नई दिल्ली: दिल्ली के अस्पतालों में रिक्त पड़ी चिकित्सकों और स्टाफ की पोस्ट को लेकर स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को दोबारा पत्र लिखा है. साथ ही उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर एलजी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वो अस्पतालों में स्टाफ की भर्ती नहीं करके स्वास्थ्य सेवाओं को बेपटरी करना चाह रहे हैं. इस आरोप के जवाब में अब एलजी ऑफिस की तरफ से एक बयान जारी कर सौरभ भारद्वाज पर पलटवार किया गया है.
उप राज्यपाल कार्यालय की ओर से जवाब में कहा गया कि "अब जब व्यवस्था चरमरा रही है तो सौरभ भारद्वाज उलजुलूल बहाने तलाश रहे हैं. राज निवास ने आरोप लगाया है कि विज्ञापनों और दुष्प्रचार की आड़ में चलता आ रहा 10 साल का कुशासन फूटना शुरू हो गया है."
राज निवास ने बड़े ही व्यंग्यात्मक अंदाज में स्वास्थ्य मंत्री के आरोपों का जवाब देते हुए यह भी कहा है, " AAP का 'स्वास्थ्य मॉडल' सभी को देखने के लिए मौजूद है. दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों की दयनीय स्थिति को लेकर स्वत: संज्ञान लिया था और सौरभ भारद्वाज को व्यक्तिगत तौर पर तलब भी किया था."
एलजी कार्यालय की तरफ से उस कमेटी का भी हवाला देते हुए स्वास्थ्य मंत्री पर निशाना साधा गया है, जिसमें दिल्ली सरकार के अस्पतालों को बेहतर बनाने की दिशा में डॉक्टर एस के सरीन की अगुवाई में एक कमेटी गठित की गई थी.
सौरभ को बताया प्रेस कॉन्फ्रेंस मिनिस्टर: राज निवास ने कहा है कि कमेटी की ओर से एक डिटेल रिपोर्ट भी सौंपी गई थी, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस मिनिस्टर, जो स्वास्थ्य मंत्री भी हैं, ने विचार विमर्श नहीं किया. अब जब दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक का फ्रॉड, 10 साल में कोई नया अस्पताल नहीं, अस्पतालों के कंस्ट्रक्शन की टेंडर राशि 400 करोड़ से बढ़कर 1100 करोड़ रुपए, मेडिसिन परचेज स्कीम आदि सब एक्सपोज हो चुका है, तो मंत्री शोर मचा रहे हैं.
एनसीसीएसए की एक भी मीटिंग नहीं: इसके अलावा नियुक्तियां, ट्रांसफर-पोस्टिंग और अनुशासनात्मक कार्रवाइयों समेत किसी भी सर्विस मामले पर निर्णय सीएम की अध्यक्षता वाले एनसीसीएसए द्वारा किया जाता है. एलजी के समक्ष केवल उसको प्रस्तुत किया जाता है. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने काफी समय से एनसीसीएसए की एक भी मीटिंग नहीं बुलाई है. वहीं, जब वह जेल से जमानत पर बाहर थे तो भी उनकी तरफ से इस संबंध में कोई मीटिंग नहीं बुलाई गई, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उनको ऐसा करने के लिए अधिकृत भी किया था.
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गवर्नेंस को बेहतर करने में वक्त लगाएं: उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से सौरभ भारद्वाज को यह भी कहा है कि उनके लिए अच्छा होता कि वह इन मामलों को अपने 'बॉस' अरविंद केजरीवाल के पास लेकर जाते, जिस दौरान वह जमानत पर बाहर थे. उनकी तरफ से एलजी को पत्र लिखने की बजाय कार्रवाई करने के लिए कहा जाता, जो दिल्ली में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के हित में होता. अगर वह दिन में तीन चार प्रेस कांफ्रेंस करने की बजाय गवर्नेंस को बेहतर करने में वक्त लगाएं तो प्रदेश के लिए अच्छा रहेगा.