चंडीगढ़: पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा रोहतक लोकसभा से सांसद चुने गए हैं. जिसके बाद अब हरियाणा की एक राज्यसभा सीट खाली हो चुकी है. इस सीट पर अब चुनाव होना है. ये चुनाव नायब सैनी सरकार के लिए लिटमस टेस्ट साबित हो सकता है, क्योंकि हरियाणा की बीजेपी सरकार अल्पमत में चल रही है. ऐसे में सरकार अगर इस चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार को जीतने में कामयाब होती है, तो विपक्ष के लिए भी ये बड़ी हार होगी.
राज्यसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियों की चुनौती: एक तरफ विपक्ष का दावा है कि हरियाणा सरकार अल्पमत में चल रही है. इस मुद्दे पर कांग्रेस राज्यपाल से 20 जून को मुलाकात करेगी. वहीं हरियाणा सरकार का दावा है कि उसके पास बहुमत है. यानी सरकार को कोई खतरा नहीं है. इस सबके बीच हरियाणा में एक राज्यसभा सीट के लिए चुनाव होना है. अगर सरकार ये चुनाव पार्टी के उम्मीदवार को जीतने में कामयाब हो जाती है, तो विपक्ष के लिए भी ये बड़ी हार के तौर पर देखा जाएगा. इसलिए राज्य सरकार यानी बीजेपी इस चुनाव को किसी भी तरह जीतना चाहेगी.
कौन होगा बीजेपी का उम्मीदवार? सियासी गलियारों में चर्चा है कि इस सीट पर बीजेपी केंद्रीय मंत्री बने रवनीत बिट्टू को अपना उम्मीदवार बना सकती है, लेकिन ये सब जानते हैं कि बीजेपी चौंकाने वाले फैसले करने में माहिर है. इस बात के इतिहास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा आने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए राज्यसभा के लिए कोई चौंकाने वाला नाम तय कर सकती है. जिसमें सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस पार्टी की मौजूदा विधायक किरण चौधरी को लेकर है. चर्चा ये है कि बीजेपी किरण चौधरी या उनकी बेटी पूर्व सांसद श्रुति चौधरी राज्यसभा भेज सकती है.
क्यों खेल सकती है बीजेपी किरण या श्रुति पर दांव? किरण चौधरी या श्रुति चौधरी को राज्यसभा उम्मीदवार के तौर पर बीजेपी जिस वजह से दांव खेल सकती है, उसके पीछे की वजह बीजेपी का कम होता जा रहा जाट वोट बैंक है. दूसरा राज्य में बीजेपी के पास कोई ऐसा बड़ा जाट चेहरा नहीं है जो लोगों में प्रभाव डालने में सफल हो पाया हो. यानी बीजेपी एक तीर से दो निशाने लगा सकती है. एक तरफ लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी 46 विधानसभा क्षेत्र में पिछड़ गई थी, जिसके बाद कांग्रेस हरियाणा की सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है. वो इस उम्मीद को झटका लगा सकती है. वहीं जाट वोटरों को भी इसके बहाने साधने का काम करेगी.
हरियाणा विधानसभा की मौजूदा स्थिति: हरियाणा विधानसभा की मौजूदा स्थिति पर नजर डालें, तो इस वक्त 90 सदस्य वाली विधानसभा में 87 विधायक हैं. एक निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला पहले ही लोकसभा चुनाव के दौरान इस्तीफा दे चुके हैं. वहीं कांग्रेस के विधायक रहे वरुण चौधरी सांसद बन चुके हैं. इसके साथ ही बादशाहपुर से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का निधन होने से ये सीट भी खाली है. अभी विधानसभा में बीजेपी के 41, कांग्रेस के 29, जेजेपी के 10, पांच निर्दलीय, एक इनेलो और एक हिलोपा का विधायक है. जिसमें से बीजेपी के पाले में दो निर्दलीय और एक हिलोपा का विधायक है. जिससे बीजेपी का आंकड़ा 43 हो जाता है. वहीं विपक्ष में 44 विधायक हैं. किरण चौधरी अगर बीजेपी में जाती हैं तो विपक्ष का आंकड़ा 43 हो जाएगा. विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष बराबरी पर खड़े होंगे.
क्यों बीजेपी को है राज्यसभा चुनाव जीतने की उम्मीद? राज्यसभा चुनाव में कोई भी पार्टी किसी भी तरह का व्हिप जारी नहीं कर सकती. ऐसे में जेजेपी के जो विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं. वो बीजेपी उम्मीदवार को अपना वोट दे सकते हैं. इसके साथ ही अगर कोई अन्य विधायक भी ऐसा करता है तो फिर उस पर पार्टी कोई कार्रवाई करने की स्थिति में नहीं होगी. यानी बीजेपी के लिए राज्यसभा उम्मीदवार को जीत दिलाने में कोई बड़ी चुनौती दिखाई नहीं देती है. शायद इसलिए बीजेपी विपक्ष के सरकार के अल्पमत में होने की बातों पर, उसको विधायकों की परेड राजभवन में करवाने के लिए चुनौती लगातार दे रही है.