छत्तीसगढ़: आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज का अंतिम संस्कार राजनांदगांव में किया गया. संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागरजी महाराज शनिवार रात 2.30 बजे ब्रह्मलीन हो गए. पिछले तीन दिनों से उन्होंने अन्न-जल त्याग रखा था. उनके निधन से पूरे जैन समाज में शोक की लहर छा गई है. छत्तीसगढ़ में भी शोक का माहौल फैल गया.
डिप्टी सीएम अरुण साव ने जताया दुख: छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम अरुण साव ने X पर लिखा कि, "डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरि तीर्थ के राष्ट्र संत आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी के देहवासन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ है. अपने ओजस्वी ज्ञान से देश को पल्लवित करने वाले विद्यासागर जी महाराज का युग युगांतर तक स्मरण किया जाएगा. आचार्य जी के श्रीचरणों में कोटिश: नमन. ॐ शांति."
डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने मुनिश्री को दी श्रद्धांजलि: प्रदेश के डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने X पर लिखा, " मानवता, करुणा एवं त्याग की प्रतिमूर्ति परमपूज्य संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का समाधिस्थ होना अपूरणीय क्षति है.महाराज जी के विचार प्रकाश स्तंभ बनकर सदैव हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे.विनम्र श्रद्धांजलि."
भूपेश बघेल ने व्यक्त की संवेदना: छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि, "जैन मुनि आचार्य विद्यासागर जी महाराज आज के समय में बहुत बड़े संत थे. समाज को बड़ी अपूरणीय क्षति हुई है और पूरे देश को अपूरणीय क्षति हुई है. इससे पहले नवरात्र में उनका दर्शन करने मैं भी आया था. न सिर्फ जैन समाज बल्कि पूरे देश का नुकसान हुआ है."
टीएस सिंहदेव ने जताया शोक: छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने भी X पर मुनिश्री के निधन पर संवेदना व्यक्त की है. सिंहदेव ने लिखा, "जैन धर्म के संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरी तीर्थ, डोंगरगढ़ में सल्लेखना पूर्वक समाधि का समाचार समस्त जैन समाज के साथ पूरे देश और विश्व के लिए एक अपूरणीय क्षति है. आचार्य जी की शिक्षा, ज्ञान और मानव कल्याण की भावना को शत शत नमन. उनका तपस्या पूर्ण जीवन हम सभी का सदैव पथप्रदर्शक बना रहेगा."
बता दें कि आचार्य विद्यासागर जी महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक के बेलगांव जिले के सदलगा गांव में हुआ था. यहां उन्होंने 30 जून 1968 को राजस्थान के अजमेर नगर में आचार्य ज्ञान सागर महाराज से दीक्षा ली थी. आचार्य ज्ञान सागर महाराज ने उनकी कठोर तपस्या को देखते हुए उन्हें अपना आचार्य पद सौंपा था.वहीं, उनके निधन से जैन समाज सहित पूरा देश शोक में डूबा हुआ है.