प्रयागराज: अभी तक आपने सुना होगा कि कोई व्यक्ति खुद को जिंदा साबित करने के लिए कोर्ट-कचहरी और सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहा है. लेकिन, आज हम आपको ऐसे शख्स से मिलाते हैं जो खुद को बुजुर्ग साबित करने के लिए जूझ रहे थे. अब उनकी मेहनत रंग लाई और उनकी उम्र 60 साल से कम 40 साल से बढ़कर 80 साल हो गई. आईए जानते हैं प्रयागराज के कल्लू के 2 साल के संघर्ष की कहानी.
कहते हैं सरकारी सिस्टम गरीब-कमजोर की मदद करने और सहूलियत देने के लिए होता है. लेकिन, जब यही सिस्टम बिगड़ जाता है तो किस तरह से आम आदमी का परेशान होना पड़ता है इसकी बानगी प्रयागराज में देखने को मिली है.
जहां पर 80 साल के बुजुर्ग कल्लू को खुद को बुजर्ग साबित करने में दो साल लग गए. दो साल की जांच पड़ताल में उनकी उम्र 40 से बढ़कर 80 साल तक तो पहुंच गयी लेकिन, उनकी रोकी गई पेंशन शुरू नहीं हुई. हालांकि बुजुर्ग की शिकायत पर प्रधानमंत्री कार्यालय तक से उनकी पेंशन बहाल करने के लिए यूपी सरकार के जिम्मेदार अफसरों को निर्देश दिया गया है.
प्रयागराज के धनुपुर ब्लॉक के शाहपुर बिठौली गांव के रहने वाले 80 साल के बुजुर्ग कल्लू की उम्र को 40 बताकर सितंबर 2022 से उनको दी जाने वाली वृद्धावस्था पेंशन रोक दी गई थी. जबकि पहले, उनको पेंशन के रूप में एक हजार रुपए महीना मिलते थे. प्रयागराज के हंडिया के धनुपुर ब्लॉक के सरकारी कर्मचारियों ने ऐसा वार्षिक सत्यापन किया कि 80 साल के बुजुर्ग कल्लू की उम्र घट गई और उन्हें सरकारी दस्तावेज में 60 साल से कम 40 साल का बता दिया गया.
जिस कल्लू को चलने के लिए भी सहारे की जरूरत पड़ती है, उनकी उम्र कागज में घटकर 40 साल होने से उनकी वृद्धावस्था पेंशन तो रोक दी गई. कर्मचारियों की लापरवाही से बुजुर्ग और उनके बेटे और परिवार वालों को दो साल से कागजी लड़ाई लड़नी पड़ रही है. लेकिन, उनकी तमाम कोशिशों के बावजूद बुजुर्ग की पेंशन बहाल नहीं हो सकी है.
कल्लू के बेटे और परिवार वालों ने बताया कि अक्टूबर 2022 से वृद्धावस्था पेंशन रुकी है, जिसे बहाल करवाने के लिए उन्होंने जिला समाज कल्याण अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, जिलाधिकारी, मंडलायुक्त, मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक के यहां शिकायत कर इंसाफ की गुहार लगाई लेकिन, कुछ नहीं हुआ.
प्रयागराज से लेकर लखनऊ दिल्ली तक बुजुर्ग को बुजुर्ग साबित करने के लिए गुहार लगाई गई तो जिले के अफसर हरकत में आए और पुनः कल्लू की उम्र की सत्यापन के लिए जांच शुरू हुई. ब्लॉक के अलावा जिला स्तर के अफसरों की जांच में कल्लू की उम्र फिर से 80 साल साबित हो गई और उनकी पेंशन बहाली के लिए आदेश जारी किया गया लेकिन, उसके बाद भी अभी तक कल्लू के खाते में पेंशन की रकम नहीं पहुंची है.
पीएम ऑफिस से कल्लू के बेटे को दी गई जानकारी में बताया गया है कि 10 अक्टूबर को लखनऊ में मुख्यमंत्री सचिवालय में तैनात ज्वाइंट सेक्रेटरी भाष्कर पांडेय के पास आगे की कार्रवाई के लिए भेजा गया है. लेकिन, पीएम ऑफिस के इस निर्देश के 15 दिन बाद भी कल्लू को पेंशन नहीं मिली है.
