लखनऊ : लगभग 5000 करोड़ रुपये की लागत से बनाई गई आउटर रिंग रोड लखनऊ के सांसद और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का ड्रीम प्रोजेक्ट रही है. मार्च में इसका लोकार्पण किया गया, मगर 5 महीने बाद अगस्त में ही इसकी हालत खस्ता हो गई है. सीतापुर रोड से देवां रोड के बीच करीब 28 किमी तक सैकड़ों बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं. पहले तेज मानसून में ही भ्रष्टाचार की परतें उतरने लगी हैं. भारी वाहनों का बोझ और बारिश का पानी जमा होने के चलते ठेकेदार-अफसर मिलीभगत का स्पष्ट नमूना आउटर रिंग रोड पर नजर आने लगा है. कई जगहों पर अभी एप्रोच रोड नहीं बन सकी है. आउटर रिंग रोड की कमियों को लेकर जब NHAI के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र में अधिक गड्ढे हैं, वहां काम 2022 में पूरा हो चुका था. फिर भी मरम्मत का काम करवाया जा रहा है. बहुत जल्दी ही मरम्मत कर ली जाएगी. संबंधित ठेकेदार एजेंसी के खिलाफ भी कार्रवाई की बात की जा रही है.
2016 में शुरू हुआ था निर्माण, इस साल मार्च में लोकार्पण : 104 किलोमीटर लंबे आउटर रिंग रोड का निर्माण साल 2016 में शुरू किया गया था. जिसमें 10 किलोमीटर का हिस्सा राज्य लोक निर्माण विभाग ने बनाया था. देवां रोड से सुल्तानपुर रोड के बीच में अखिलेश यादव की सरकार में बनाए गए इस हिस्से को किसान पथ का नाम दिया गया था. बाकी 94 किलोमीटर का निर्माण भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने किया था. 8 साल बाद विगत मार्च में इसका लोकार्पण किया गया था.
कुछ उल्लेखनीय विशेषताएं इस प्रकार हैं: यह सड़क पांच राष्ट्रीय और छह राज्य राजमार्गों को जोड़ती है, जिनमें सुल्तानपुर रोड, रायबरेली रोड, हरदोई रोड, कानपुर रोड, अयोध्या रोड और सीतापुर रोड शामिल हैं. यह बाराबंकी, गोरखपुर, अयोध्या, सीतापुर, गोंडा, हरदोई, कानपुर, वाराणसी, रायबरेली, सुल्तानपुर जाने वाले यात्रियों के लिए यात्रा की सुविधा दे रही है और कुल 43 गांवों को जोड़ेगी.
जगह-जगह से उखड़ने लगी सड़क : उच्च स्तरीय निर्माण गुणवत्ता का दावा किये जाने के बावजूद आउटर रिंग रोड में जगह-जगह सड़क उखड़ रही है. काफी जगह पर गड्ढे नजर आ रहे हैं. खासतौर पर रात के वक्त यह दिक्कत और अधिक बढ़ रही है. इसके अतिरिक्त सड़क पर बेसहारा पशुओं को रोकने की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई. दावा किया जा रहा है कि जगह-जगह जालियां लगाई गई हैं. मगर स्थानीय लोगों ने जालियां काट दी हैं, जिससे जानवर सड़क पर आ रहे हैं.
NHAI के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सौरभ चौरसिया ने बताया कि जिस जगह पर सबसे अधिक गड्ढे हैं, वह काम 2022 में पूरा हो चुका था. हम मेंटेनेंस का काम करवा रहे हैं और कंपनी के खिलाफ सख्ती भी कर रहे हैं. कहा कि जहां तक बेसहारा पशुओं का विषय है तो इसमें प्रशासन की जिम्मेदारी अधिक है. हमने कई जगह पर निकास पर जालियां लगवाई थीं. स्थानीय लोगों ने यह तोड़ दीं. कहा कि बारिश की वजह से मरम्मत का काम कुछ प्रभावित है. मगर जल्द ही पूरी सड़क निर्बाध कर दी जाएगी.