चित्तौड़गढ़. शक्ति, भक्ति और त्याग की धरा चित्तौड़गढ़ में मेवाड़ क्षत्रिय सेना द्वारा वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप की 484वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई. कार्यक्रम की शुरुआत जोहर भवन से हुई, जहां से वाहन रैली रवाना की गई.
समाज सेवी हर्षवर्धन सिंह रूद, क्षत्रिय महासभा के महामंत्री भवानी प्रताप सिंह ताणा ने केशरिया झंडी दिखाकर रैली को रवाना किया. वाहन रैली शहर के मुख्य मार्गों से गुजरती हुई जिला कलेक्टर निवास के बाहर प्रताप पार्क पहुंची. जहां महाराणा प्रताप प्रतिमा को माल्यार्पण के पश्चात सभा आयोजित की गई. मेवाड़ क्षेत्र महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष अशोक सिंह मुख्य वक्ता थे.
उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास का वो कालखंड जब देश संक्रमण काल से गुजर रहा था. सनातन संस्कृति व धर्म पर खतरे के बादल मंडरा रहे थे. बड़ी-बड़ी सभ्यताएं व संस्कृति, साम्राज्य कुछ आतताइयों द्वारा मिटाये जा रहे थे. उन विषम परिस्थितियों में कोई एक राजा खड़ा था, जो स्वाभिमान का पुष्प पुंज जला रहा था. वे थे मेवाड़ के महाराणा प्रताप, जिन्होंने देश को स्वाभिमान व स्वातंत्र्य प्रेम की भावना जागृत की. जिसका परिणाम ही था कि देश की आजादी के लम्बे संघर्ष में स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों के लिए प्रताप आदर्श रहे.
इतिहासकार प्रो लोकेंद्र सिंह ज्ञान गढ़ ने प्रताप के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला. स्वामी सुदर्शनाचार्य गोपाल-आश्रम बड़ीसादड़ी भी मन्चासीन थे. मुख्य अतिथि रावत युगप्रदीप सिंह हमीरगढ़ थे. अतिथियों के रूप में मेवाड़ क्षत्रिय महासभा के केन्द्रीय महामंत्री भवानी प्रताप सिंह ताणा व बस्सी रावत यशवर्धन सिंह थे. मेवाड़ क्षत्रिय सेना के संरक्षक बलवीर सिंह बाबरा व लाल सिंह भाटी आदि भी मौजूद रहे. मेवाड़ क्षत्रिय सेवा के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह पुठोली, जयपाल सिंह चंदेरिया, जौहर स्मृति संस्थान के उपाध्यक्ष निर्मला राठौड़ भी मौजूद रहीं. पूर्व पदाधिकारी कान सिंह सुवावा ने बताया कि वाहन रैली और आम सभा में बड़ी संख्या में समाज के लोग शामिल थे.