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हाईकोर्ट ने कहा- दूसरे राज्यों से इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर टैक्स छूट न देने की नीति सही - ALLAHABAD HIGH COURT

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने मेसर्स बत्रा हेनले केबल्स की याचिका पर दिया

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इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 15, 2024, 9:58 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जम्मू से इलेक्ट्रिक वाहन खरीदकर उत्तर प्रदेश में चलाने पर रोड टैक्स में छूट की मांग को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने मेसर्स बत्रा हेनले केबल्स की याचिका पर दिया.

याची का कहना था कि राज्य में इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर सरकार ने टैक्स छूट दी है, जो विभेदकारी है. कोर्ट ने कहा कि राज्य के भीतर वाहन खरीदने पर राज्य को राजस्व प्राप्त होता है. दूसरे राज्य से वाहन खरीदने पर राजस्व का नुकसान होता है. राज्य में वाहन खरीदने पर रोड टैक्स में छूट की शर्त लगाना राज्य की शक्ति में है. इसे अनुचित नहीं कहा जा सकता है.

याची ने जम्मू से इलेक्ट्रिक वाहन खरीदा और उत्तर प्रदेश में पंजीकृत कराया है. उसे रोड टैक्स के तौर पर एक लाख 91 हजार नौ सौ रुपये भुगतान करना था. जबकि उत्तर प्रदेश की अधिसूचना के तहत जिन लोगों ने राज्य में इलेक्ट्रिक वाहन खरीदे हैं, उन्हें रोड टैक्स की छूट दी जा रही है. याची ने रोड टैक्स का भुगतान करने से इनकार कर दिया और कहा कि उसे भी छूट दी जाए.

याची ने अधिनियम की शर्त को मनमाना विभेदकारी बताया जिसके तहत उत्तर प्रदेश राज्य में ही वाहन खरीदने पर टैक्स में छूट देने की व्यवस्था है. राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता निमाई दास ने कहा कि याची को छूट मांगने का कोई अधिकार नहीं है. छूट देने की शर्तों को राज्य ने अधिनियम में शामिल किया है.

राज्य में वाहन खरीदने पर राज्य को जीएसटी का हिस्सा मिलता है जबकि राज्य के बाहर से वाहन खरीदने पर राज्य को कोई लाभ नहीं मिलता इसलिए लगाई गई शर्त को अवैध नहीं कहा जा सकता.

ये भी पढ़ें- दीपों से जगमग हुआ बनारस, 84 गंगा घाटों पर जले 17 लाख दीये, देखें तस्वीरें

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जम्मू से इलेक्ट्रिक वाहन खरीदकर उत्तर प्रदेश में चलाने पर रोड टैक्स में छूट की मांग को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने मेसर्स बत्रा हेनले केबल्स की याचिका पर दिया.

याची का कहना था कि राज्य में इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर सरकार ने टैक्स छूट दी है, जो विभेदकारी है. कोर्ट ने कहा कि राज्य के भीतर वाहन खरीदने पर राज्य को राजस्व प्राप्त होता है. दूसरे राज्य से वाहन खरीदने पर राजस्व का नुकसान होता है. राज्य में वाहन खरीदने पर रोड टैक्स में छूट की शर्त लगाना राज्य की शक्ति में है. इसे अनुचित नहीं कहा जा सकता है.

याची ने जम्मू से इलेक्ट्रिक वाहन खरीदा और उत्तर प्रदेश में पंजीकृत कराया है. उसे रोड टैक्स के तौर पर एक लाख 91 हजार नौ सौ रुपये भुगतान करना था. जबकि उत्तर प्रदेश की अधिसूचना के तहत जिन लोगों ने राज्य में इलेक्ट्रिक वाहन खरीदे हैं, उन्हें रोड टैक्स की छूट दी जा रही है. याची ने रोड टैक्स का भुगतान करने से इनकार कर दिया और कहा कि उसे भी छूट दी जाए.

याची ने अधिनियम की शर्त को मनमाना विभेदकारी बताया जिसके तहत उत्तर प्रदेश राज्य में ही वाहन खरीदने पर टैक्स में छूट देने की व्यवस्था है. राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता निमाई दास ने कहा कि याची को छूट मांगने का कोई अधिकार नहीं है. छूट देने की शर्तों को राज्य ने अधिनियम में शामिल किया है.

राज्य में वाहन खरीदने पर राज्य को जीएसटी का हिस्सा मिलता है जबकि राज्य के बाहर से वाहन खरीदने पर राज्य को कोई लाभ नहीं मिलता इसलिए लगाई गई शर्त को अवैध नहीं कहा जा सकता.

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