रांचीः नशे की हालत में वाहन चलाकर कोई बड़े हादसे का शिकार ना हो जाए या फिर उसके द्वारा कोई हादसा ना हो जाए इसके लिए रांची ट्रैफिक पुलिस ब्रेथ एनालाइजर लेकर लगातार मुस्तैद है. दिसंबर महीने में ही नशे की हालत में गाड़ियां चला रहे 3000 लोगों की जांच की गई. जिसमें 30 लोग पॉजिटिव पाए गए.
नशे की वजह से घटनाएं
सड़क सुरक्षा कार्यालय के आंकड़े बताते हैं कि राजधानी रांची में सबसे ज्यादा रात के समय सड़क हादसे शराब पी कर वाहन चलाने के कारण होते हैं. खासकर दिसंबर और जनवरी माह में इस प्रकार के हादसे और बढ़ जाते हैं. ऐसे में रांची ट्रैफिक पुलिस के द्वारा रात के समय ड्रंक एंड ड्राइव अभियान चलाया जा रहा है जिसमें 30 से ज्यादा वाहन चालक पकड़े गए हैं जो नशे की हालत में गाड़ी चला रहे थे.
ट्रैफिक डीएसपी प्रमोद केसरी ने बताया कि 3000 लोगों की जांच 1 महीने के अंदर की गई है, जिसमें से 30 पॉजिटिव पाए गए. उन पर नियम संगत जुर्माना लगाया जा रहा है. पूरे शहर में ट्रैफिक पुलिस की ओर से लगातार ड्रंक एंड ड्राइव अभियान चलाया जा रहा है.
ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों के अनुसार एक से लेकर 21 दिसंबर तक चलाए गए अभियान के दौरान शहर के विभिन्न इलाकों में 3000 वाहन चालकों की ब्रेथ एनालाइजर के जरिए जांच की गई. इसमें 30 ऐसे वाहन चालक पकड़े गए, जो निर्धारित मापदंड से अधिक शराब पीकर गाड़ी चला रहे थे. इन चालकों की गाड़ी को पुलिस ने जब्त कर लिया है साथ ही चालकों के वाहनों को कोर्ट भेज दिया.
कानून में अल्कोहल की कोई लिमिट क्या है
किसी भी तरह अल्कोहल पीकर ड्राइव करना खतरनाक हो सकता है. पुलिस भी ब्रेथलाइजर की मदद से बल्क अल्कोहल कंटेंट (बीएसी) को चेक करती है. ट्रैफिक पुलिस के मुताबकि, ब्लड में अल्कोहल कंटेंट की लीगल लिमिट प्रति 100 एमएल ब्लड में 0.03 फीसदी या 30 एमजी है. अगर किसी व्यक्ति के 100 एमएल ब्लड में बीएसी की मात्रा 30 एमजी से ज्यादा है तो उस पर मोटर व्हीकल एक्ट सेक्शन 185 के तहत जुर्माना और सजा होगी.
पहली बार में दस हजार जुर्माना
ट्रैफिक पुलिस अत्यधिक शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले चालकों के वाहनों को जब्त कर मामले को न्यायालय भेज दे रही है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान तय होता है कि जुर्माना कितना निर्धारित करना है. कोर्ट वाहन चालक को पहली बार में दस हजार रुपये जुर्माना या फिर छह माह की सजा देती है. तीन साल के भीतर दूसरी बार पकड़ाने पर 15 हजार जुर्माना या फिर दो साल की सजा का प्रावधान है, यह न्यायालय तय करती है.
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