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उत्तराखंड में दिव्यांग वोटर्स पर दलों की नजर, पोस्टल बैलेट को लेकर भी बनाई गई खास रणनीति - lok sabha election 2024

lok sabha election 2024, Uttarakhand Postal Ballot उत्तराखंड में 80385 दिव्यांग और 85 साल से अधिक उम्र के 65150 बुजुर्गों का चिन्हीकरण किया गया है. ये सभी लोकसभा चुनाव के समीकरण बदल सकते हैं. जिसे देखते हुए राजनैतिक दलों ने इसके लिए विशेष रणनीति तैयार की है. मुख्य दल घर घर जाकर ऐसे वोटर्स तक पहुंचकर उन्हें रिझाने की कोशिश में लगे रहे.

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उत्तराखंड में दिव्यांग वोटर्स पर दलों की नजर
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 17, 2024, 6:20 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होना है. उससे पहले राजनैतिक दल मतदाताओं को रिझाने में लगे हुए हैं. पोस्टल बैलट के लिए भी अलग से रणनीति बनाई जा रही है. उत्तराखंड में पिछले रिकॉर्ड बताते हैं कि पोस्टल बैलेट भारतीय जनता पार्टी के लिए हमेशा बेहतर रहे हैं, जबकि इस बार 85 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग और दिव्यांगों के मत पर भी विशेष रणनीति बनाई गयी है.

उत्तराखंड में दिव्यांग और 85 साल से अधिक उम्र के मतदाताओं की संख्या भले ही बहुत ज्यादा ना हो लेकिन इसके बावजूद राजनीतिक दलों का ऐसे मतदाताओं पर भी पूरा ध्यान है. निर्वाचन आयोग ने 85 साल से अधिक उम्र वाले मतदाता और दिव्यांग मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलेट की सुविधा की है. ऐसे में राजनीतिक दल भी घर-घर पहुंचकर ऐसे मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी ने इसके लिए हर बूथ पर मौजूद दिव्यांग की जानकारी जुटाई. यही नहीं 85 साल से अधिक उम्र वाले मतदाताओं के घर तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया. इतना ही नहीं लोगों को मतदान के लिए भी प्रेरित करने के लिए कहा गया. इसलिए आज से भारतीय जनता पार्टी इस बार मतदान प्रतिशत भी बेहतर होने की उम्मीद जता रही है.

उत्तराखंड में 80385 दिव्यांग और 85 साल से अधिक उम्र के 65150 बुजुर्गों का चिन्हीकरण किया गया. लोकसभा चुनाव में यह पहला मौका है जब इस तरह की सुविधा दिव्यांग और 85 साल से अधिक उम्र के लोगों को दी जा रही है. इसमें 12000 से ज्यादा मतदाताओं ने अपने घर से ही अपने मताधिकार का प्रयोग भी किया गया. हालांकि, मतदान दिवस के दिन भी इनके द्वारा मतदान किया जा सकता है. इसके लिए 1344 व्हीलचेयर और 1623 डोलियों की भी व्यवस्था की गई है. राज्य में 51000 से ज्यादा दिव्यांग जनों ने निर्वाचन आयोग का सक्षम एप अपने मोबाइल पर डाउनलोड भी किया है.

इस मामले में जानकार कहते हैं भले ही मतदाताओं की संख्या बहुत ज्यादा नहीं लग रही हो लेकिन चुनाव के दौरान यह आंकड़ा प्रभावित कर सकता है. निर्वाचन आयोग तमाम दिव्यांग और 85 साल से अधिक उम्र के लोगों से मतदान के लिए प्रेरित कर रहा है. राजनीतिक दल भी ऐसे लोगों को प्रभावित करने के लिए घरों तक पहुंच कर उन्हें रिझाने की कोशिश कर रहे हैं.

