लखनऊ : उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दरें बढ़ाने से फिलहाल अपने कदम पीछे खींच लिए हैं. अब बिजली दरें बढ़ाने के लिए पावर कॉरपोरेशन नियामक आयोग में अपना पक्ष रखने के मूड में नहीं है. पावर कारपोरेशन के इस कदम पर उपभोक्ता परिषद का कहना है कि अच्छी बात है कि पावर कॉरपोरेशन बिजली दरें बढ़ाने से खुद ही पीछे हट गया. उपभोक्ता परिषद उपभोक्ताओं की बिजली दरें कम कराने के लिए नियामक आयोग में अपनी लड़ाई जारी रखेगा.
पीछे हटा कॉरपोरेशन
प्रदेश की बिजली कंपनियों ने वर्ष 2024 -25 के लिए दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) को विद्युत नियामक आयोग की तरफ से स्वीकार किए जाने के बाद एआरआर से संबंधित आंकड़े सभी समाचार पत्रों में प्रकाशित करा दिए. आयोग के आदेशानुसार बिजली कंपनियों को गैप व सरप्लस के एवज में बिजली दर प्रस्ताव अलग-अलग श्रेणीवार भी समाचार पत्रों में प्रकाशित करनी थे, लेकिन ऐन मौके पर कंपनियों ने बिजली दरों में न तो वर्ष 2024- 25 के गैप 11,203 करोड़ के एवज में बढ़ोतरी प्रस्ताव दाखिल किया और न ही सरप्लस 33,122 करोड़ के एवज में दरों में कमी यानी घटोतरी का ही प्रस्ताव समाचार पत्रों में प्रकाशित कराया. इसका सीधा सा मतलब है कि पॉवर कॉर्पोरेशन पीछे हट गया. विद्युत नियामक आयोग में यह दाखिल कर दिया कि जो गैप है, उस पर विद्युत नियामक आयोग स्वत: उचित निर्णय ले ले. यानी कि प्रदेश की बिजली कंपनियां पिछले दरवाजे से गैप के एवज में बिजली दरों में बढ़ोतरी विद्युत नियामक आयोग से कराना चाहती हैं, जो कि संभव नहीं है.
दरों में कमी नहीं चाहतीं कंपनियां
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार, सदस्य बीके श्रीवास्तव व संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर एक जनहित प्रस्ताव सौंपा. मांग उठाई कि नियमानुसार बिजली कंपनियां बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव समाचार पत्रों में नहीं दे सकतीं, क्योंकि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का सरप्लस 33,122 करोड़ निकल रहा है. बिजली कंपनियां दरों में कमी कराना ही नहीं चाहतीं इसलिए कमी का प्रस्ताव भी नहीं दाखिल किया है.
आयोग दे उपभोक्ताओं को छूट
अब विद्युत नियामक आयोग से दरों में बढोतरी चाहती हैं जो उपभोक्ता परिषद होने नहीं देगा. अब विद्युत नियामक आयोग रेगुलेटरी प्रक्रिया के तहत एक स्वतंत्र संस्था होने के नाते आयोग स्वत: निकाले गए उपभोक्ताओं के सरप्लस 33,122 करोड़ के एवज में एकमुश्त 40 प्रतिशत या बिजली कंपनियों की आर्थिक स्थिति सही न होने के कारण अगले पांच वर्षों तक आठ प्रतिशत रेगुलेटरी लाभ उपभोक्ताओं को दे. जैसे नोएडा पावर कंपनी में उपभोक्ताओं के सरप्लस के एवज में पिछले दो वर्षों से 10 प्रतिशत का रेगुलेटरी लाभ यानी छूट दी जा रही है.