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गाजियाबाद की पूनम बनी प्यार की मिसाल, पति के पैरालाइज्ड होने पर घर संभालने के लिए बनी मेकैनिक - पूनम बनीं सच्चे प्यार की मिसाल

Valentines week 2024: आजकल जहां छोटी-छोटी बातों पर परिवार के बिखरने के मामले सामने आती हैं, वहीं गाजियाबाद की रहने वाली ऐसे लोगों को प्यार का सही मतलब समझा रही हैं. उन्होंने अपने पति के पैरालाइज्ड होने पर न सिर्फ खुद के दम पर इलाज कराया, बल्कि वाहनों के रिपेयरिंग सीखकर घर की जिम्मेदारी भी संभाली. आइए जानते हैं उनकी पूरी कहानी..

Poonam became mechanic
Poonam became mechanic
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 10, 2024, 8:11 PM IST

राकेश की पत्नी पूनम ने बताई सारी कहानी

नई दिल्ली: कहते हैं कि असली प्यार वही है, जो मुश्किल वक्त में भी साथ न छोड़े. ऐसी कहानियों के बारे में वैलेंटाइंस वीक से मुफीद समय भला क्या हो सकता है. आज हम आपको ऐसे ही एक जोड़े के बारे में बताएंगे, जिन्होंने जीवन की विषम परिस्थितियों में भी एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा. ये कहानी है गाजियाबाद के रहने वाले राजेश और पूनम की.

राजेश और पूनम की शादी 2010 में हुई थी. उस वक्त राजेश की नौकरी भी ठीक-ठाक चल रही थी, लेकिन 2018 में राजेश को पैरालिसिस अटैक आया और सबकुछ बदल गया. परिवार के लिए राशन के साथ दवाओं का इंतजाम करना भी मुश्किल हो गया. ऐसे में राजेश की पत्नी पूनम ने इसकी जिम्मेदारी उठाई. फिलहाल पेशे से मोटर मैकेनिक पूनम देवी बताती हैं कि भले ही राजेश की ज्यादा कमाई नहीं थी, लेकिन घर का खर्च चल जाता था. हम खुशी से अपना जीवन बिता रहे थे.

पति से सीखा रिपेयरिंग का काम: उन्होंने बताया कि 2018 से परिवार में परेशानियों का दौर शुरू हुआ और राजेश को पैरालिसिस होने से पूरा परिवार टूट सा गया. एक तरफ घर का खर्च चलाना मुश्किल था, वहीं दूसरी तरफ दवाओं के लिए भी पैसे नहीं थे. राजेश की अस्पताल में भर्ती होने का खर्च मैंने ब्याज पर पैसे लेकर उठाया. चंद महीने तो गुजरे तो लगा कि कुछ तो करना ही पड़ेगा. वहीं छह महीने बाद राजेश बैठने की स्थिति में आ गए. राजेश वाहनों की रिपेयरिंग का काम जानते थे, तब मैंने इसकी दुकान खोलने की सोची और राजेश से कहा कि आप मुझे ये काम सिखाइए.

दुकान में लगाई आग: इसके बाद मैं काम करती रही और लगभग तीन महीने में मुझे इतना काम आ गया कि दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो जाता था. हमारा काम भी फिर ठीक चलना शुरू हो गया. वहीं 2023 में एक बार फिर मेरे सामने मुसीबत आई, जब किसी ने दुकान में आग लगा दी, जिसमें सबकुछ तबाह हो गया. हालांकि लोगों के सहयोग से हमने अपनी दुकान दोबारा बनाई. बीते पांच सालों से पूनम अपने पति के इलाज और घर का खर्च उठा रही हैं. उनके ऊपर पति के इलाज के लिए लोन को चुकाने की भी जिम्मेदारी है.

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संभाली परिवार की जिम्मेदारी: वहीं पूनम के पति राजेश बताते हैं कि जब पैरालिसिस हुआ तो मैं अंदर से पूरी तरह से टूट गया था. मुझे ऐसा लगने लगा था कि अब मैं अपने परिवार पर बोझ बन गया हूं और कहीं मेरी पत्नी मुझे छोड़ करना चली जाए. उस वक्त में बिल्कुल गलत था. मेरी पत्नी ने न सिर्फ मेरे परिवार को संभाला, बल्कि मेरा इलाज कराने के लिए भी इंतजाम किया. अभी भी मैं ठीक से काम नहीं कर पाता हूं और दुकान पर लगभग सभी काम मेरी पत्नी ही करती है. पूनम का कहना है कि मैं अपने पति राजेश से बेहद प्यार करती हूं. अच्छा बुरा वक्त तो सबकी जिंदगी में आता है, लेकिन सच्चे प्रेमी वही होते हैं, जो मुश्किल हालात में भी एक दूसरे के साथ डटकर खड़े रहें.