इस मामले में कांग्रेस भी प्रचार प्रसार में जुटी हुई है. पार्टी नेताओं की माने तो दिव्यांगजनों से लेकर पोस्टल बैलट देने वाले सभी लोगों तक पहुंचने के लिए भी पार्टी के कार्यकर्ताओं को लक्ष्य दिया गया है. इसी के तहत कांग्रेस पोस्टल बैलट में भी इस बार बड़े बदलाव की उम्मीद लग रही है. पार्टी प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट कहते हैं प्रचार प्रसार में किसी भी तरह की कोई कोताही नहीं बरती जा रही है. सभी लोकसभा सीटों पर घर-घर जाकर पहले से ही प्रचार प्रसार किया जा रहा है. इसमें दिव्यांग जनों को भी कांग्रेस के पक्ष में मत देने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

पढे़ं-उत्तराखंड में पोस्टल बैलेट के जरिए फर्स्ट फेज की वोटिंग संपन्न, 11 हजार से ज्यादा दिव्यांग और बुजुर्गों ने किया मतदान

पढे़ं- सर्विस वोटर्स ने शुरू किया पोस्टल बैलेट डाउनलोड करना, अब तक 76 हजार ने किया डाउनलोड

देहरादून: उत्तराखंड में 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होना है. उससे पहले राजनैतिक दल मतदाताओं को रिझाने में लगे हुए हैं. पोस्टल बैलट के लिए भी अलग से रणनीति बनाई जा रही है. उत्तराखंड में पिछले रिकॉर्ड बताते हैं कि पोस्टल बैलेट भारतीय जनता पार्टी के लिए हमेशा बेहतर रहे हैं, जबकि इस बार 85 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग और दिव्यांगों के मत पर भी विशेष रणनीति बनाई गयी है.

उत्तराखंड में दिव्यांग और 85 साल से अधिक उम्र के मतदाताओं की संख्या भले ही बहुत ज्यादा ना हो लेकिन इसके बावजूद राजनीतिक दलों का ऐसे मतदाताओं पर भी पूरा ध्यान है. निर्वाचन आयोग ने 85 साल से अधिक उम्र वाले मतदाता और दिव्यांग मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलेट की सुविधा की है. ऐसे में राजनीतिक दल भी घर-घर पहुंचकर ऐसे मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी ने इसके लिए हर बूथ पर मौजूद दिव्यांग की जानकारी जुटाई. यही नहीं 85 साल से अधिक उम्र वाले मतदाताओं के घर तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया. इतना ही नहीं लोगों को मतदान के लिए भी प्रेरित करने के लिए कहा गया. इसलिए आज से भारतीय जनता पार्टी इस बार मतदान प्रतिशत भी बेहतर होने की उम्मीद जता रही है.

उत्तराखंड में 80385 दिव्यांग और 85 साल से अधिक उम्र के 65150 बुजुर्गों का चिन्हीकरण किया गया. लोकसभा चुनाव में यह पहला मौका है जब इस तरह की सुविधा दिव्यांग और 85 साल से अधिक उम्र के लोगों को दी जा रही है. इसमें 12000 से ज्यादा मतदाताओं ने अपने घर से ही अपने मताधिकार का प्रयोग भी किया गया. हालांकि, मतदान दिवस के दिन भी इनके द्वारा मतदान किया जा सकता है. इसके लिए 1344 व्हीलचेयर और 1623 डोलियों की भी व्यवस्था की गई है. राज्य में 51000 से ज्यादा दिव्यांग जनों ने निर्वाचन आयोग का सक्षम एप अपने मोबाइल पर डाउनलोड भी किया है.

इस मामले में जानकार कहते हैं भले ही मतदाताओं की संख्या बहुत ज्यादा नहीं लग रही हो लेकिन चुनाव के दौरान यह आंकड़ा प्रभावित कर सकता है. निर्वाचन आयोग तमाम दिव्यांग और 85 साल से अधिक उम्र के लोगों से मतदान के लिए प्रेरित कर रहा है. राजनीतिक दल भी ऐसे लोगों को प्रभावित करने के लिए घरों तक पहुंच कर उन्हें रिझाने की कोशिश कर रहे हैं.

इस मामले में कांग्रेस भी प्रचार प्रसार में जुटी हुई है. पार्टी नेताओं की माने तो दिव्यांगजनों से लेकर पोस्टल बैलट देने वाले सभी लोगों तक पहुंचने के लिए भी पार्टी के कार्यकर्ताओं को लक्ष्य दिया गया है. इसी के तहत कांग्रेस पोस्टल बैलट में भी इस बार बड़े बदलाव की उम्मीद लग रही है. पार्टी प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट कहते हैं प्रचार प्रसार में किसी भी तरह की कोई कोताही नहीं बरती जा रही है. सभी लोकसभा सीटों पर घर-घर जाकर पहले से ही प्रचार प्रसार किया जा रहा है. इसमें दिव्यांग जनों को भी कांग्रेस के पक्ष में मत देने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

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