसे ज्यादा साधु-संत हैं. साधुओं की संख्या लाखों में होने के कारण जूना अखाड़ा का महत्व संख्या बल के आधार पर बढ़ जाता है. ज्यादा संख्या होने के कारण जूना अखाड़ा में भी महामंडलेश्वर और संतों के बीच विवाद हो जाते हैं. ऐसे ही कुछ संतों को जूना अखाड़े ने बाहर किया तो उन लोगों ने मिलकर एक नए अखाड़े का गठन कर लिया है. 26 अक्टूबर को कुछ साधुओं ने मिलकर पांच दशनाम श्री संत गुरुदत्त अखाड़े के गठन का एलान कर दिया है.

इस अखाड़े के गठन के साथ ही कई साधुओं को महामंडलेश्वर भी बनाने की बात कही है. श्री संत गुरुदत्त के स्थापना करने वाले अदित्यानंद गोल्डन गिरी और चेतन्य गिरी महाराज ने कहाकि आने वाले महाकुंम्भ में वो अपने अखाड़े से जुड़े महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, पीठाधीश्वर, महंत श्रीमहन्त जैसे पदों पर संतों का पट्टाभिषेक किया जाएगा.

हिमांगी सखी
हिमांगी सखी (Photo Credit; ETV Bharat)

महाकुंभ में किन्नरों का भी नया अखाड़ा बनेगा : महाकुम्भ से पहले अखाड़ों के अलावा कुछ साल पहले बने किन्नर अखाड़ा के अलावा किन्नरों के भी दूसरे अखाड़े का गठन होने वाला है. वाराणसी में पीएम मोदी के खिलाफ लोकसभा चुनाव में नामांकन करने बाद नाम वापस लेकर पीएम का समर्थन करने वाली किन्नर व कथा वाचक हिमांगी सखी ने नए अखाड़े के गठन का ऐलान कर दिया है. हिमांगी सखी का कहना है कि महाकुम्भ में वो वैष्णव किन्नर अखाड़े का गठन करेंगी. अभी वो किन्नर अर्द्धनारीश्वर धाम की स्थापना करके उसी के जरिए समाजसेवा कर रहीं हैं. आने वाले महाकुम्भ में वो किन्नर अर्धनारीश्वर धाम का शिविर लगाएंगी. यहां पर वैष्णव किन्नर अखाड़े का गठन करने के साथ ही अलग-अलग क्षेत्र के संतों को महामंडलेश्वर मंडलेश्वर और अन्य उपाधियां दी जाएंगी.

कौशल्यानंद गिरी, महामंडलेश्वर किन्नर अखाड़ा.
कौशल्यानंद गिरी, महामंडलेश्वर किन्नर अखाड़ा. (Photo Credit; ETV Bharat)

समाज और देश की सेवा करना मकसद : किन्नर अखाड़ा होने के बाद भी वैष्णव किन्नर अखाड़ा के गठन को लेकर किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्यानंद गिरी का कहना है कि उनका मकसद समाज और देश की सेवा करना है. उसके लिए अखाड़ा बनाने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन किन्नरों का नया अखाड़ा बनने को लेकर कहा कि उन्हें अखाड़ों की संख्या से कोई दिक्कत नहीं है. नया अखाड़ा बने या वो चाहें तो किन्नर अखाड़े से जुड़कर भी कार्य सकती हैं. वैष्णव किन्नर अखाड़ा बनाने वालों के लिए भी किन्नर अखाड़े में स्वागत है वो चाहें तो जुड़कर साथ में काम कर सकते हैं.

बड़ा उदासीन पंचायती अखाड़े में भी विवाद : पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा के भी दो महंतों के बीच विवाद चालू हो गया है. पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्री महंत रघुमुनि ने अखाड़े के अन्य महंतों पर नियम के विपरीत उन्हें अखाड़े से निकालने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया है. उनका आरोप है कि 2025 का कुम्भ इस बार उन्हें अयोजित करवाना था. इसे रोकने के लिए साजिश करके उन्हें तीन अन्य संतों के साथ अखाड़े से बाहर कर दिया है. इसे लेकर उनका कोर्ट में मुकदमा चल रहा है. इसके साथ ही उन्होंने 156 (3) के तहत 4 नामजद और अन्य अज्ञात के खिलाफ फ्रॉड समेत अन्य धाराओं में कीडगंज थाने में मुकदमा दर्ज करवा दिया है.

अखाड़े से निकाले जाने के बाद पहुंचे कोर्ट : श्रीमहंत रघुमुनि जी महाराज को जब पता चला कि उन्हें और सचिव अग्रदास व दामोदर दास को अखाड़े से निकाल दिया गया है तो उस फैसले के खिलाफ उन्होंने सोसायटी ऑफिस के साथ ही न्यायालय में अपील कर दी. आरोप लगाया कि जालसाजी करके उन्हें नियमों के विपरीत पद और अखाड़े से हटाया गया है. इसी बीच अग्रदास की तरफ से प्रयागराज के कीडगंज थाने में 156 (3) के तहत केस दर्ज करवाया गया है. इसमें अखाड़े के श्रीमहंत दुर्गादास दक्षिण पद्धत,मुकामी महंत व्यासमुनि, मुकामी महंत गोविंद दास, मुकामी महंत प्रेमदास और अन्य अज्ञात के खिलाफ 420,467,468,469,471,323,504, 506 और 120 B के तहत केस दर्ज किया गया है.

अखाड़े के नियमों के विपरीत जाने पर किया बाहर : कीडगंज थाने की पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है. वहीं पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के सचिव महंत व्यासमुनि महाराज का कहना है कि महंत रघुमुनि महाराज पर गंभीर आरोप लगे हैं. उन पर जमीन का कारोबार करने का आरोप लगा है जिस कारण अखाड़े के नियमों के विपरीत आचरण व्यवहार करने के आरोप में उन्हें और तीन लोगों को अखाड़े से निकाला गया है. किसी भी अखाड़े से जुड़ने के बाद उस अखाड़े के नियमों का पालन करना पड़ता है. इसके साथ ही उन्होंने कहाकि रघुमुनि जी जो भी आरोप लगाये हैं वो सभी बेबुनियाद और मनगढ़ंत हैं. उनके आरोपों को लेकर कोर्ट में भी मामला चल रहा है सारे साक्ष्य कोर्ट में लगाए जा चुके हैं और कोर्ट का फैसला जो सही होगा उसके पक्ष में आएगा.

सनातन धर्म के लिए सभी को एकजुट होना चाहिए : साधु-संतों और अखाड़ों में जब कुर्सी-पदवी और छोटा-बड़ा होने को लेकर विवाद चल रहा है तो ऐसे में ये साधु संत समाज को सही राह कैसे दिखा पाएंगे. इस पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी के साथ ही किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्यानंद गिरी और किन्नर कथावाचक हिमांगी सखी का भी कहना है कि सनातन धर्म को मजबूत बनाने के लिए सभी को एकजुट होना चाहिए. अखाड़ों से जुड़े संतों के बीच इस तरह के झगड़े होने से सनातन धर्म का भी उपहास होता है. इसलिए सभी संतों से एकजुट होने की अपील भी की गई है.

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