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झारखंड-बिहार सीमा पर टीएसपीसी की मदद से पोस्ता की खेती! पहली बार संगठन ने किया पुलिस पर घात लगाकर हमला

Poppy cultivation with help of TSPC. झारखंड बिहार सीमा पर टीएसपीसी की मदद से पोस्ता की खेती की जा रही है. ऐसा पहली बार हुआ है कि टीएसपीसी ने पुलिस पर घात लगाकर हमला किया हो. माना जा रहा है कि माओवादियों से नजदीकीके बाद टीपीसी ने ऐसा कदम उठाया है.

Poppy cultivation with help of TSPC
Poppy cultivation with help of TSPC
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 7, 2024, 10:17 PM IST

Updated : Feb 8, 2024, 6:07 AM IST

पलामू: झारखंड बिहार सीमावर्ती इलाके में प्रतिबंधित नक्सली संगठन तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी की मदद से पोस्ता की खेती हो रही है. इसका खुलासा पुलिस की जांच में पहले ही हो चुका है. बुधवार की शाम चतरा के जोरी थाना क्षेत्र में टीएसपीसी के नक्सलियों ने घात लगाकर पुलिस टीम पर हमला किया है, इस हमले में पुलिस के दो जवान शहीद हुए हैं जबकि तीन घायल हुए हैं. इनमें से एक की हालत गंभीर है. पुलिस की टीम पोस्ता की खेती नष्ट कर वापस लौट रही थी, इसी क्रम में टीएसपीसी के नक्सलियों ने हमला किया था.

पलामू चतरा और लातेहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर पोस्ट की खेती होती है. खेती का यह दायरा बिहार से सटे हुए सीमावर्ती इलाकों में भी है. जिस इलाके में सबसे पहले पोस्ता की खेती हो रही है वह इलाका टीएसपीसी का प्रभाव वाला इलाका है. पुलिस की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है की पोस्ता की खेती से टीएसपीसी को बड़े पैमाने पर लेवी की रकम मिलती है.

टीएसपीसी प्रभाव वाले इलाके से पोस्ता की खेती की हुई थी शुरुआत: 2009-10 में सबसे पहले पलामू चतरा सीमावर्ती क्षेत्रों में टीएसपीसी के प्रभाव वाले इलाके में पोस्ता की खेती की शुरुआत हुई. पोस्ता की खेती की शुरूआत चतरा का लावालौंग, पलामू के पिपराटांड़ के इलाके से हुई थी. दोनों इलाका टीएसपीसी का गढ़ रहा है और इसी इलाके से इसका जन्म भी हुआ है. पोस्ता की खेती करवाने के आरोप में कई टीएसपीसी के नक्सली भी पहले गिरफ्तार हो चुके.

पोस्ता की खेती नष्ट करने के दौरान पहली बार हुआ है हमला: पुलिस दिसंबर से लेकर मार्च के महीने तक अवैध पोस्ता की खेती के खिलाफ प्रत्येक वर्ष अभियान चलाती है. सैकड़ों एकड़ में लगे पोस्ता की फसल को नष्ट किया जाता है. यह अभियान पलामू, चतरा, लातेहार के साथ साथ बिहार से सटे सीमावर्ती इलाके में चलाया जाता है. पोस्ता की खेती नष्ट करने के दौरान पुलिस पर हमला का इतिहास नहीं रहा है. चतरा घटना पहली घटना है जब पोस्ता की फसल नष्ट कर रही टीम पर नक्सलियों ने हमला किया है.

माओवादियों से टीएसपीसी की बढ़ी है नजदीकी , दोनों हुए हैं कमजोर: पलामू पुलिस ने हाल की दिनों में एक डॉक्टर को गिरफ्तार किया था. बाद में पुलिस ने डॉक्टर को रिमांड पर लिया और पूछताछ की. डॉक्टर टीएसपीसी और माओवादी के टॉप कमांडरों का इलाज करता था. गिरफ्तार डॉक्टर ने पलामू पुलिस के अधिकारियों को बताया कि माओवादी और टीएसपीसी नजदीकी आए हैं. दोनों के कमांडर एकजुट हो गए हैं और इलाके में लेवी वसूलने की योजना तैयार की है. डॉक्टर ने बताया कि दोनों कमजोर हुए हैं इस लिए एकजुट हो रहे हैं, दोनों हथियार समेत कई तकनीक को साझा कर रहे हैं. माओवादी के टॉप कमांडर मनोहर गंझू और टीएसपीसी के टॉप कमांडर आक्रमण गंझू के माध्यम से दोनों संगठन एकजुट हो रहे हैं.

