पटना: प्रशांत किशोर जन सुराज के माध्यम से 2025 विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत दिखाएंगे. इस साल 2 अक्टूबर को विधिवत रूप से पार्टी की घोषणा भी कर देंगे. जन सुराज का संविधान बनाने के लिए समिति का भी गठन कर दिया गया है. जन सुराज पार्टी के बैनर तले एक करोड़ संस्थापक सदस्य को जोड़ने की तैयारी है.
2 अक्टूबर को विधिवत करेंगे पार्टी की घोषणा: राजनीतिक विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि प्रशांत किशोर जिस प्रकार से पदयात्रा के बाद पार्टी का गठन कर रहे हैं, विधानसभा चुनाव में न केवल बीजेपी की बल्कि लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की नींद उड़ाने वाले हैं. बता दें कि देश के जाने-माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जन सुराज अभियान 2 अक्टूबर 2022 से शुरू की थी. अब जन सुराज पदयात्रा 2 अक्टूबर 2024 को एक राजनीतिक पार्टी का स्वरूप लेगी.
तीन प्रस्तावों पर लगी मुहर: अभी हाल ही में पटना में ज्ञान भवन में जन सुराज अभियान की बैठक हुई थी जिसमें तीन प्रस्ताव पर मुहर लगी है. जिसमें कहा गया है कि 2 अक्टूबर 2024 को पार्टी की घोषणा की जाएगी. जन सुराज बिहार के सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगा और जन सुराज समाज के सभी वर्गों को उनकी संख्या के हिसाब से संगठन और टिकट में भागीदारी सुनिश्चित करेगा.
बीजेपी और लालू -नीतीश को टक्कर: राजनीतिक विशेषज्ञ सुनील पांडेय का कहना है कि प्रशांत किशोर पिछले कई सालों से नेताओं के लिए काम कर रहे थे. 2014 में प्रधानमंत्री बनने के लिए नरेंद्र मोदी के लिए भी काम किया है. नरेंद्र मोदी के अलावा ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल, जगन रेड्डी, अखिलेश यादव सहित कई नेताओं के लिए काम किया और उन्हें मुख्यमंत्री बनाने में बड़ी भूमिका निभाई.
"राजनीतिक दलों और नेताओं के साथ काम करते हुए उनकी ताकत को प्रशांत किशोर ने देखा है. बिहार में कुछ करना चाहते हैं और इसलिए 2 साल से गांव-गांव घूम रहे हैं तो उनकी अच्छी पहल है. लोगों के बीच उनके मुद्दों को रखते हैं. शिक्षा, रोजगार, गरीबी जैसे मुद्दों को उठाते हैं."- सुनील पांडेय, राजनीतिक विशेषज्ञ
'लोगों से कनेक्ट होने की PK की कोशिश': एक्सपर्ट के अनुसार पीके बीजेपी, लालू, नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव पर हमला भी बोलते हैं. यहां तक की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी हमला करने में पीछे नहीं हैं तो जनता से 2 सालों से कनेक्ट करने की कोशिश कर रहे हैं. अब राजनीतिक पार्टी बनाकर विधानसभा चुनाव में लोगों के बीच जाएंगे. समस्याओं के समाधान करने की बात प्रशांत किशोर कर रहे हैं. हालांकि बिहार के प्रमुख दलों की मुश्किल जरूर पीके बढ़ा देंगे क्योंकि लोगों के लिए एक नया विकल्प होगा.
महिला और युवा वर्ग पर नजर: ऐसे तो प्रशांत किशोर 2 अक्टूबर को 2 साल की यात्रा पूरी कर लेंगे और लगातार घोषणा भी कर रहे हैं 243 सीटों में से 75 सीट अति पिछड़ा को देंगे. 15000 तक की नौकरी बिहार में ही लोगों को उपलब्ध कराएंगे और 60 साल से अधिक महिला पुरुष को को ₹2000 पेंशन देंगे. प्रशांत किशोर की यह शुरुआती घोषणा के रूप में देखा जा रहा है लेकिन आने वाले समय में जब पार्टी का गठन हो जाएगा तो प्रशांत किशोर कई लोक लुभावना घोषणा करेंगे और उसे कैसे पूरा करेंगे उसके बारे में ही बताएंगे. ऐसे में बीजेपी जैसे दलों के लिए मुश्किलें तो बढ़ेगी ही साथ ही पिछले चार दशक से बिहार में सत्ता में मुख्य भूमिका निभा रहे लालू नीतीश के लिए भी राह कठिन करेंगे.