दो साल से ज्यादा समय से सरकार की तरफ से मिलने वाली पेंशन का इंतजार कर रहे बुजुर्ग कल्लू को आज भी पेंशन आने का इंतजार है. सरकारी सिस्टम में उन्हें जवान बनाने वाले लापरवाह कर्मियों पर तंज कसते हुए बुजुर्ग कल्लू ने कहा कि कागज में उन्हें जवान बनाने वाले अगर सच में उनकी उम्र कर दें तो वो खुद से कमा लेंगे और उन्हें किसी पेंशन की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जो लोग इस तरह से कागज में हेरफेर करके लोगों के साथ इस तरह की हरकत करते हैं, ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
कल्लू के बेटे सभाजीत ने बताया कि 13 सितंबर 2022 को विकास खंड धनुपुर के कर्मचारियों ने सत्यापन करके कल्लू को जवान बता दिया. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कल्लू की उम्र 60 साल से कम बताते हुए उन्हें अपात्र घोषित करके वृद्धावस्था पेंशन निरस्त कर दिया गया था. कर्मचारियों की रिपोर्ट पर कल्लू की उम्र 40 साल कर दी गई जिससे उनकी पेंशन रोक दी गयी.
जिसके बाद से कल्लू के बेटे सभाजीत ने पिता की उम्र को लेकर इंसाफ की लड़ाई शुरू कर दी. जिसका नतीजा हुआ कि पूरे मामले की पुनः जांच हुई और उसके बाद फिर से सत्यापन हुआ तो उनके पिता की सही उम्र फिर से बतायी गयी. लेकिन सभाजीत के द्वारा इस मामले को लेकर डीएम की चौखट से लेकर सीएम और पीएम ऑफिस तक इस मामले को पहुंचाया. जिसके बाद सिस्टम के अफसर हरकत में आए और उनके पिता की सही उम्र फिर से कागजों में दर्ज हुई.
सभाजीत का कहना है कि यह लड़ाई सिर्फ वो अपने पिता के लिए ही नहीं लड़ रहे हैं. इस तरह के बहुत मामले होते हैं लेकिन सरकारी कर्मियों की इस हरकत के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाता है. इसी कारण उन्होंने न सिर्फ इस मुद्दे को उठाया बल्कि इस तरह से सत्यापन करने वाले कर्मियों का पता लगाकर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. जिससे ऐसे कर्मियों को सबक मिले और वो दूसरों के साथ ऐसा न करें.
कल्लू की उम्र कम बताकर जब उनकी पेंशन बंद करने की जानकारी शाहपुर बिठौली गांव वासियों को हुई तो वो भी सिस्टम को कोसते नजर आए. इसी गांव के रहने वाले गोपाल सिंह का कहना है कि बुजुर्ग कल्लू को पेंशन तत्काल मिलनी शुरू होनी चाहिए. इसके साथ उन्होंने कल्लू के बेटे सभाजीत की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि सरकारी कर्मियों की इसी तरह की हरकतों की वजह से सरकार की बदनामी होती है. इसलिए सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
प्रयागराज की जिला समाज कल्याण अधिकारी प्रज्ञा पांडेय ने बताया कि सत्यापन में कल्लू की उम्र कम बताई गई थी, जिसके बाद उनकी पेंशन रोक दी गई थी. लेकिन, उम्र का गलत सत्यापन होने की जानकारी मिलने के बाद बीडीओ समेत जिला स्तर के अधिकारियों से मामले की जांच करवाई गई.
जांच में कल्लू को पात्र पाए जाने के बाद उनकी पेंशन को बहाल करने का आदेश जारी कर दिया गया था. ब्लॉक और जिला स्तर से उनकी पेंशन बहाली का आदेश निदेशालय को भेजा जा चुका है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि जल्द ही कल्लू के खाते में उनकी पेंशन की रकम पहुंच जाएगी.
कितनी मिलती है वृद्धावस्था पेंशन: यूपी में वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत 60 साल से 79 साल के बुजुर्गों को 1000 रुपए मिलते हैं, जिसमें 800 रुपए राज्य सरकार की ओर से दिया जाता है और 200 रुपए केंद्र सरकार देती है. वहीं, 80 साल या उससे ज्यादा उम्र वाले बुजुर्गों को 500 रुपए राज्य सरकार और 500 रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं.
ये भी पढ़ेंः यूपी की डिब्बे वाली दीदी; 4 करोड़ का कारोबार, 400 महिलाओं को नौकरी, कभी साइकिल से दुकान-दुकान जाती थीं ऑर्डर लेने