टीएसपीसी द्वारा पुलिस पर घात लगाकर हमला करने का नहीं इतिहास: प्रतिबंधित नक्सली संगठन तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी द्वारा पुलिस पर कभी भी घात लगाकर हमला करने का इतिहास नहीं रहा है. चतरा घटना पहली ऐसी घटना है जब टीएसपीसी के हमले में दो जवान शहीद हुए है. पलामू और चतरा में पिछले एक दशक के दौरान दर्जनों बार टीएसपीसी और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुआ है. इन मुठभेड़ में कभी भी पुलिस या सुरक्षाबलों को नुकसान नहीं हुआ है. चतरा घटना इस बात की ओर इशारा करती है की माओवादियों की टीएसपीसी की नजदीकी बढ़ी है.

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पलामू चतरा और लातेहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर पोस्ट की खेती होती है. खेती का यह दायरा बिहार से सटे हुए सीमावर्ती इलाकों में भी है. जिस इलाके में सबसे पहले पोस्ता की खेती हो रही है वह इलाका टीएसपीसी का प्रभाव वाला इलाका है. पुलिस की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है की पोस्ता की खेती से टीएसपीसी को बड़े पैमाने पर लेवी की रकम मिलती है.

टीएसपीसी प्रभाव वाले इलाके से पोस्ता की खेती की हुई थी शुरुआत: 2009-10 में सबसे पहले पलामू चतरा सीमावर्ती क्षेत्रों में टीएसपीसी के प्रभाव वाले इलाके में पोस्ता की खेती की शुरुआत हुई. पोस्ता की खेती की शुरूआत चतरा का लावालौंग, पलामू के पिपराटांड़ के इलाके से हुई थी. दोनों इलाका टीएसपीसी का गढ़ रहा है और इसी इलाके से इसका जन्म भी हुआ है. पोस्ता की खेती करवाने के आरोप में कई टीएसपीसी के नक्सली भी पहले गिरफ्तार हो चुके.

पोस्ता की खेती नष्ट करने के दौरान पहली बार हुआ है हमला: पुलिस दिसंबर से लेकर मार्च के महीने तक अवैध पोस्ता की खेती के खिलाफ प्रत्येक वर्ष अभियान चलाती है. सैकड़ों एकड़ में लगे पोस्ता की फसल को नष्ट किया जाता है. यह अभियान पलामू, चतरा, लातेहार के साथ साथ बिहार से सटे सीमावर्ती इलाके में चलाया जाता है. पोस्ता की खेती नष्ट करने के दौरान पुलिस पर हमला का इतिहास नहीं रहा है. चतरा घटना पहली घटना है जब पोस्ता की फसल नष्ट कर रही टीम पर नक्सलियों ने हमला किया है.

माओवादियों से टीएसपीसी की बढ़ी है नजदीकी , दोनों हुए हैं कमजोर: पलामू पुलिस ने हाल की दिनों में एक डॉक्टर को गिरफ्तार किया था. बाद में पुलिस ने डॉक्टर को रिमांड पर लिया और पूछताछ की. डॉक्टर टीएसपीसी और माओवादी के टॉप कमांडरों का इलाज करता था. गिरफ्तार डॉक्टर ने पलामू पुलिस के अधिकारियों को बताया कि माओवादी और टीएसपीसी नजदीकी आए हैं. दोनों के कमांडर एकजुट हो गए हैं और इलाके में लेवी वसूलने की योजना तैयार की है. डॉक्टर ने बताया कि दोनों कमजोर हुए हैं इस लिए एकजुट हो रहे हैं, दोनों हथियार समेत कई तकनीक को साझा कर रहे हैं. माओवादी के टॉप कमांडर मनोहर गंझू और टीएसपीसी के टॉप कमांडर आक्रमण गंझू के माध्यम से दोनों संगठन एकजुट हो रहे हैं.

टीएसपीसी द्वारा पुलिस पर घात लगाकर हमला करने का नहीं इतिहास: प्रतिबंधित नक्सली संगठन तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी द्वारा पुलिस पर कभी भी घात लगाकर हमला करने का इतिहास नहीं रहा है. चतरा घटना पहली ऐसी घटना है जब टीएसपीसी के हमले में दो जवान शहीद हुए है. पलामू और चतरा में पिछले एक दशक के दौरान दर्जनों बार टीएसपीसी और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुआ है. इन मुठभेड़ में कभी भी पुलिस या सुरक्षाबलों को नुकसान नहीं हुआ है. चतरा घटना इस बात की ओर इशारा करती है की माओवादियों की टीएसपीसी की नजदीकी बढ़ी है.

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Last Updated : Feb 8, 2024, 6:07 AM IST
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