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प्रयागराज महाकुंभ 2025, स्थापना से पहले अखाड़ों की धर्म ध्वजा की कैसे होती है सजावट?, पढ़िए डिटेल - AKHARA RELIGIOUS FLAG

आज होगी श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की धर्म ध्वजा की स्थापना. शनिवार को तैयारियों में जुटे रहे संत.

सनातन धर्म में धर्मध्वजा का खास महत्व है.
सनातन धर्म में धर्मध्वजा का खास महत्व है. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 6 hours ago

प्रयागराज : महाकुंभ मेला क्षेत्र में शिविर लगाने से पहले सभी 13 अखाड़ों की तरफ से धर्म ध्वजा की स्थापना की जाती है. इससे पहले धर्म ध्वजा को सजाया-संवारा भी जाता है. रंग-रोगन किया जाता है. रविवार को मेला क्षेत्र में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की धर्म ध्वजा स्थापित की जानी है. इससे पहले शनिवार को इसकी तैयारियां की गईं. ध्वजा को गेरुआ रंग से रंगा जाता है. रंगाई से पहले धर्म ध्वजा को वस्त्र पहनाया जाता है. इसके बाद रस्सी लपेटी जाती है.

स्थापना से पहले धर्म ध्वजा को सजाया जाता है. (Video Credit; ETV Bharat)

धर्म ध्वजा की सजावट स्थापना से पहले ही पूरी कर ली गई. रविवार को धर्मध्जवा की स्थापना के बाद उसी के नीचे अखाड़े के ईष्ट देव का स्थान बनाया जाएगा. इसके बाद उनकी पूजा शुरू कर दी जाएगी. श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव महंत यमुना पुरी ने बताया कि धर्म ध्वजा की स्थापना से पहले अखाड़े में धर्म ध्वजा का श्रृंगार करके उसे सजाने की परंपरा है.

उनका मानना है कि कण-कण में भगवान होते हैं तो ऐसे में वो धर्म ध्वजा में भी जीव का वास हो सकता है. धर्म ध्वजा का भी श्रृंगार करके उसे वस्त्र पहनाकर रस्सी लपेटकर रखा जाएगा. रविवार के दिन वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विधि-विधान के साथ पूजा-पाठ करके धर्मध्वजा की स्थापना की जाएगी. अखाड़े के सचिव महंत यमुना पुरी के अनुसार गेरुआ रंग भी सत्य और सनातन धर्म का प्रतीक है. इसलिए धर्म ध्वजा में गेरु का लेप किया जाता है.

सनातन धर्म और संस्कृति की रक्षा करने के लिए देश में अखाड़ों का गठन किया गया था. अखाड़ों की धर्मध्वजा को सनातन का प्रतीक माना जाता है. उसी की छाया में महाकुम्भ में लगने वाला अखाड़े का शिविर बसाया जाता है. श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव ने बताया कि अखाड़े की धर्म ध्वजा की लंबाई 52 शक्ति पीठ और 52 मढ़ियों के आधार पर 52 हाथ लंबी होती है. फीट में यह करीब 78 फीट की होती है.

धर्मध्वजा की स्थापना देवी-देवताओं का आह्मन करके पूरे विधि विधान के साथ किया जाता है. इसके बाद सुबह-शाम अखाड़े के कोतवाल और थानापति जैसे पदाधिकारी पूजा-पाठ भोग आरती शुरू कर देंगे. मेला छावनी में धर्म ध्वजा की स्थापना के बाद ही चूल्हा जलता है और चूल्हे पर कढ़ाई चढ़ाकर भोजन प्रसाद बनाया जाता है.

यह भी पढ़ें : महाकुंभ : डोम सिटी में रह सकेंगे श्रद्धालु, पर्यटन विभाग ने की तैयारी

प्रयागराज : महाकुंभ मेला क्षेत्र में शिविर लगाने से पहले सभी 13 अखाड़ों की तरफ से धर्म ध्वजा की स्थापना की जाती है. इससे पहले धर्म ध्वजा को सजाया-संवारा भी जाता है. रंग-रोगन किया जाता है. रविवार को मेला क्षेत्र में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की धर्म ध्वजा स्थापित की जानी है. इससे पहले शनिवार को इसकी तैयारियां की गईं. ध्वजा को गेरुआ रंग से रंगा जाता है. रंगाई से पहले धर्म ध्वजा को वस्त्र पहनाया जाता है. इसके बाद रस्सी लपेटी जाती है.

स्थापना से पहले धर्म ध्वजा को सजाया जाता है. (Video Credit; ETV Bharat)

धर्म ध्वजा की सजावट स्थापना से पहले ही पूरी कर ली गई. रविवार को धर्मध्जवा की स्थापना के बाद उसी के नीचे अखाड़े के ईष्ट देव का स्थान बनाया जाएगा. इसके बाद उनकी पूजा शुरू कर दी जाएगी. श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव महंत यमुना पुरी ने बताया कि धर्म ध्वजा की स्थापना से पहले अखाड़े में धर्म ध्वजा का श्रृंगार करके उसे सजाने की परंपरा है.

उनका मानना है कि कण-कण में भगवान होते हैं तो ऐसे में वो धर्म ध्वजा में भी जीव का वास हो सकता है. धर्म ध्वजा का भी श्रृंगार करके उसे वस्त्र पहनाकर रस्सी लपेटकर रखा जाएगा. रविवार के दिन वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विधि-विधान के साथ पूजा-पाठ करके धर्मध्वजा की स्थापना की जाएगी. अखाड़े के सचिव महंत यमुना पुरी के अनुसार गेरुआ रंग भी सत्य और सनातन धर्म का प्रतीक है. इसलिए धर्म ध्वजा में गेरु का लेप किया जाता है.

सनातन धर्म और संस्कृति की रक्षा करने के लिए देश में अखाड़ों का गठन किया गया था. अखाड़ों की धर्मध्वजा को सनातन का प्रतीक माना जाता है. उसी की छाया में महाकुम्भ में लगने वाला अखाड़े का शिविर बसाया जाता है. श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव ने बताया कि अखाड़े की धर्म ध्वजा की लंबाई 52 शक्ति पीठ और 52 मढ़ियों के आधार पर 52 हाथ लंबी होती है. फीट में यह करीब 78 फीट की होती है.

धर्मध्वजा की स्थापना देवी-देवताओं का आह्मन करके पूरे विधि विधान के साथ किया जाता है. इसके बाद सुबह-शाम अखाड़े के कोतवाल और थानापति जैसे पदाधिकारी पूजा-पाठ भोग आरती शुरू कर देंगे. मेला छावनी में धर्म ध्वजा की स्थापना के बाद ही चूल्हा जलता है और चूल्हे पर कढ़ाई चढ़ाकर भोजन प्रसाद बनाया जाता है.

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