"जैसे दही को मथ के मक्खन निकालते हैं वैसे ही समाज को पूरा बिहार को मथ के ऐसे लोगों को निकालेंगे जिसको आपके आशीर्वाद और वोट से जिताकर लाएंगे और बिहार में जनता का राज बनाएंगे. दो साल में जनता का राज होगा. नाली गली स्कूल अस्पताल से पहले बाहर गए लोगों को वापस बुलाएंगे. बिहार में ही सबके रोजी रोजगार का व्यवस्था किया जाएगा."- प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज
'बिहार में नहीं होगा फायदा'- RJD: बिहार की प्रमुख राजनीतिक दल राजद के नेता प्रशांत किशोर को लगातार भाजपा का बी टीम बता रहे हैं और यह भी कह रहे हैं कि "बिहार की जनता प्रशांत किशोर के मंसूबा को कभी पूरा नहीं होने देगी. प्रशांत किशोर पीआर एजेंसी चलाते हैं और उसी के माध्यम से अपना माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन बिहार में उन्हें कोई लाभ मिलने वाला नहीं है."
BJP-JDU का तर्क: वहीं भाजपा और जदयू के नेता भी कर रहे हैं कि प्रशांत किशोर पार्टी बनाने की घोषणा की है तो लोकतंत्र में सब को चुनाव लड़ने का हक है, फैसला तो जनता करेगी. भाजपा प्रवक्ता राकेश कुमार सिंह का कहना है कि नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार ने जो काम किया है, जनता दोनों पर विश्वास करती है.इसलिए दूसरे किसी के लिए स्पेस बिहार में नहीं है , लेकिन कोई प्रयास करना चाहता है तो उसे कैसे कोई रोक सकता है.
"प्रशांत किशोर बिहार की समस्याओं को पिछले दो सालों में और उससे पहले भी नजदीक से देखा है जाना है. ऐसे में कोई भी दल प्रशांत किशोर को हल्के में लेगा ऐसा लगता नहीं है. क्योंकि प्रशांत किशोर जिस प्रकार से काम करते हैं और रिजल्ट देते हैं सबको पता है कि राजनीति में भी चौंकाएंगे. प्रशांत किशोर जाति के बंधन को तोड़कर गरीबी को मुद्दा बना रहे हैं. बेरोजगार, युवा वर्ग और महिला को टारगेट कर रहे हैं, वह तो कुछ इसी दिशा में इशारा कर रहा है."- रवि अटल, वरिष्ठ पत्रकार
नीतीश कुमार ने जदयू में दो नंबर की कुर्सी दी थी: प्रशांत किशोर 10 सालों तक चुनावी रणनीतिकार के तौर पर काम करते रहे हैं लेकिन 2 साल से बिहार में डटे हुए हैं. बिहार में 2015 में नीतीश कुमार और लालू यादव के लिए भी काम कर चुके हैं. महागठबंधन को प्रचंड बहुमत भी दिलवाया था. बाद में नीतीश कुमार ने जदयू में प्रशांत किशोर को दो नंबर की कुर्सी भी सौंप दी और पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया.
नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर के संबंध काफी बेहतर बन गए थे और उस समय तो चर्चा यह भी थी कि प्रशांत किशोर नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी बनेंगे, लेकिन पार्टी के अंदर विवाद होने के बाद प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार और जदयू से दूरी बना ली. उसके बाद प्रशांत किशोर के कई दलों के साथ जुड़ने की चर्चा होती रही. लेकिन प्रशांत किशोर को बिहार को ही अपनी राजनीतिक पारी को आगे बढ़ाने के लिए चुना और अब पार्टी की विधिवत घोषणा करने वाले हैं और चुनाव में भी ताकत आजमाने वाले हैं.
क्या जनता करेगी विश्वास?: ऐसे तो चर्चा पहले यह भी थी कि प्रशांत किशोर एक दर्जन से अधिक लोकसभा सीटों पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे लेकिन लोकसभा चुनाव से प्रशांत किशोर ने पूरी तरह से दूरी बना ली. यहां तक कि किसी का समर्थन तक नहीं किया. उससे पहले विधान परिषद चुनाव में जरूर उनके समर्थित उम्मीदवार चुनाव जीत चुके हैं लेकिन विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर पूरी तैयारी के साथ उतरने वाले हैं और लोगों को एक तरह से विकल्प देने वाले हैं. अब देखना है बिहार की जनता प्रशांत किशोर पर कितना विश्वास करती है.
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