यह भी पढ़ें-चॉकलेट डे पर अपने पार्टनर को दे यह खास तोहफा, रिश्तों में बढ़ जाएगी मिठास

राकेश की पत्नी पूनम ने बताई सारी कहानी

नई दिल्ली: कहते हैं कि असली प्यार वही है, जो मुश्किल वक्त में भी साथ न छोड़े. ऐसी कहानियों के बारे में वैलेंटाइंस वीक से मुफीद समय भला क्या हो सकता है. आज हम आपको ऐसे ही एक जोड़े के बारे में बताएंगे, जिन्होंने जीवन की विषम परिस्थितियों में भी एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा. ये कहानी है गाजियाबाद के रहने वाले राजेश और पूनम की.

राजेश और पूनम की शादी 2010 में हुई थी. उस वक्त राजेश की नौकरी भी ठीक-ठाक चल रही थी, लेकिन 2018 में राजेश को पैरालिसिस अटैक आया और सबकुछ बदल गया. परिवार के लिए राशन के साथ दवाओं का इंतजाम करना भी मुश्किल हो गया. ऐसे में राजेश की पत्नी पूनम ने इसकी जिम्मेदारी उठाई. फिलहाल पेशे से मोटर मैकेनिक पूनम देवी बताती हैं कि भले ही राजेश की ज्यादा कमाई नहीं थी, लेकिन घर का खर्च चल जाता था. हम खुशी से अपना जीवन बिता रहे थे.

पति से सीखा रिपेयरिंग का काम: उन्होंने बताया कि 2018 से परिवार में परेशानियों का दौर शुरू हुआ और राजेश को पैरालिसिस होने से पूरा परिवार टूट सा गया. एक तरफ घर का खर्च चलाना मुश्किल था, वहीं दूसरी तरफ दवाओं के लिए भी पैसे नहीं थे. राजेश की अस्पताल में भर्ती होने का खर्च मैंने ब्याज पर पैसे लेकर उठाया. चंद महीने तो गुजरे तो लगा कि कुछ तो करना ही पड़ेगा. वहीं छह महीने बाद राजेश बैठने की स्थिति में आ गए. राजेश वाहनों की रिपेयरिंग का काम जानते थे, तब मैंने इसकी दुकान खोलने की सोची और राजेश से कहा कि आप मुझे ये काम सिखाइए.

दुकान में लगाई आग: इसके बाद मैं काम करती रही और लगभग तीन महीने में मुझे इतना काम आ गया कि दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो जाता था. हमारा काम भी फिर ठीक चलना शुरू हो गया. वहीं 2023 में एक बार फिर मेरे सामने मुसीबत आई, जब किसी ने दुकान में आग लगा दी, जिसमें सबकुछ तबाह हो गया. हालांकि लोगों के सहयोग से हमने अपनी दुकान दोबारा बनाई. बीते पांच सालों से पूनम अपने पति के इलाज और घर का खर्च उठा रही हैं. उनके ऊपर पति के इलाज के लिए लोन को चुकाने की भी जिम्मेदारी है.

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संभाली परिवार की जिम्मेदारी: वहीं पूनम के पति राजेश बताते हैं कि जब पैरालिसिस हुआ तो मैं अंदर से पूरी तरह से टूट गया था. मुझे ऐसा लगने लगा था कि अब मैं अपने परिवार पर बोझ बन गया हूं और कहीं मेरी पत्नी मुझे छोड़ करना चली जाए. उस वक्त में बिल्कुल गलत था. मेरी पत्नी ने न सिर्फ मेरे परिवार को संभाला, बल्कि मेरा इलाज कराने के लिए भी इंतजाम किया. अभी भी मैं ठीक से काम नहीं कर पाता हूं और दुकान पर लगभग सभी काम मेरी पत्नी ही करती है. पूनम का कहना है कि मैं अपने पति राजेश से बेहद प्यार करती हूं. अच्छा बुरा वक्त तो सबकी जिंदगी में आता है, लेकिन सच्चे प्रेमी वही होते हैं, जो मुश्किल हालात में भी एक दूसरे के साथ डटकर खड़े रहें.

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