भीलवाड़ा : जिले की निवासी पूर्वा जिंदल ने एमबीए तक की पढ़ाई पूरी की और परिवार के पुस्तैनी कपड़ा उद्योग में काम करना शुरू किया, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान कपड़ा उद्योग पर प्रभाव पड़ा और इस दौरान उनका ध्यान जैविक खेती की ओर गया. आज पूर्वा जिंदल "जियो जहर मुक्त जीवन" के सिद्धांत पर जैविक खेती करके लाखों रुपए की कमाई कर रही हैं. उनका उद्देश्य शुद्ध और स्वच्छ खेती करना है.
पूर्वा जिंदल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बताया कि उन्होंने मुंबई से अपनी एमबीए की पढ़ाई पूरी की और 2017 में अपने पिता के कपड़ा उद्योग में काम करना शुरू किया, लेकिन 2020 में कोरोना महामारी के कारण उनका कपड़ा उद्योग बंद हो गया. इसके बाद महामारी के दौरान पूर्वा ने अपने परिवार से प्रेरित होकर जैविक खेती की दिशा में कदम बढ़ाया. उन्होंने भीलवाड़ा शहर से लगभग 22 किलोमीटर दूर हमीरगढ़ कस्बे के पास 10 एकड़ बंजर भूमि को समतल कर जैविक खेती शुरू की. यहां उन्होंने खेती के लिए बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति का इस्तेमाल किया और गाय पालन करके गोबर से वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाई. साथ ही, गाय के गौमूत्र से जैविक दवाइयां भी बनाई.
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पूर्वा जिंदल ने बताया कि उनका फार्म सर्दी, गर्मी और वर्षा ऋतु के अनुसार विभिन्न प्रकार की सब्जियों (जैसे भिंडी, ग्वार फली, तोरई, करेला, पालक, गाजर, मटर, धनिया, शलजम, शकरकंद) की खेती कर रहा है. इसके अलावा, उन्होंने दो ग्रीन हाउस भी स्थापित किए हैं, जिनसे आने वाले समय में और अधिक उत्पादन होगा. पूर्वा ने बताया कि पहले वर्ष में उन्होंने दो से तीन एकड़ में सब्जियों की खेती की, जिसमें उन्हें अच्छी उपज मिली. इसके बाद उन्होंने पूरी 10 एकड़ भूमि पर जैविक खेती शुरू की, जिसमें सब्जियों और अनाज का उत्पादन किया जा रहा है. यहां पर अब पूर्वा सर्दियों में स्ट्रॉबेरी भी उगा रही हैं, जो इस क्षेत्र में सामान्यत: नहीं उगाई जाती है, लेकिन उन्होंने सफलतापूर्वक इसका उत्पादन शुरू किया है.
ऑनलाइन बाजार में बिक्री : पूर्वा जिंदल अपनी जैविक उपज को ऑनलाइन बेचने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप का उपयोग करती हैं, जिसमें उन्होंने 1000 से अधिक लोगों को जोड़ा है. इस ग्रुप में प्रतिदिन उन सब्जियों और फलों के बारे में जानकारी साझा की जाती है, जो ताजे उगाए गए हैं. ग्राहक उन्हें ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं और उनके द्वारा ताजे उत्पाद सीधे उनके घर तक पहुंचाए जाते हैं, जिससे बाजार के मुकाबले ग्राहकों को बेहतर पदार्थ मिलता है.
गाय के घी की बिक्री : पूर्वा ने अपने फार्म पर देसी गायों का पालन भी किया है. वह गाय का दूध नहीं बेचतीं, बल्कि उससे मक्खन बनाकर घी तैयार करती हैं. इस देसी घी को 2000 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है और इसकी भारी मांग है. साथ ही उन्होंने अन्य किसानों से भी जैविक उत्पाद लेकर रसोई का पैकेज तैयार किया है, जिसे वह बाजार में बेचती हैं.
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किसानों के लिए संदेश : पूर्वा जिंदल ने किसानों को संदेश देते हुए कहा कि केमिकल खादों से उपज भले ही अच्छी हो सकती है, लेकिन लंबे समय में यह जमीन को खराब कर सकती है. उन्होंने किसानों को जैविक खेती अपनाने की सलाह दी, जिसमें गोबर से बनी खाद और गाय के गौमूत्र से बनी दवाइयां उपयोग में लाकर अधिक उपज हासिल की जा सकती है. उनका मानना है कि आने वाले समय में केमिकल से उगाई गई सब्जियों की मांग घटेगी और इससे न सिर्फ जमीन खराब होगी, बल्कि लोगों की हेल्थ भी प्रभावित हो सकती है.
जीरो केमिकल खेती : पूर्वा ने बताया कि उनका फार्म "जीरो केमिकल" के सिद्धांत पर काम कर रहा है. उन्होंने कहा, "हमारे फार्म पर कई कंसल्टेंट्स ने केमिकल छिड़काव की सलाह दी, लेकिन हम जैविक खेती को प्राथमिकता देते हैं. 2021 से हम ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं और हमारा उद्देश्य जीवनभर जैविक खेती करना है." पूर्वा ने बताया कि उनके फार्म से सालाना 20 से 25 लाख रुपए की आय सब्जियों से प्राप्त होती है.