देहरादून: उत्तराखंड लोकसभा चुनाव के लिए नॉमिनेशन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. बीजेपी की ओर से पूर्व राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने पौड़ी से पर्चा भरा है. इस लोकसभा चुनाव में पौड़ी लोककभा सीट पर ही सबसे जोरदार टक्कर है. अनिल बलूनी पौड़ी लोकसभा सीट पर कांग्रेस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं हैं. अनिल बलूनी मोदी शाह के करीबी हैं. वे संगठन पर भी अच्छी पकड़ रखते हैं. अनिल बलूनी बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रह चुके हैं. बीजेपी संगठन में अनिल बलूनी राष्ट्रीय कार्यकारी समिति, भारतीय जनता युवा मोर्चा, बीजेपी महिला मोर्चा, बीजेपी आईटी सेल के साथ ही कई राज्य इकाइयों के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. ईटीवी भारत की पॉलिटिकल KYC सीरीज के इस अंक में हम बीजेपी नेता, गढ़वाल लोकसभा सीट से कैंडिडेट अनिल बलूनी के बारे में बात करेंगे.
पौड़ी नकोट गांव के रहने वाले हैं अनिल बलूनी: अनिल बलूनी पौड़ी जिले के रहने वाले हैं. उनका जन्म 2 दिसंबर 1970 नकोट गांव में हुआ. अनिल बलूनी ने पत्रकारिता की पढ़ाई की है. वे कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में सक्रिय थे. जिसके कारण संघ के नेताओं से उनका मिलना जुलना लगा रहता था. इसी दौरान संघ के नेताओं से उनकी करीबियां बढ़ी. संघ के नेता सुंदर भंडारी के वे खास थे. सुंदर भंडारी जब बिहार के राज्यपाल थे तब बलूनी उनके ओएसडी थे. इसके बाद वे भंडारी के साथ गुजरात भी गये. इस दौरान नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. इसी दौरान अनिल बलूनी, नरेंद्र मोदी के करीब आये.
2002 में कोटद्वार से रद्द हुआ नामांकन: इसके बाद अनिल बलूनी ने उत्तराखंड की राजनीति में भी किस्मत आजमाई. राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में 2002 में पहले विधानसभा चुनाव हुये. जिसमें अनिल बलूनी भी चुनाव लड़े. साल 2002 में अनिल बलूनी ने बीजेपी के टिकट पर कोटद्वार विधानसभा से नोमिनेशन किया. इस बार उनकी नॉमिनेशन रद्द कर दिया गया, जिसके बाद अनिल बलूनी नोमिनेशन रद्द मामले को लेकर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गए. साल 2002 में कोटद्वार विधानसभा से कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी जीते.
2005 में लड़ा पहला विधानसभा चुनाव: वहीं, इस बीच अनिल बलूनी नॉमिनेशन रद्द मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने अनिल बलूनी नॉमिनेशन रद्द को गलत पाया. जिसके कारण 2002 के विधानसभा चुनाव कैंसिल हुये. इसके बाद कोटद्वार विधानसभा में 2005 में उपचुनाव हुआ. जिसमें अनिल बलूनी ने फिर से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा. इस उपचुनाव में भी अनिल बलूनी को हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद अनिल बलूनी ने ग्राउंड पर कोई चुनाव नहीं लड़ा.
निशंक सरकार में मिली बड़ी जिम्मेदारी: इसके बाद साल 2007 में अनिल बलूनी को निशंक सरकार में बड़ी जिम्मेदारी दी गई. उन्हें वन्यजीव बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद अनिल बलूनी ने दिल्ली की ओर रुख किया. केंद्र में मोदी सरकार आ चुकी थी. अनिल बलूनी के मोदी से पहले ही संबंध अच्छे थे. उन्हें इसका फायदा मिला. अनिल बलूनी को भाजपा का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया. इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख की जिम्मेदारी से नवाजा गया. जिसमें उन्होंने अभूतपूर्व काम किया. जिसका उन्हें ईनाम मिला.अनिल बलूनी को 10 मार्च 2018 में उत्तराखंड से राज्यसभा भेजा गया. साल 2024 में राज्यसभा कार्यकाल पूरा होने के बाद अब मोदी शाह उन्हें लोकसभा चुनाव में उतारा है.
इस समितियों में सदस्य रहे अनिल बलूनी: 2018-19 में अनिल बलूनी विज्ञान और प्रौद्योगिकी समिति के सदस्य रहे. 2018-19 में ही वे पर्यावरण एवं वन के भी सदस्य रहे. 2019 से अब तक वे एम्स ऋषिकेश , स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सदस्य रहे. अनिल बलूनी राजघाट समाधि समिति, शहरी मामले और रोजगार मंत्रालय समिति के भी सदस्य हैं.
एक करोड़ से अधिक की संपत्ति के मालिक हैं बलूनी: अनिल बलूनी द्वारा चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे के अनुसार, उनके पास कुल 38 लाख 71 हजार 901 रुपये की चल संपत्ति है. अचल संपत्ति के रूप में बलूनी के पास 1 करोड़ 10 लाख रुपये वर्तमान मूल्य की प्रॉपर्टी है. उनकी पत्नी दीप्ति जोशी के पास 2 करोड़ 29 लाख 26 हजार 890 रुपये मूल्य की चल-अचल संपत्ति है.
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