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ओबीसी आरक्षण पर आर पार जारी: कांग्रेस बोली, ''विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए सरकार'' - OBC RESERVATION

''चुनाव में ओबीसी आरक्षण बहाल करने का अध्यादेश लाए सरकार हम साथ देंगे''.

Political temperature rises for OBC reservation
विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए सरकार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 19, 2025, 4:55 PM IST

रायपुर: नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सियासी पारा हाई है. निकाय और पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर कांग्रेस लगातार बीजेपी को कठघरे में खड़ा कर रही है. कांग्रेस का आरोप है कि सरकार की वर्तमान आरक्षण प्रक्रिया के चलते प्रदेश में ओबीसी वर्ग को नुकसान हुआ है. कांग्रेस की मांग है कि बीजेपी सरकार आरक्षण को रद्द कर फिर से आरक्षण प्रक्रिया पूरी करे.

''अध्यादेश लाए सरकार हम देंगे साथ'': चुनाव में ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर रायपुर के राजीव भवन में आज एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेन्द्र साहू ने कहा कि ओबीसी वर्ग के आरक्षण को बहाल किया जाए. अगर इसके लिये अध्यादेश लाना पड़े तो लाया जाए. विधानसभा का विशेष सत्र भी बुलाना पड़े तो बुलाया जाए. कांग्रेस ने कहा कि हर हाल में ओबीसी वर्ग के आरक्षण को बहाल किया जाना चाहिए.

विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए सरकार (ETV Bharat)

''ओबीसी वर्ग का आरक्षण बहाल हो'': धनेन्द्र साहू ने कहा कि पहले ओबीसी को धोखा दिया अब सामान्य वर्ग को ठगा जा रहा है. पूरे प्रदेश में सरकार के खिलाफ विरोध हो रहा तब कह रहे कि अनारक्षित वर्ग की आधा सीटों में पिछड़ा वर्ग को लड़ाएंगे. पहले तो पिछड़ों के संवैधानिक अधिकार में डाका डाला अब जले पर नमक छिड़क रहे हैं.

अनारक्षित सीटों में तो सामान्य, एससी, एसटी, ओबीसी कोई भी लड़ सकता है. जहां पर जैसी परिस्थिति होती है लोग लड़ते भी हैं. इसमें भाजपा क्या अहसान कर रही है. भाजपा का अहसान नहीं बाबा साहब के संविधान के द्वारा दिया गया आरक्षण का अधिकार ओबीसी वर्ग को चाहिए - धनेन्द्र साहू, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस

आरक्षण पर कांग्रेस की दलील: कांग्रेस का कहना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष का एक भी सीट ओबीसी के लिये आरक्षित नहीं है. नगरीय निकाय क्षेत्रों में भी ओबीसी वर्ग के आरक्षण में कटौती की गई. कांग्रेस सरकार के समय 2019-20 में जब जिलों की संख्या 27 थी तब अनुसूचित जनजाति के लिये 13, अनुसूचित जाति के लिये 3 ओबीसी के लिये 7 तथा सामान्य वर्ग के लिये 4 जिला पंचायत सीट आरक्षित रही. बीजेपी सरकार ने षड्यंत्रपूर्वक इसमें कटौती कर दी. अब जिलों की संख्या 33 हो गई लेकिन ओबीसी का आरक्षण 7 से घटकर शून्य हो गया है.

''बीजेपी ने किया है ठगने का काम'': धनेन्द्र साहू ने कहा कि प्रदेश के सभी जिला पंचायत और जनपद में जहां पहले 25 प्रतिशत सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थी, अब वहां अनुसूचित क्षेत्रों में ओबीसी आरक्षण लगभग खत्म हो गया. साय सरकार ने आरक्षण प्रक्रिया के नियमों में किए गए बदलाव से अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण पूरी तरह से खत्म हो गया है.

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''अध्यादेश लाए सरकार हम देंगे साथ'': चुनाव में ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर रायपुर के राजीव भवन में आज एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेन्द्र साहू ने कहा कि ओबीसी वर्ग के आरक्षण को बहाल किया जाए. अगर इसके लिये अध्यादेश लाना पड़े तो लाया जाए. विधानसभा का विशेष सत्र भी बुलाना पड़े तो बुलाया जाए. कांग्रेस ने कहा कि हर हाल में ओबीसी वर्ग के आरक्षण को बहाल किया जाना चाहिए.

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अनारक्षित सीटों में तो सामान्य, एससी, एसटी, ओबीसी कोई भी लड़ सकता है. जहां पर जैसी परिस्थिति होती है लोग लड़ते भी हैं. इसमें भाजपा क्या अहसान कर रही है. भाजपा का अहसान नहीं बाबा साहब के संविधान के द्वारा दिया गया आरक्षण का अधिकार ओबीसी वर्ग को चाहिए - धनेन्द्र साहू, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस

आरक्षण पर कांग्रेस की दलील: कांग्रेस का कहना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष का एक भी सीट ओबीसी के लिये आरक्षित नहीं है. नगरीय निकाय क्षेत्रों में भी ओबीसी वर्ग के आरक्षण में कटौती की गई. कांग्रेस सरकार के समय 2019-20 में जब जिलों की संख्या 27 थी तब अनुसूचित जनजाति के लिये 13, अनुसूचित जाति के लिये 3 ओबीसी के लिये 7 तथा सामान्य वर्ग के लिये 4 जिला पंचायत सीट आरक्षित रही. बीजेपी सरकार ने षड्यंत्रपूर्वक इसमें कटौती कर दी. अब जिलों की संख्या 33 हो गई लेकिन ओबीसी का आरक्षण 7 से घटकर शून्य हो गया है.

''बीजेपी ने किया है ठगने का काम'': धनेन्द्र साहू ने कहा कि प्रदेश के सभी जिला पंचायत और जनपद में जहां पहले 25 प्रतिशत सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थी, अब वहां अनुसूचित क्षेत्रों में ओबीसी आरक्षण लगभग खत्म हो गया. साय सरकार ने आरक्षण प्रक्रिया के नियमों में किए गए बदलाव से अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण पूरी तरह से खत्म हो गया है.

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